उद्योग मंडल एसोचैम ने स्वास्थ्य सेवाओं को वस्तु एवं सेवा कर को 'जीएसटी' के दायरे से बाहर रखने की मांग की है.
उसका मानना है कि इससे स्वास्थ्य सेवाएं महंगी हो जाएंगी और आम आदमी की पहुंच से दूर हो जाएंगी.
एसोचैम-टेसाइ ने एक रिसर्च पेपर में कहा गया है कि स्वास्थ्य सेवाओं को सेवा कर के दायरे से बाहर रखा गया है और जीएसटी के लागू होने के बाद कम से कम दस साल तक इसे इसके दायरे से बाहर रखा जाना चाहिए.
आम बजट 2017 की खबरों को को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.
रिसर्च पेपर में कहा गया है कि यह क्षेत्र समाज की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करता है और इसे जीएसटी के दायरे से बाहर रखा जाना चाहिए. अन्यथा चिकित्सा सुविधाएं महंगी हो जाएंगी और आम आदमी की पहुंच से दूर हो जाएंगी.
एसोचैम के महासचिव डी एस रावत ने कहा, 'बड़ी संख्या में खाद्य उत्पाद और आम आदमी के इस्तेमाल की अन्य जरूरी सामानों को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है. स्वास्थ्य सेवा भी उतनी ही महत्वपूर्ण और अनिवार्य है. यह खाद्य के बाद सबसे महत्वपूर्ण सेवा है. ऐसे में इसे जीएसटी के दायरे से बाहर रखने का मामला बनता है.’'
सरकार का जीएसटी को इस साल एक जुलाई से लागू करने वाली है.