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बचत से पहली बार शेयर खरीदने वालों को टैक्स छूट का तोहफा

शेयर बाजार में निवेश करने वालों के लिए सरकार नई स्कीम ला सकती है

FP Staff

सरकार इस साल बजट में शेयर बाजार के नए खिलाड़ियों को टैक्स छूट का तोहफा दे सकती है. घरेलू बचत को स्टॉक मार्केट में निवेश करने वालों को प्रोत्साहित करने के लिए फाइनेंस मिनिस्टर टैक्स छूट की घोषणा कर सकते हैं.

सूत्रों के मुताबिक पहली बार इक्विटी में करने वालों को आकर्षित करने के लिए सरकार टैक्स छूट की स्कीम ला सकती है. इसके अलावा वे मौजूदा राजीव गांधी इक्विटी सेविंग स्कीम (आरजीईएसएस) में भी कुछ बदलाव कर सकती है.


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क्या हो सकते हैं बदलाव?

इस स्कीम के तहत सरकार बजट 2017-18 में सेक्शन 80 (सी) के तहत टैक्स सेविंग के नए प्रस्ताव ला सकती है. नए प्रस्ताव के तहत सेक्शन 80 (सी) के तहत 1.5 लाख से लेकर 2 लाख या इससे अधिक के निवेश पर सेक्शन 80 (सी) के तहत ज्यादा टैक्स में छूट मिल सकती है. यह छूट फिक्स्ड डिपाजिट, इंश्योरेंस प्रीमियम और म्युच्यूल फंड में निवेश करने पर मिलेगी.

अभी तक घरेलू बचत में टैक्स छूट इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम्स (ईएलएलएसएस) के तहत म्युच्यूल फंड में अधिकतम 1.5 लाख रुपए के निवेश पर मिलती है. यह छूट इनकम टैक्स ऐक्ट के सेक्शन 80सी के तहत दी जाती है.

साथ ही सेक्शन 80सीसीडी के तहत नेशनल पेंशन स्कीम के तहत हर साल 50000 रुपए के निवेश पर भी टैक्स में छूट दी जाती है.

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आरजीईएसएस को बनाया जाएगा आसान

पहली बार डायरेक्ट इक्विटी इनवेस्टर्स के अलावा राजीव गांधी इक्विटी सेविंग्स स्कीम (आरजीईएसएस) के तहत निवेश करने वालों को भी टैक्स में अतिरिक्त छूट दी जा सकती है.

आरजीईएसएस को ‘इक्विटी कल्चर’ को बढ़ावा देने के लिए 2012-13 में लॉन्च किया गया था. लेकिन इसके जटिल स्ट्रक्चर के कारण बहुत कम लोगों ने ही इस योजना के तहत निवेश किया.

इसके तहत पहली बार और नए रिटेल इंवेस्टर, जिनकी सालाना 12 लाख से कम हो, वे ही निवेश कर सकते हैं. इसके तहत 50,000 रुपए से अधिक पर टैक्स का लाभ नहीं लिया जा सकता है.

इनकम टैक्स ऐक्ट, 1961 की धारा 80सीसीजी के तहत निवेश की गई रकम पर टैक्स में 50 फीसदी छूट का प्रावधान है. यह लाभ सेक्शन 80सी के तहत मिले छूट के अलावा दिया जाता है.

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तीन साल का लॉक-इन पीरियड 

इस मौजूदा योजना के तहत तीन सालों का लॉक-इन पीरियड है. पहले साल फिक्स्ड लॉक-इन है और बाद के दो सालों में लचीले लॉक-इन का प्रावधान है.

आरजीईएसएस में लॉक-इन पीरियड का मतलब यह है कि पहले साल आप कितना भी निवेश करें लेकिन आपको टैक्स में छूट अधिकतम 50,000 रुपए पर ही मिलेगा. बाद के दो सालों में यह अधिकतम सीमा बढ़ जाती है.

सूत्रों के अनुसार आरजीईएसएस के तहत टैक्स छूट की मौजूदा प्रावधानों पर विचार करके इसे बढ़ाया जा सकता है. अब इसके तहत सिर्फ पहली बार निवेश कर रहे लोगों को ही बल्कि सभी इक्विटी इंवेस्टर्स को टैक्स में छूट मिलेगी.

इस स्कीम के तहत अब सेक्शन 80सीसीएफ की तरह इंफ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड्स में भी छूट दी जा सकती है. इसके तहत निवेश करने पर 50,000 रुपए या इससे अधिक की रकम पर टैक्स में छूट मिलेगी. यह छूट सेक्शन 80सी के तहत मिले छूट से अतिरिक्त होगी.

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