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बिहार रिजल्ट्स: 12वीं के नतीजों से बिहार सरकार ने लिया सबक?

12वीं के नतीजों के समय हुई फजीहत से सीख लेकर बोर्ड ने इस बार पूरी तैयारी की थी

Kanhaiya Bhelari

जब दूध पीने से मुंह जलता है तो आदमी छाछ भी फूंककर पीता है. लगता है मैट्रिक का रिजल्ट जारी करने से पहले बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अधिकारियों ने इसी कहावत को चरितार्थ करने का भरसक प्रयास किया है.

प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि रिजल्ट में किसी भी प्रकार की भारी गड़बड़ी नहीं हुई है. पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष करीब 3 प्रतिशत ज्यादा छात्र परीझा पास करने में सफल रहे.


लंबे इंतजार के बाद गुरुवार को बिहार बोर्ड ने 10वीं की नतीजों का ऐलान किया. टोटल 17 लाख 27 हजार में सिर्फ 50.12 प्रतिशत बच्चे उतीर्ण हुए. यानी आधे बच्चे फेल हो गए. हालांकि यह रिजल्ट पिछले साल से ज्यादा है. 2016 में कुल 47 प्रतिशत छात्र ही पास हो पाए थे.

47 प्रतिशत स्टूडेंट हुए पास

बीएसइबी के अध्यक्ष आनंद किशोर के अनुसार इस साल 8 लाख 63 हजार बच्चे पास हुए हैं. फर्स्ट डिविजन में 13.9 प्रतिशत, सेकंड डिविजन में 26.8 प्रतिशत और थर्ड डिविजन में 9.3 प्रतिशत स्टूडेंट पास करने में सफल हुए हैं. एग्जाम देने वाले कुल स्टूडेंट्स में से 51.3 प्रतिशत लड़के और 40 प्रतिशत लड़कियां उर्तीण हुई हैं.

लखीसराय जिला स्थित गोबिंद उच्च विद्यालय के प्रेम कुमार ने कुल 500 में 465 अंक पाकर टॉप किया है. सिमलतल्ला हाई स्कूल की भव्या कुमारी दूसरी टॉपर बनी हैं. भव्या को 464 नंबर मिले हैं. तीसरी टॉपर सिमुलतल्ला हाई स्कूल की ही हर्षिता कुमारी है.

बिहार 10वीं बोर्ड का एग्जाम 1 से 8 मार्च के बीच हुआ था. निर्धारित तिथि के अनुसार रिजल्ट 10 जून को प्रकाशित होना था लेकिन 12 बोर्ड के रिजल्ट में हुई घोर अनियमितता विलंब का कारण बनी और 12 दिन बाद घोषित करना पड़ा.

सीएम के थे सख्त निर्देश

सीएम नीतीश कुमार का सख्त निर्देश था कि परीक्षा परिणाम भले ही देर से आए पर दुरूस्त आए. 12वीं बोर्ड की रिजल्ट में बरती गई असावधानी ने बिहार को दुसरी बार शिक्षा के क्षेत्र हो रही गिरावट का पात्र बना दिया था.

देश भर में थू-थू हो रही थी. शिक्षा मंत्री अशोक चैधरी ने दावा किया कि रिजल्ट मात्र 35 प्रतिशत इसलिए हुआ कि एग्जाम में नकल बंद कर दी गई. पर मीडिया ने 24 घंटे के भीतर सच्चाई देश के सामने ला दी. आईआईटी क्वालिफाई करने वाले छात्र 12 वीं की परीक्षा में फेल कर दिए गए और जो संगीत का मतलब भी नहीं समझता है उस गणेश कुमार का टॉपर बना दिया गया.

सीएम की सख्ती के बाद जांच हुई तो कई भयानक तथ्य सामने आए. अपने स्तर से 2016 की 12 वीं परीक्षा में हुई प्रचंड धांधली के दाग को मिटाने का अधिकारियों द्वारा पुरजोर प्रयास किया गया. लेकिन बिहार के ताकतवर शिक्षा माफियाओं ने सब गुड़ गोबर कर दिया.

शिक्षा माफिया की थी पूरी तैयारी

अगर सावधानी नहीं बरती गई होती तो शिक्षा माफिया ने 10वीं बोर्ड की रिजल्ट को भी अपने आगोश में लेने की मुकम्मल तैयारी कर ली थी. शिक्षा माफिया पिछले एक महीने से 10वीं का एग्जाम दिए हजारों बच्चों को टेलीफोन के जरिए संपर्क करके पास कराने का भरोसा देते थे.

हर डिवीजन के लिए राशि तय थी. इस रैकेट की बात जब मीडिया ने सुर्खियां बनाईं तो बिहार सरकार की नींद टुटी. आनन-फानन में पटना के सीनीयर एस पी मनु महराज को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई. रैकैट में सक्रिय 3 दर्जन खिलाड़ियों को रंगे हाथों कई मोबाइल सेट के साथ दबोचा गया. पुछताछ में खुलासा हुआ कि इस रैकेट में बोर्ड के भी कई कर्मचारी शामिल हैं. तहकीकात जारी है.