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भारत के साथ ब्रिटेन की दोतरफा नीति

ब्रेग्जिट के बाद ब्रिटेन का फोकस पूरी तरह अपने आर्थिक विकास पर है.

Pratima Sharma

अमेरिकी चुनाव के हंगामे में एक बात जो किसी के ध्यान में नहीं आई, वो है ब्रिटेन के साथ भारत के रिश्ते. हाल ही में ब्रिटेन की पहली महिला प्रधानमंत्री थेरेसा मे भारत दौरे पर आई थीं. अपने भारत दौरे के दौरान उन्होंने भारतीय कारोबारियों को बेहतरीन सौगात दी. थेरसा ने भारतीय कारोबारियों के लिए पहली बार अपनी तरह की फ्रीक्वेंट ट्रैवलर स्कीम आॅफर की है.

यह खास स्कीम पेश करने के पीछे ब्रिटेन की मंशा भारतीय कारोबारियों को बुलाना है, ताकि उनकी ग्रोथ में मदद मिल सके. लेकिन दूसरी तरफ उन्होंने आईटी सेक्टर की नौकरियों और स्टूडेंट्स के लिए वीजा घटा दिया है.


ब्रिटेन की इस दोतरफा नीति के बारे में संयुक्त राष्ट्र, मानवाधिकार, डब्ल्यूटीओ मामलों की जानकार और पत्रकार श्रीरूपा मित्रा ने कहा कि ब्रेग्जिट के बाद ब्रिटेन का फोकस पूरी तरह अपने आर्थिक विकास पर है.

मित्रा का कहना है,'ब्रेग्जिट के बाद ब्रिटेन कोई रिस्क नहीं लेना चाहता है. यह एक तरह का राष्ट्रवाद है. यूरोपियन देशों में यह नया ट्रेंड है.'

अपनी नौकरियां समेटने में लगा है ब्रिटेन

ब्रिटेन ने स्टूडेंट्स और आईटी सेक्टर्स की नौकरियों के लिए वीजा घटा दिया है. इसका सीधा मतलब है कि ब्रिटेन का फोकस सिर्फ और सिर्फ अपने आर्थिक ग्रोथ पर है.

द हिंदु की एक रिपोर्ट के मुताबिक, स्टूडेंट्स और आईटी सर्विसेज के लिए वीजा घटाने का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक पड़ेगा. इस रिपोर्ट के मुताबिक वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, 'ब्रिटेन के इस फैसले से ऐसा लग रहा है कि उसकी दिलचस्पी सिर्फ अपने प्रॉडक्ट के लिए इंडिया को बाजार बनाने में है.' ब्रिटेन भारतीय कारोबारियों को लुभाकर ज्यादा से ज्यादा निवेश हासिल करना चाहता है. सीतारमण ने कहा कि ब्रिटेन की दिलचस्पी इंडियन प्रोफेशनल टैलेंट और स्टूडेंट्स को लुभाने की नहीं है.

सीतारमण ने कहा कि वीजा घटाने के फैसले से आईटी इंडस्ट्री को झटका लग सकता है. उन्होंने ब्रिटिश अधिकारियों से इस मामले में चर्चा भी की है. उन्होंने ब्रिटिश अधिकारियों से कहा कि अप्रवासी मामले को विदेशी स्किल्ड कामगारों से जोड़ना गलत है, क्योंकि ये बहुत कम समय के लिए विदेश जाते हैं.

इस बीच एक अच्छी बात ये है कि ब्रिटेन ने सर्विसेज के लिए 'ट्रेड फैसिलिटेशन एग्रीमेंट टीएफए' पर इंडिया के प्रस्ताव को सपोर्ट कर रहा है. डब्ल्यूटीओ में अगर इस प्रस्ताव पर सहमति बन जाती है तो यह भारत के हक में होगा. भारतीय आईटी सेक्टर के कारोबार को इससे काफी सहयोग मिलेगा और हमारी अर्थव्यवस्था भी बेहतर होगी.