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गोरखपुर: बीआरडी अस्पताल में पिछले 72 घंटों में 61 बच्चों की मौत का जिम्मेदार कौन?

27 अगस्त को 17, 28 अगस्त को 19 और 29 अगस्त देर रात तक 25 और बच्चों की मौत हो गई. इससे पहले ऑक्सीजन की कमी से 36 बच्चों की मौत हो गई थी

Ravishankar Singh

गोरखपुर के बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. पिछले 24 घंटे में बीआरडी मेडिकल कॉलेज के नेहरू चिकित्सालय में 19 और बच्चों की मौत हो गई है.

इनमें 7 बच्चों की मौत इंसेफेलाइटिस से हुई है. वहीं नवजात शिशु वाले वार्ड में अन्य रोगों से भी बच्चों की मौत होने की खबर है.


पिछले 72 घंटों में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती बच्चों की मौत की संख्या 61 तक पहुंच चुकी है. 27 अगस्त को 17, 28 अगस्त को 19 और 29 अगस्त देर रात तक 25 और बच्चों की मौत हो गई.

इस तरह 28 अगस्त से 29 अगस्त तक कुल 25 बच्चों की मौत हुई, जिसमें इंसेफेलाइटिस से 7, एनआईसीयू में अन्य बीमारियों से ग्रस्त 8 बच्चों की भी मौत हो गई.

48 घंटे में कुल 42 मौतें हुईं

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल पीके सिंह ने मीडिया को बताया कि, सात की मौत इंसेफेलाइटिस की वजह से हुई है. जबकि अन्य की मौत अलग-अलग कारणों से हुई.

मौत के आंकड़ों पर मेडिकल कॉलेज ने स्पष्ट किया कि जान गंवाने वालों का आंकड़ा एकमुश्त पेश करके भ्रम फैलाया जा रहा है. इसमें ऐसे भी मरीज हैं, जिनका इंसेफेलाइटिस से कोई ताल्लुक नहीं है.

प्रिंसिपल के मुताबिक शनिवार रात 12 बजे से रविवार रात 12 बजे तक एनआईसीयू में 6 और आईसीयू में 11 मौतें हुईं. जबकि रविवार रात इसी समय तक एनआईसीयू में 10 और आईसीयू में 15 यानी 48 घंटे में कुल 42 मौतें हुईं. इनमें से 7 की मौत इंसेफेलाइटिस से हुई बाकी मरीजों की सामान्य मौत है.

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल पीके सिंह के मुताबिक, इन तीन दिनों में मरीजों की मौत की संख्या बढ़ने के पीछे की एक वजह मौसम से फैला संक्रमण भी है. उन्होंने बताया कि शनिवार सुबह नौ बजे से सोमवार सुबह नौ बजे तक 48 घंटे में सात और सोमवार से मंगलवार सुबह तक 24 घंटे में चार मौतें ही इंसेफेलाइटिस से हुईं हैं. वहीं 19 नए मरीज भर्ती हुए हैं.

इस साल बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इंसेफेलाइटिस और नवजात बच्चों के वार्ड में एक जनवरी से 29 अगस्त तक 1275 बच्चों की मौत हो चुकी है.

इस साल इंसेफेलाइटिस से बीआरडी मेडिकल कॉलेज में लगभग 175 बच्चों की मौत हो चुकी है. एक जनवरी से 28 अगस्त तक यहां पर 724 बच्चे भर्ती हुए जिसमें 175 बच्चों की जान चली गई.

इसी अवधि में नियोनेटल आईसीयू में 1075 शिशुओं की मौत हुई है. बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती होने वाले मरीज गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, महराजगंज, सिद्धार्थनगर, संत कबीर नगर, बस्ती सहित एक दर्जन जिलों के अलावा बिहार और नेपाल के भी थे.

अस्पताल में सैंकड़ों की संख्या में इंसेफेलाइटिस के शिकार बच्चे भर्ती

गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इसी महीने 7 अगस्त से लेकर 16 अगस्त तक 112 बच्चों की मौत हुई थी. कॉलेज में हो रही लगातार मौतों को लेकर गोरखपुर के आसपास रहने वाले लोगों में दहशत लगातार बनी हुई है.

हम आपको बता दें कि मेडिकल कॉलेज में जो मौत हो रही हैं वह ज्यादातर 100 नंबर वार्ड के इंटेसिव केयर यूनिट में हो रही हैं. इस वार्ड में ज्यादातर बच्चे इंसेफेलाइटिस बुखार का इलाज करा रहे हैं.

बीआरडी कॉलेज में बच्चों की हो रही मौत को कवर रहे गोरखपुर के एक स्थानीय पत्रकार फर्स्टपोस्ट हिंदी से बात करते हए कहते हैं, 'पिछले एक महीने बीत जाने के बाद भी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है. बच्चों का इलाज करा रहे लोग अभी भी कराह रहे हैं. बच्चों के मौत का सिलसिला लगातार जारी है. अस्पताल के 100 नंबर वार्ड में जोर-जोर से चिल्लाने की आवाज चारों तरफ सुनाई दे रही है. मृत बच्चों के शरीर देखकर हम जैसे पत्रकारों से भी रहा नहीं जा रहा है.'

फर्स्टपोस्ट हिंदी से बात करते हुए गोरखपुर न्यूज लाइन वेबसाइट के संपादक मनोज कुमार सिंह ने बताया, 'देखिए शासन और प्रशासन को जो व्यवस्था जनवरी-फरवरी महीने में करनी चाहिए थी, वो अभी की जा रही है. सबसे बड़ी बात यह है कि बच्चों की मौत तो हर साल होती है. इसके अलावा अस्पताल में अन्य संक्रामक मरीजों की संख्या भी बढ़ रहे हैं. इस समय बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 340 से लेकर 350 बच्चे भर्ती हैं. एनएसआईयू में लगभग 100 से ज्यादा मरीज हैं. इंसेफेलाइटिस वार्ड में भी 90 मरीज हैं. पहले रोजाना 15-20 एडमिशन हुआ करते थे जो अब बढ़ कर 50-60 तक पहुंच गया है.'

कई माता-पिता हैं जो अपने बच्चों को खो चुके हैं. लेकिन, अस्पताल में अब भी सैंकड़ों की संख्या में इंसेफेलाइटिस के शिकार बच्चे भर्ती हैं.

अस्पताल के बाहर आस लगाए बच्चों के अभिभावक जमीनों पर लेटे हुए दिखाई देते हैं. अब भी बच्चों की मौत का सिलसिला जारी है. आईसीयू में एक-एक बेड पर दो से तीन नवजात बच्चों का इलाज किया जा रहा है.

इसी अगस्त महीने में 10 और 11 अगस्त को बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 36 बच्चों की मौत हो गई थी. इन बच्चों के मौत की वजह ऑक्सीजन की कमी को बताया गया था. हलांकि, राज्य सरकार इस बात से लगातार इंकार करती आ रही है. इस मामले में बीआरडी मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल राजीव मिश्रा और उनकी पत्नी डॉ पूर्णिमा शुक्ला को एक दिन पहले ही गिरफ्तार किया गया है.

पिछले काफी दिनों से राजनीतिक गहमागहमी के बावजूद बीआरडी मेडिकल कॉलेज की स्थिति बेहतर होती नहीं दिख रही है. बच्चों की लगातार हो रही मौत ने एक बार फिर से राज्य सरकार के रवैये पर सवाल खड़ा कर दिया है.