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मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांडः मुख्य आरोपी बृजेश ठाकुर के मामा गिरफ्तार, 4 दिनों की CBI रिमांड पर

सीबीआई ने ब्रजेश ठाकुर के चचेरे मामा रामानुज ठाकुर को गिरफ्तार किया है, उसकी गिरफ्तारी समस्तीपुर जिले के वारिसनगर थाने के रोहुआ गांव से हुई है

FP Staff

बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका गृह दुष्कर्म मामले में सीबीआई ने बृजेश ठाकुर के चचेरे मामा रामानुज ठाकुर को गिरफ्तार किया है. उसकी गिरफ्तारी समस्तीपुर जिले के वारिसनगर थाने के रोहुआ गांव से हुई है. बीते बुधवार को उसे POCSO कोर्ट में पेश किया गया. कोर्ट ने उसे 4 दिनों की सीबीआई रिमांड पर भेज दिया है. बता दें कि बीते मंगलवार की देर रात उसे सीबीआई की टीम पूछताछ के लिए मुजफ्फरपुर लाई थी.

बच्चियों ने रामानुज ठाकुर के खिलाफ भी बयान दिया था


बालिका गृह की बच्चियों ने रामानुज ठाकुर के खिलाफ भी बयान दिया था. रामानुज को बृजेश के परिजन और बालिका गृह के स्टाफ मामा उर्फ कान्हा के नाम से जानते थे. वहीं बृजेश के घर पर छापेमारी के बाद से वह फरार हो गया था. सूत्रों की मानें तो रामानुज कई साल से बृजेश के अखबार को सरकारी कार्यालय तक पहुंचाता था. वहीं इस मामले में सफाई कर्मी कृष्णा की रिमांड अवधि पूरी होने पर आज उसे सीबीआई कोर्ट में पेश किया जाएगा.

कृष्णा कई साल से बालिका गृह में सफाई कर्मी था

पुलिस ने बताया कि पूछताछ में उसने कई जानकारियां दी हैं. बालिका गृह के अंदर बच्चियों के साथ हुई गलत हरकत के बारे में भी उसने खुलासा किया था. ऐसे में सीबीआई की टीम उसे फिर से रिमांड पर लेने के लिए आवेदन दे सकती है. कृष्णा कई साल से उस बालिका गृह में सफाई कर्मी के तौर पर काम करता था. इसके अलावा मुजफ्फरपुर बालिका गृह दुष्कर्म कांड में आयकर विभाग ने एनजीओ ‘सेवा संकल्प व विकास समिति’ को नोटिस भेजा है.

बृजेश ठाकुर के बहीखातों की बारीकी से जांच

इस एनजीओ का संचालक मुख्य आरोपित बृजेश ठाकुर हैं. आयकर विभाग ने एसेसमेंट रीओपन करने का नोटिस सेवा संकल्प व विकास समिति को भेजा है और 30 दिनों में जवाब भी मांगा है. कोर्ट ने आदेश दिया है कि इस कांड के मुख्य आरोपित और 'सेवा संकल्प व विकास समिति' के संचालक बृजेश ठाकुर के बहीखातों की बारीकी से जांच की जाए.

10 सालों में सरकार ने एनजीओ को साढ़े चार करोड़ रुपए दिए

सूत्रों ने बताया कि पिछले 10 सालों में सरकार ने 'सेवा संकल्प' एनजीओ को करीब साढ़े चार करोड़ रुपए दिए हैं. इसकी जांच आयकर विभाग ने की थी. आयकर विभाग ने जब सभी दस्तावेजों की जांच की तो गड़बड़ी सामने आने लगी. हालांकि, अभी विभागीय स्तर पर कुछ भी कहने से साफ इनकार किया जा रहा है.