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कांग्रेस और लेफ्ट दोनों ने ही 2019 में टिकट देने के लिए किया था संपर्क : पूर्व जज कुरियन जोसेफ

अपनी सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद, पूर्व न्यायाधीश ने न्यूज़ 18 को बताया था कि उनकी राजनीति में शामिल होने की कोई योजना नहीं थी, लेकिन इससे अफवाहों को नहीं रोका जा सकता

FP Staff

आम चुनावों से पहले राजनीति में प्रवेश करने वाले सभी अफवाहों को खारिज करते हुए, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश कुरियन जोसेफ ने एक विशेष साक्षात्कार में न्यूज़ 18 को बताया कि उन्हें अब अपने गृह राज्य केरल से चुनाव लड़ने में कोई दिलचस्पी नहीं है.

जस्टिस जोसेफ ने खुलासा किया कि बीते नवंबर में रिटायर होने के बाद सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाले एलडीएफ और कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ दोनों ने टिकट देने के लिए उनसे संपर्क किया था. लेकिन चुनावी मैदान में उतरने के लिए मैंने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई.


न्यूज़ 18 के अनुसार केरल के राजनीतिक दल शिविर पिछले कुछ महीनों से यह अंदेशा लगा रहे थे कि जोसेफ राजनीति में प्रवेश करने वाले हैं.

एक साफ छवि वाले न्यायाधीश, जिन्होंने न्यायपालिका में पारदर्शिता के लिए संघर्ष किया, से दोनों मोर्चों को उम्मीद थी कि वह लोगों का समर्थन हासिल करने में उनकी मदद कर सकते हैं. उनका मानना था कि जोसेफ जैसी हस्तियां बीजेपी को अपने 'धर्मनिरपेक्ष साख' के साथ एक अच्छी टक्कर दे सकती हैं.

दोनों पक्ष के कई लोग मुझसे पूछ रहे थे कि क्या मैं (कोट्टायम, एर्नाकुलम, त्रिशूर और चालकुडी आदी से चुनाव लड़ना चाहता हूँ) लेकिन मैंने उनसे कहा कि यह निर्वाचन क्षेत्र का सवाल नहीं, बल्कि मेरी दिलचस्पी का सवाल है.

रिटायरमेंट के बाद, दिल्ली में वापस रहने का फैसला किया

जोसेफ ने कहा कि 'उन्होंने कांग्रेस और लेफ्ट दोनों को बताया था कि वह केरल में कोई भी चुनाव लड़ने में दिलचस्पी नहीं रखता. और मैं आगामी चुनाव नहीं लड़ूंगा.'

अपनी सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद, पूर्व न्यायाधीश ने न्यूज़ 18 को बताया कि उनकी राजनीति में शामिल होने की कोई योजना नहीं थी, लेकिन इससे अफवाहों को नहीं रोका जा सकता. अभी भी अफवाहें जारी ही है.

इस सवाल पर कि वह राजनीतिक दलों से क्यों आकर्षित होते हैं, 'उन्होंने कहा कि शायद ऐसा इसलिए था क्योंकि लोग उनसे प्यार करते थे. 'लोग मेरे स्टैंड से प्यार करते थे, वे मुझे राजनीति में देखना चाहते हैं.'

अभूतपूर्व प्रेस कॉन्फ्रेंस में जोसेफ के हस्तक्षेप को केरल में उत्सुकता से देखा गया क्योंकि वह राज्य के एकमात्र न्यायाधीश थे जिन्होंने इस तरह का साहसिक कदम उठाया था. उन्होंने पिछले साल अगस्त में राज्य में आई बाढ़ के बाद धन जुटाने के अपने प्रयासों के लिए प्रशंसा भी हासिल की थी.

जोसेफ ने अपने रिटायरमेंट के बाद, दिल्ली में वापस रहने का फैसला किया है और सक्रिय रूप से कानूनी क्षेत्र में लगे हुए हैं.