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भारत-चीन के बीच सीमा वार्ताः डोकलाम के बाद विश्वास बहाली के उपायों पर चर्चा

हालांकि विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में इस बात का उल्लेख नहीं किया गया है कि बैठक के दौरान डोकलाम मुद्दे पर चर्चा की गई या नहीं

Bhasha

भारत और चीन शुक्रवार को इस बात को लेकर सहमत हुए कि सीमा विवाद के पूरी तरह हल होने तक सीमावर्ती इलाकों में शांति और धैर्य की जरूरत है. सीमा के मुद्दे पर दोनों देशों के बीच हुई विशेष प्रतिनिधि स्तर की बैठक में डोकलाम विवाद को पीछे छोड़ते हुए विश्वास बहाली के उपायों पर चर्चा हुई.

विदेश मंत्रालय ने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल और चीन के स्टेट काउंसलर यांग जिएची के बीच हुई बातचीत को ‘सकारात्मक’ बताया.


डोकलाम में 73 दिन तक चले सैन्य गतिरोध के बाद पहली सीमा वार्ता के दौरान दोनों पक्षों ने संबंधों को और मजबूत करने की जरूरत को रेखांकित किया. उन्होंने एक-दूसरे की चिंताओं, संवेदनाओं और आकांक्षाओं का सम्मान करते हुए मतभेदों के पारस्पर स्वीकार्य समाधान की बात की.

डोकलाम विवाद पर बात हुई या नहीं, इसका खुलासा नहीं

हालांकि विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में इस बात का उल्लेख नहीं किया गया है कि बैठक के दौरान डोकलाम मुद्दे पर चर्चा की गई या नहीं. हालांकि बीजिंग में चीन के विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने इसे टालते हुए कहा कि यह तंत्र सीमा मुद्दों पर बातचीत के लिए उच्च स्तरीय माध्यम होने के साथ-साथ चीन और भारत के बीच सामरिक संपर्क के लिहाज से भी महत्वपूर्ण मंच है.

डोकलाम विवाद की शुरुआत 16 जून को हुई थी, जब भारतीय सैनिकों ने भूटान के दावे वाले इलाके में चीन की सेना को सड़क बनाने से रोका था. दोनों सेनाओं के बीच यह गतिरोध 28 अगस्त को समाप्त हुआ था. विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि दोनों पक्ष सीमा विवाद के अंतिम समाधान तक शांति और धैर्य रखने की जरूरत को लेकर सहमत हुए. इस संबंध में विशेष प्रतिनिधियों ने विश्वास बहाली के विभिन्न उपायों पर चर्चा की.

दोनों देशों के बीच हुई यह बातचीत रही सकारात्मक

बयान में कहा गया है कि बातचीत सकारात्मक रही और दोनों देशों के बीच नजदीकी विकास भागीदारी को अधिकतम स्तर पर ले जाने पर केंद्रित रही. डोवाल और यांग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की और उनको बातचीत का ब्योरा दिया. मोदी ने कहा कि भारत-चीन के बीच प्रगाढ़ संबंध दोनों देशों के लोगों के पारस्परिक लाभ के साथ-साथ क्षेत्र और विश्व के लिहाज से भी महत्वपूर्ण हैं.

विशेष प्रतिनिधियों ने पहले की दौर की वार्ताओं की व्यापक समीक्षा की और इस बात पर सहमत हुए कि सीमा मुद्दे का जल्द समाधान दोनों देशों के हित में है. उन्होंने भारत-चीन सीमा मुद्दे के जल्द से जल्द उचित, तार्किक और परस्पर स्वीकार्य समाधान को लेकर अपनी प्रतिबद्धता पर फिर से जोर दिया.

विशेष प्रतिनिधियों ने भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति पर भी चर्चा की और लगातार संपर्क बनाए रखने एवं सभी क्षेत्रों में संबंधों में प्रगति को लेकर सहमत हुए.

दोनों देशों के बीच अच्छा रिश्ता एशिया एवं विश्व के हित में

विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि दोनों ने इस बात को स्वीकार किया कि दो बड़े विकासशील देश अपने राष्ट्रीय आधुनिकीकरण में लगे हुए हैं. भारत एवं चीन का रिश्ता द्विपक्षीय आयामों से भी अधिक अहम एवं एशिया और विश्व में शांति, स्थिरता और विकास के लिहाज से महत्वपूर्ण है. दोनों पक्षों ने आपसी हित के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की.

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने साथ ही कहा कि विशेष प्रतिनिधियों की यह व्यवस्था बहुत अच्छे से कार्य कर रही है. प्रवक्ता ने कहा कि हमें आशा है कि भारतीय पक्ष सीमा क्षेत्र में शांति बनाये रखने को लेकर मौजूदा तंत्र से सर्वश्रेष्ठ परिणाम प्राप्त करने के लिए चीन के साथ मिलकर काम करेगा, जिससे हम द्विपक्षीय संबंधों को अनुकूल बना सकेंगे.