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बुकमाईछोटू ऐप दिखाता है, नहीं मिटेगी अमीर-गरीब की खाई

नोट बदलने के काम के लिए आप 'छोटू' की सेवाएं ले सकते हैं...

Manik Sharma

सरकार के 500-1000 के पुराने नोट बंद करने की घोषणा के बाद 21 नवंबर को फेसबुक पर एक पोस्ट प्रकाशित हुई. यह पोस्ट दिल्ली की स्टार्टअप कंपनी बुकमाईछोटू (BookMyChotu) ने फेसबुक पर डाली थी.

इसमें कहा गया था कि नोट बदलने के काम के लिए आप 'छोटू' की सेवाएं ले सकते हैं. जो लाइन में लगने के लिए आपसे कुछ पैसे लेंगे, घंटे के हिसाब से. 'छोटू' आम तौर पर होटल या छोटी-मोटी दुकानों पर काम करने वाले बच्चों को पुकारा जाता है.


इस पोस्ट की शुरुआत में सवाल था, 'आपके पास पैसों की कमी है? आपको बैंक या एटीएम की लाइन में लगने के लिए कोई मदद चाहिए?'

यह पोस्ट इस बात की मिसाल है कि कैसे नकदी का मौजूदा संकट गरीब तबके के लोगों के शोषण की वजह बनता जा रहा है.

फर्स्टपोस्ट ने एक कर्मचारी को किराए पर लिया, ताकि ये समझा जा सके कि यह काम कैसे होता है?

बुकमाईछोटू की ये पोस्ट फेसबुक पर बहुत शेयर की गई थी. लोगों ने इसकी निंदा की थी. इससे लगा था कि कहीं यह सर्विस बंद न कर दी गई हो. फर्स्टपोस्ट ने BookMyChotu की वेबसाइट पर जाकर 22 नवंबर के लिए ऑनलाइन बुकिंग की. हमें इसका कन्फर्मेशन मेल तो मिल गया, लेकिन इसके बारे में कोई कॉल नहीं आई.

अगले दिन जब हमने वेबसाइट पर दिए गए नंबर पर फोन किया तो एक शख्स ने फोन उठाया. उसने अपना नाम नहीं बताया लेकिन हमारी बुकिंग पर मुहर लगाई. लेकिन यह भी कहा, 'अब डिमांड ज्यादा हो गई है, सर. मैं आपको दूसरा नंबर देता हूं.'

जब फर्स्टपोस्ट ने उसे बताया कि हमें किसी और सेवा के लिए नहीं बल्कि अपनी जगह लाइन में खड़े होने के लिए मदद चाहिए, तो उस शख़्स ने कहा, 'हां, मिल जाएंगे सर.' लड़के रोज लाइन में लगते हैं. कंपनी का दफ्तर तो नोएडा में है लेकिन वह पूरी दिल्ली में सेवाएं देने का दावा कर रहे थे. जब हमने उस शख्स से पूछा कि कोई दिक्कत तो नहीं होगी. उसने कहा, 'नहीं सर, कोई प्रॉब्लम नहीं. लड़के पूरा दिन हर जगह के लिए निकल रहे हैं'.

23 नवंबर को कंपनी के सीईओ सतजीत सिंह बेदी ने हिंदुस्तान टाइम्स में अपनी कंपनी की सेवा पर सफाई दी थी. बेदी ने कहा कि उन्हें यह आइडिया उस वक्त मिला जब उनकी मां बीमार थीं और उन्हें पैसों की सख्त जरूरत पड़ी.

हालांकि कंपनी की सेवा में कोई शर्त नहीं कि फलां हालात में ही आपको यह सेवा मिलेगी. सच तो ये है कि आपकी जेब में पैसे हों, तो आप अपनी जगह पैसों की लाइन में खड़े होने के लिए किराए पर आदमी ले सकते हैं.

आज नकदी के संकट से भले ही ये सेवा लोकप्रिय हो रही हो. लेकिन फर्स्टपोस्ट ने ये मसला जुलाई में ही उठाया था कि किस तरह सामंती मानसिकता से गरीबों का शोषण हो रहा है.

आज नोट बैन की वजह से नकदी का जो संकट है उसमें BookMyChotu का किराए पर लोगों को देने का धंधा जोर-शोर से चल रहा है. यानी नोट बैन तो रईसों की ऐश का जरिया बन गया है.

अमीर, पैसों के बूते पर गरीबों को किराए पर लेकर अपनी जगह लाइन में खड़े होने को मजबूर कर सकते हैं. इस तरह तो नोटों पर पाबंदी, गरीबों के शोषण का जरिया बन गई है.

साफ है कि बराबरी का हक, नारेबाजी के लिए तो बहुत अच्छा है. लेकिन आपके पास पैसे हों तो आप आसानी से उनकी मदद से कोई भी सेवा ले सकते हैं. भले ही इससे गरीबों का शोषण हो. इस एक मिसाल से साफ है कि नोटबंदी से अमीर-गरीब के बराबर होने का दावा कितना खोखला है.

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