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दिल्ली: GTB अस्पताल में शुरू हुआ बोन बैंक, डोनेट की गई हड्डियों से होगा इलाज

आर्टिफिशियल की जगह ओरिजिनल हड्डियां कैविटी की जगह काम आ सकेंगी या अगर किसी ऑपरेशन के कारण कोई बोन खत्म हो जाती है तो भी बोन बैंक से हड्डी ली जा सकती है

FP Staff

हड्डी की शिकायत से पीड़ित मरीजों का इलाज अब आर्टिफिशियल की जगह डोनेट की गई हड्डियों से होगा. दिल्ली के गुरु तेग बहादुर अस्पताल में शनिवार से "बोन बैंक" की शुरुआत हो चुकी है. यह दिल्ली सरकार के किसी अस्पताल में पहला बोन बैंक होगा अभी तक सिर्फ एम्स में ऐसा बैंक मौजूद है. आपातकालीन मामलों में मरीजों की हड्डियां क्षतिग्रस्त होने पर बोन बैंक में दान की गई हड्डियों से मदद ली जा सकेगी.

यह बैंक आई बैंक की तरह है. इसमें दान की गई या ऑपरेशन के दौरान निकाली जाने वाली हड्डियों को डीप फ्रीजर में -40 से -70 डिग्री सेल्सियस पर रखा जाएगा. इन हड्डियों का इस्तेमाल बोन ट्यूमर निकालने के बाद खाली जगह को भरने, जोड़ प्रत्यारोपण जैसे कामों में होगा. दुर्घटना के मामलों में लोगों की हड्डियां टूट जाती हैं, कई मरीजों की हड्डियां कैंसर या किसी तरह के ट्यूमर की वजह से खराब हो जाती है. वह बैंक से ऐसे मरीजों को दूसरी हड्डियां लगाई जा सकेगी.


दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि इस बैंक से मरीजों को काफी फायदा होगा. अभी तक हड्डी टूटने पर आर्टिफिशियल या फिर शरीर की ही हड्डी काटकर लगाई जाती थी. कई बार बच्चों के मामलों में काफी परेशानी होती है. दिल्ली में सिर्फ AIIMS में ही इस तरह का बोन बैंक था. उन्होंने बताया कि साल 2017 में GTB हॉस्पिटल में हड्डी से जुड़े 1 लाख 33 हजार मरीजों का इलाज हुआ. अधिकतर मामलों में देखा गया है कि मरीजो को हड्डी की जरूरत होती है. टाइम पर हड्डियां नहीं मिलने पर मरीज को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

वहीं जीटीबी अस्पताल के हड्डी विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर अनिल जैन ने बताया कि बोन बैंक बन जाने से काफी मदद मिलेगी. बोन बैंक के जरिए हड्डी के पेशेंट्स को सबसे ज्यादा राहत मिलेगी. उन्होंने बताया कि अगर किसी मरीज की हड्डी में ट्यूमर की वजह से खालीपन आ जाता है तो बोन बैंक में आई हड्डियों के जरिए उस खालीपन को भरा जा सकेगा.

आर्टिफिशियल की जगह ओरिजिनल हड्डियां कैविटी की जगह काम आ सकेंगी या अगर किसी ऑपरेशन के कारण कोई बोन खत्म हो जाती है तो भी बोन बैंक से हड्डी ली जा सकती है. उन्होंने बताया कि GTB हॉस्पिटल में कई राज्यों के लोग इलाज के लिए आते हैं. इस बैंक से उन्हें काफी मदद मिलेगी इसके साथ ही अंगदान के प्रति भी लोगों को जागरुक करना सबसे ज्यादा आवश्यक है. अभी अंगदान के प्रति लोग इतने जागरुक नहीं है जितना कि होना चाहिए

दिल्ली के गुरु तेग बहादुर अस्पताल में कई राज्यों के लोग इलाज कराने के लिए आते हैं. बिहार के सतपुरा जिले से इलाज कराने आए सूरज कुमार ने बताया कि उनके रिश्तेदार को बिहार में सही इलाज नहीं मिला. वे किसी दोस्त के कहने पर इस अस्पताल में इलाज कराने के लिए आए हैं. यहां बेहतर इलाज मिल रहा है और जल्दी ऑपरेशन भी होगा. उन्होंने यह भी बताया कि 1 बैंक बन जाने से हड्डी की बीमारी वाले लोगों को काफी मदद मिलेगी. कभी-कभी एक्सीडेंट में हड्डियां टूट जाती है तो ऐसे में बोन बैंक से ली गई हड्डी से उस मरीज का इलाज भी किया जा सकेगा.

(न्यूज-18 के लिए रचना उपाध्याय की रिपोर्ट)