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HC की BMC को फटकार: निजी शौचालयों को किससे पूछकर बनाया सार्वजनिक?

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा, 'स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय बनाने की यह आपकी जिम्मेदारी थी. आपने यह तो नहीं किया लेकिन निजी शौचालयों को ही सार्वजनिक शौचालय में बदल दिया'

FP Staff

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) के निजी शौचालयों को सार्वजनिक शौचालय में बदलने के कदम पर सवाल उठाया है. मंगलवार को अदालत ने पूछा कि ऐसा नियम कौन से कानून के अंतर्गत किया गया है.

यहां बता दें कि बीएमसी ने पिछले दिनों स्वच्छ भारत मिशन के तहत निजी शौचालयों को सार्वजनिक शौचालय में बदलने का निर्देश जारी किया था.


एनडीटीवी के अनुसार जस्टिस ए एस ओका और रियाज इकबाल चागला की डिविजनल बेंच ने मुंबई के विभिन्न पेट्रोल पंप मालिकों और पेट्रोल पंप असोसिएशन की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही.

याचिका में बीएमसी के 22 दिसंबर, 2017 के उस आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई है जिसमें पेट्रोल पंपों पर साइनबोर्ड लगाकर कहा गया है कि ग्राहक वहां बने शौचालयों का इस्तेमाल कर सकते हैं.

बेंच ने कहा, 'स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय बनाने की यह आपकी जिम्मेदारी थी. आपने यह तो नहीं किया लेकिन निजी शौचालयों को ही सार्वजनिक शौचालय में बदल दिया.'

मुंबई स्थित बीएमसी का दफ्तर

याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट से कहा था कि बीएमसी ने उन्हें स्वच्छ भारत मिशन के तहत आम जनता के इस्तेमाल के लिए पेट्रोल पंप परिसर में शौचालय बनाने का निर्देश दिया था. उन्होंने यह भी कहा कि बीएमसी ने इसके लिए कई पेट्रोल पंपों पर साइनबोर्ड तक लगाए थे.

अदालत ने पूछा कि बीएमसी किस बिनाह या ताकत पर निजी शौचालयों को सार्वजनिक शौचालय में बदलना चाहता है.

सुनवाई के दौरान बीएमसी के वकील ने कहा कि बीएमसी ने केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत मिशन को आगे बढ़ाने के लिए ऐसा किया था.