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नोटबंदी: इंदिरा ने दी थी सलाह, मोदी ने कर दिखाया

मोदी इंदिरा गांधी नहीं हैं और यह 2016 है, 1974 नहीं.

Yatish Yadav

8 नवंबर की रात जब प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी की घोषणा करके 500 और 1000 रूपए के नोटों को कागज के टुकड़ों में बदल दिया, तब उन्हें यह मालूम था कि अगली सुबह ‘जीरो बैलेंस’ वाले कई खातों में अचानक खलबली मच जाएगी.

काले धन पर इंदिरा के बाद मोदी की पहल


मोदी इंदिरा गांधी नहीं हैं और यह 2016 है, 1974 नहीं. उस समय के हेवी इंडस्ट्री उद्योग मंत्री टी. ए. पाई ने इंदिरा गांधी को कहा था: ‘नोट का कोई रंग नहीं होता है, न यह सफेद होता है और न ही काला’. (प्रधानमंत्री कार्यालय से काले धन पर उजागर हुई फाइल, 37न.(465)/74 पीएमएस). इंदिरा गांधी ने 24 अगस्त, 1974 को सभी मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिख कर यह निर्देश दिया था कि ऐसे ‘बड़े लोगों’ पर वो ‘कड़ी कारवाई’ करें. इस वजह से इंदिरा गांधी का यह कदम लोगों और संसद की नजर में पहले ही आ गया था. मोदी और उनके महकमे ने पहले से ही गैरकानूनी धन के हर पहलू की जांच कर ली थी. भले ही इस वजह से सरकार की कड़ी निंदा ही क्यों न हुई हो.

मोदी की घोषणा से घंटों पहले, फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट 'फीनेक्स सर्वर' (एफआईयू- आईएनडी द्वारा संचालित) को अपग्रेड किया गया. कैश ट्रांजेक्शन रिपोर्टों ( सीटीआर) और संदिग्ध ट्रांजेक्शन रिपोर्टों (एसटीआर) को समय रहते देशभर के सरकारी और निजी बैंकों से मंगवाकर फिर से जांचा गया. इससे प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद जीरो बैलेंस खातों में किसी भी तरह के हलचल की खबर बैंकों के जरिए एफआईयू और अन्य काले धन को रोकने में लगी अन्य एजेंसियों को मिल जाएगी. अगर इन खातों में लेन-देन संबंधी किसी भी तरह की गड़बड़ी की आशंका हुई तो बैंक और इंटेलिजेंस के अफसर इसकी साथ मिलकर जांच करेंगे.

जनधन खातों पर भी सरकार की नजर 

सरकार के एक बड़े अफसर ने कहा कि जैसा कि उन्हें पहले से अनुमान था, जनधन खातों (ये खाते कमजोर तबकों और निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए खोली गई हैं) में हल्की गतिविधियों की रिपोर्ट बिहार, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और मध्य-प्रदेश से आई है. हालांकि वित्त मंत्रालय ने यह साफ-साफ कहा है कि बैंकों में 2.50 लाख तक की जमा पर कोई आयकर टैक्स नहीं लिया जाएगा, लेकिन जीरो बैलेंस खातों और जनधन खातों में किसी भी तरह की संदिग्ध गतिविधि, वित्त और इंटेलिजेंस एजेंसियों की नजर में रहेंगी.

नोटबंदी के फैसले के बाद बैंकों के डाटा की, एजेंसियों द्वारा बड़े पैमाने पर की जा रही जांच का कारण बताते हुए अफसरों ने कहा कि बहुत से जमाखोर अपने कालेधन को बदलने की कोशिश में छोटे जमाकर्ताओं के खातों को ‘किराए’ पर ले सकते हैं. यह इंडियन पीनल कोड के सेक्शन 420 और 120 (बी) के तहत न सिर्फ दंडनीय अपराध है बल्कि यह प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के भाग 3 और 4 के अंतर्गत काले धन के कानूनी बैंकिंग चैनल के जरिए जमा और लेन-देन के तहत भी आता है.

आसान नहीं होगा काले धन को सफेद करना

अफसरों ने चेतावनी दी है, ‘जो अपने काले धन को सफेद करने के लिए गैरकानूनी रास्तों का इस्तेमाल करके चैन की सांस ले रहे हैं, जल्दी ही उनके दरवाजे पर दस्तक होगी.’

एफआईयू घरेलू जासूसी एजेंसियों, आईबी के साथ इस डेटा को साझा करेगी. इससे अफसरों की एक ऐसी टीम तैयार होगी जो इसका स्वतंत्र रूप से विश्लेषण करेगी और बैंकों को ऐसे संदिग्ध खातों को तुरंत फ्रीज करने को कहेगी.

अभी चल रही इस प्रक्रिया से जुड़े एक गुप्त सूत्र ने कहा, ‘इस तरह के सभी संदिग्ध खातों की जानकारी राज्य सरकारों से साझा की जाएगी. संदिग्ध हलचल वाले जीरो बैलेंस और जनधन के खातों के साथ-साथ सभी सीटीआर और एसटीआर को अगले कुछ सप्ताह में फ्रीज करने आदेश दिया जा सकता है.’ उसने यह भी बताया कि कोर बैंकिंग के सॉफ्टवेयर को मैनुअली भी देखा जा रहा है.

सरकार की नोट ने यह भी सलाह दी है कि कार्ड पेमेंट गेटवेज (सीपीजी), रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट सिस्टम्स (आरजीटीएस) और नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर (एनईएफटी) पर करीब से नजर रखी जाए. 11 नवंबर को इंटेलिजेंस ने यह सूचना दी थी कि काले धन के कुछ एंटरप्राइज ऑनलाइन लेन-देन द्वारा गैरकानूनी धन को सफेद करने के लिए 40 फीसदी कमीशन ले रहे हैं. इन माध्यमों से 5 लाख रूपए से अधिक के लेन-देन वाले बैंक खातों पर रोक लगा दी जाएगी. इसके बाद इस तरह के लेन-देन की प्रकृति और महत्व की विशेष जांच की जाएगी.

सभी चोर दरवाजे बंद

जून 1972 में गुजरात के कांग्रेस नेता सोमजीभाई दामोर ने इंदिरा गांधी से कहा था कि जमाखोरों को अपना काला धन नई करेंसी में तब्दील करने की छूट मिलनी चाहिए. उनकी सलाह थी कि इससे बैंकों में धन और परिसंपत्तियां जमा होंगी. (प्रधानमंत्री कार्यालय से काले धन पर उजागर हुई फाइल, 37न.(465)/74 पीएमएस). दामोर का यह हास्यास्पद विचार सत्ता के करीब गिरोहों को आम माफी देने के लिए था. 44 साल बाद मोदी ने ऐसे लोगों को बिना कोई मौका दिए एक चपेट में पकड़ लिया.

सीटीआर और एसटीआर के अलावा मोदी सरकार ने उन सभी रास्तों पर बैरिकेट लगा रखा है, जिसका इस्तेमाल जमाखोर टैक्स से बचने के लिए कर सकते हैं. सूत्रों ने यह भी बताया कि एफआईयू और आईबी ने मनी ट्रांसफर सर्विस स्कीम (एमटीएसएस) जैसे वेस्टर्न यूनियन, मनी ग्राम और यूएई एक्सचेंज में प्रतिदिन होने वाले भारी लेन-देन पर नजर रखे हुए है और किसी भी संदिग्ध लेन-देन की जांच और रिपोर्ट संबंधित अफसरों को दी जाएगी.

इसके साथ-साथ मोदी का उद्देश्य जाली नोटों के गिरोहों का अर्थव्यवस्था से खात्मा भी है. इस खेल बदल देने वाली चाल से मोदी ने पाकिस्तान में चल रहे जाली नोटों की मशीनों को बंद करने पर मजबूर कर दिया है. भारत में इन जाली नोटों की मशीनों की तस्करी मध्य-पूर्व, दक्षिण एशिया और चीन के स्वतंत्र अपराधिक गिरोहों द्वारा यूएई, मलेशिया, थाईलैंड और श्रीलंका से होते हुए नेपाल और बांग्लादेश के रास्ते होती है. भारत इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कई सालों से उठा रहा है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा कौंसिल और फाइनेंसियल टास्क फोर्स (एक अंतर-सरकारी संस्था) को भारी मात्रा में डॉक्यूमेंट और डोजियर्स सौंपे गए लेकिन वांछित परिणाम नहीं मिला, जब तक कि पिछले सप्ताह मोदी ने पाकिस्तान के आईएसआई के हर तरह की चाल को मात नहीं दे दी.

हालांकि इंदिरा गांधी अपने मजबूत लीडरशिप के लिए जानी जाती हैं लेकिन वह भी काले धन की जड़ को काट नहीं पायी. उन्होंने अपने वित्त मंत्री वाई.बी. चव्हाण से मई 1971 में कहा था कि ‘काले धन की समस्या सिर्फ उसी व्यक्ति द्वारा दूर की जाएगी जो इसके बारे में बहुत गहराई से अनुभव करता है.’ (प्रधानमंत्री कार्यालय से काले धन पर उजागर हुई फाइल, 37न.(465)/74 पीएमएस).

क्या नरेंद्र मोदी वह व्यक्ति हैं जिसके बारे में इंदिरा ने कहा था?