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सबरीमला मंदिर में दर्शन के लिए जा सकते हैं बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह

शाह ने कहा था कि यदि राज्य सरकार ने श्रद्धालुओं को आहत करना बंद नहीं किया तो भाजपा कार्यकर्ता उसे गिराने के लिए बाध्य होंगे. शाह की टिप्पणी पर विजयन की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया जताई गई थी

FP Staff

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने पहाड़ी पर स्थित सबरीमला मंदिर की 17 नवम्बर से शुरू होने वाली वार्षिक तीर्थयात्रा अवधि के दौरान मंदिर में दर्शन पूजन की इच्छा जताई है. शाह ने भगवान अयप्पा मंदिर में सभी आयुवर्ग की महिलाओं के प्रवेश का विरोध कर रहे श्रद्धालुओं के प्रति अपनी पार्टी का समर्थन व्यक्त किया है.

बीजेपी की केरल इकाई के एक वरिष्ठ नेता ने तिरूवनंतपुरम में कहा, ‘बीजेपी अध्यक्ष ने सबरीमला मंदिर जाने की इच्छा जताई है. हालांकि अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है.’


सुप्रीम कोर्ट द्वारा सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 वर्ष आयुवर्ग की महिलाओं के प्रवेश पर से रोक हटाने के फैसला सुनाया था. और राज्य सरकार ने कोर्ट के इस फैसले को लागू करने का निर्णय लिया था. राज्य की एलडीएफ सरकार के इस निर्णय के खिलाफ श्रद्धालुओं के आंदोलन को बीजेपी की ओर से पूर्ण समर्थन की घोषणा करने के कुछ दिनों बाद ही शाह ने मंदिर में जाने की जताई है.

आग से खेल रही है केरल सरकार:

शाह ने सबरीमला प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मुख्यमंत्री पिनारई विजयन की तीखी आलोचना करते हुए पिछले हफ्ते दावा किया था कि राज्य में ‘आपातकाल जैसी’ स्थिति है. उन्होंने राज्य सरकार पर ‘आग से खेलने’ का आरोप लगाया था.

शाह ने कहा था कि यदि राज्य सरकार ने श्रद्धालुओं को आहत करना बंद नहीं किया तो भाजपा कार्यकर्ता उसे गिराने के लिए बाध्य होंगे. शाह की टिप्पणी पर विजयन की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया जताई गई थी. विजयन ने बीजेपी अध्यक्ष की चेतावनी को सुप्रीम कोर्ट, संविधान और देश की न्यायिक प्रणाली पर ‘हमला’ करार दिया है.

मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के निर्णय के खिलाफ लोगों द्वारा किए जा रहे प्रदर्शनों के संबंध में रविवार तक पुलिस 3500 से अधिक व्यक्तियों को गिरफ्तार कर चुकी है. मंदिर परिसर और आधार शिविरों में बड़ी संख्या में रह रहे श्रद्धालुओं ने 17 और 22 अक्टूबर के बीच मंदिर के मासिक पूजा के लिए खुलने के दौरान माहवारी आयुवर्ग वाली कम से कम 12 महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने से रोक दिया था.

आंदोलन तेज करते हुए एनडीए ने प्रसिद्ध मंदिर की परंपराओं की रक्षा के लिए रविवार को कासरगोड से सबरीमला तक आठ नवम्बर से छह दिवसीय रथयात्रा निकालने की घोषणा की. विभिन्न अन्य आंदोलनों में राज्य के डीजीपी के तिरूवनंतपुरम स्थित कार्यालय के बाहर अनशन करना भी शामिल है.