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पिता की विरासत के दम पर क्या आंध्र के CM बन पाएंगे जगन मोहन

BIRTHDAY SPECIAL JAGAN MOHAN REDDY: 2014 के विधानसभा चुनावों में जगन मोहन रेड्डी नेता प्रतिपक्ष की गद्दी पर बैठने में तो कामयाब हो गए लेकिन क्या पिता की विरासत उन्हें सीएम की कुर्सी भी दिलवा पाएगी

FP Staff

संयुक्त आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे वाईएसआर रेड्डी के बेटे जगन मोहन रेड्डी का आज जन्मदिन है. वाईएसआर रेड्डी आंध्र प्रदेश में कांग्रेस के सबसे कद्दावर नेता थे और उनकी अचानक मौत के बाद ही जगन मोहन की राजनीतिक कहानी वास्तविकता में शुरू हुई. हालांकि जगन मोहन रेड्डी राजनीतिक मैदान में अपने पिता की मौत से पहले ही आ चुके थे. साल 2009 के लोकसभा चुनाव से उन्होंने राजनीति में पदार्पण किया था. इससे पहले 2004 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस पार्टी के लिए प्रचार भी किया था.

पिता की मौत के बाद जगन मोहन रेड्डी के पास राजनीतिक विरासत एकदम से आन पड़ी. पिता की मौत के छह महीने बाद जगन ने राज्य में एक यात्रा शुरू की. इस यात्रा का का नाम था ओडारपू यात्रा ( कॉन्डोलेंस टूअर ). इस यात्रा के दौरान वो उन लोगों के परिवार वालों से मिलना चाहते थे जिन्होंने कथित तौर वाईएसआर की मौत के बाद खुदकुशी कर ली थी. लेकिन इस यात्रा के दौरान जगन मोहन की शीर्ष नेतृत्व से खटपट हो गई. कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व की तरफ जगन मोहन को निर्देश दिए गए कि वो इस यात्रा को बंद कर दें. लेकिन जगन मोहन नहीं माने और बाद ये दरार बढ़ती गई.


कांग्रेस पार्टी छोड़कर जगन ने अपने पिता के नाम पर वाईएसआर कांग्रेस की स्थापना की और कपाड़ा क्षेत्र से हुए उपचुनाव में वाईएएसआर कांग्रेस के अध्यक्ष के तौर पर चुनाव में खड़े हुए और इस बार उन्होंने करीब साढ़े पांच लाख वोटों से जीत हासिल की.

इसके बाद जगन राज्य की राजनीति में धीरे-धीरे करके अपनी जगह बनाते चले गए. हालांकि साल 2011 में जगन मोहन को आय से अधिक संपत्ति के मामले में जेल भी जाना पड़ा था. इस केस में जगन को करीब 16 महीनों तक जेल के भीतर रहना पड़ा था. इस दौरान उनकी बहन वाई.एस. शर्मिला पार्टी का पूरा काम-काज देख रही थीं. इस दौरान बहुत सारे राजनीतिक विश्लेषकों ने जगन मोहन के करियर का अंत मानकर मर्सिया भी पढ़ दिया था. लेकिन जगन बाहर और राज्य की राजनीति में अपनी पैठ फिर से कायम की.

अपने ऊपर की गई कार्रवाई को जगन ने राजनीति से प्रेरित बताया था. जगन का इशारा कांग्रेस नेतृत्व की तरफ था. जगन मोहन रेड्डी तेलंगाना को आंध्र प्रदेश से अलग किए जाने के विरोधी थे. जब वो जेल में थे तभी उन्होंने यूपीए सरकार के तेलंगाना के अलग राज्य को दर्जा दिए जाने के फैसले के खिलाफ भूख हड़ताल की थी.

2014 का चुनाव और वाईएसआर कांग्रेस

2014 के चुनाव में राज्य के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू बने लेकिन 175 में 67 सीटें जीतकर जगन मोहन रेड्डी नेता प्रतिपक्ष बनने में कामयाब रहे. ये उनके नेतृत्व में पार्टी का पहला विधानसभा चुनाव था. जगन मोहन उसके बाद राज्य की राजनीति में 'की प्लेयर' बने हुए हैं. साल 2017 में राज्य में 3000 किलोमीटर की प्रजा संकल्प यात्रा की.

अब 2019 में राज्य में एक बार फिर विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. जगन मोहन रेड्डी के बारे में कहा जा रहा है कि इन चुनावों में उनका प्रदर्शन पिछले चुनाव से बेहतर होगा. राज्य में प्रशंसकों की बड़ी संख्या है जो जगन मोहन को उनके पिता की तरह राज्य के सीएम के तौर पर देखती है.