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साड़ी पर रामायण उकेरने वाले बुनकर को ब्रिटेन में डाक्टरेट की उपाधि

बसाक ने बताया कि धागों में रामायण की कथा उकेरने की तैयारी में उन्हें एक साल का समय लगा. जबकि दो वर्ष उसे बुनने में लगे

Bhasha

पश्चिम बंगाल के नादिया जिले के बिरेन कुमार बसाक ने 20 साल पहले छह गज की एक साड़ी बुनी थी. इसपर उन्होंने रामायण के सात खंड उकेरे थे. ब्रिटेन की एक यूनिवर्सिटी ने उनको इसके लिए डाक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया है.

नादिया के फुलिया इलाके के हथकरघा बुनकर बसाक को ब्रिटेन की वर्ल्ड रिकार्ड यूनिवर्सिटी ने डाक्टरेट की डिग्री से सम्मानित किया है. उन्हें नई दिल्ली में पिछले सप्ताह हुए एक समारोह में ये सम्मान दिया गया.


बसाक ने बताया कि धागों में रामायण की कथा उकेरने की तैयारी में उन्हें एक साल का समय लगा. जबकि दो वर्ष उसे बुनने में लगे. उन्होंने 1996 में इसे तैयार किया था. उन्होंने बताया, ‘कोई कथा कहने वाली यह अपनी तरह की पहली साड़ी थी.

चमक खोने लगी है ये साड़ी, करना होगा संरक्षित 

हालांकि बसाक की छह गज की यह जादुई कलाकृति उन्हें इससे पहले भी राष्ट्रीय पुरस्कार, नेशनल मेरिट सर्टिफिकेट अवार्ड, संत कबीर अवार्ड दिला चुकी है. इसके अलावा लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड, इंडियन बुक ऑफ रिकार्ड्स और वर्ल्ड यूनीक रिकार्ड्स में भी उनका नाम दर्ज है.

बसाक के पुत्र अभिनब बसाक का कहना है कि अब ये साड़ी अपनी चमक खोने लगी है और वे इसे संरक्षित करने के लिए प्रयासरत हैं.

मुंबई की एक कंपनी ने वर्ष 2004 में बसाक को इस साड़ी के बदले में आठ लाख रुपए देने की पेशकश की थी, जिसे बसाक ने ठुकरा दिया. अब बसाक की योजना रबीन्द्रनाथ ठाकुर के जीवन को उकेरने की है और इसके लिए वे तैयारी कर रहे हैं.