view all

प्लास्टिक कचरे से बनेगा बायोफ्यूल, अगले दो महीने में शुरू होगा काम: हर्षवर्धन

ई कचरे में आधी से ज्यादा हिस्सेदारी टीवी, मोबाइल फोन और कंप्यूटर जैसे निजी उपकरणों की है, उन्होंने इस पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि वैश्विक स्तर पर सिर्फ 20 प्रतिशत ई कचरा रिसाइकिल हो पा रहा है

Bhasha

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने विभिन्न माध्यमों से निकलने वाले कचरे के पुन: इस्तेमाल के प्रयासों को तेज करने में भारत की प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि देश में जल्द ही पहली बार प्लास्टिक कचरे से जैव ईंधन बनाया जाएगा.

इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के कचरे (ई वेस्ट) के प्रबंधन पर शनिवार को आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए डॉ हर्षवर्धन ने कहा, भारत ने अत्याधुनिक तकनीक के माध्यम से हर तरह के कचरे को ‘संपदा’ में तब्दील करने की मुहिम को तेज करते हुए प्लास्टिक कचरे से जैव ईंधन बनाने में कामयाबी हासिल कर ली है. अगले दो महीने में हम इस संयत्र में प्लास्टिक कचरे से बायो डीजल बनाना शुरू कर देंगे.


सम्मेलन के बाद उन्होंने संवाददाताओं को बताया कि देहरादून स्थित भारतीय पेट्रोलियम संस्थान ने इस अनूठी तकनीक को विकसित किया है और जल्द ही संस्थान में इसका पहला संयत्र शुरू किया जाएगा. इसकी क्षमता प्रतिदिन एक टन प्लास्टिक कचरे से 800 लीटर बायो डीजल का उत्पादन करने की है. उन्होंने बताया कि प्लास्टिक कचरा प्रबंधन की दिशा में इस क्रांतिकारी पहल को देशव्यापी स्तर पर आगे बढ़ाया जाएगा.

अंतरराष्ट्रीय ई वेस्ट दिवस के अवसर पर आयोजित सम्मेलन में जापान के भारत में राजदूत केंजी हीरामात्सु और अंतरराष्ट्रीय वित्त निगम (आईएफसी) के वरिष्ठ कार्यकारी अधिकारी जुन झांग भी मौजूद थे. हीरामात्सु ने पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से कचरा प्रबंधन की दिशा में भारत के गंभीर प्रयासों को वैश्विक स्तर पर लाभप्रद बताया.

बायोमास से एथनॉल बनाने का काम शुरू हो चुका है

विज्ञान और प्रौद्यौगिकी मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि उनके मंत्रालय ने हर तरह के कचरे से ऊर्जा और ईंधन जैसी बहुमूल्य संपदा बनाने का व्यापक अभियान शुरू किया है. इसका नतीजा है कि दिल्ली स्थित बारापुला सीवर संयत्र से प्रतिदिन दस टन बायोमास से तीन हजार लीटर एथनॉल बनाया जा रहा है.

उन्होंने ई कचरा प्रबंधन की दिशा में भारत द्वारा दुनिया के लिए अनुकरणीय उदाहरण पेश करने का भरोसा दिलाते हुए कहा कि साल 2016 के आंकड़ों के मुताबिक वैश्विक स्तर पर प्रति वर्ष 4.47 करोड़ टन ई कचरा निकलता है. इसमें भारत की हिस्सेदारी 20 लाख टन है.

ई कचरे में आधी से ज्यादा हिस्सेदारी टीवी, मोबाइल फोन और कंप्यूटर जैसे निजी उपकरणों की है. उन्होंने इस पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि वैश्विक स्तर पर सिर्फ 20 प्रतिशत ई कचरा रिसाइकिल हो पा रहा है.

डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि दुनिया की 66 प्रतिशत आबादी ही ‘ई कचरा प्रबंधन नियमों’ के दायरे में है. विश्व की दूसरी सर्वाधिक आबादी वाले देश भारत में इन नियमों को और अधिक व्यापक बनाने के लिए मौजूदा नियमों को संशोधित कर लागू किया गया है.

उन्होंने स्वीकार किया कि भारत में अभी सिर्फ पांच प्रतिशत ई कचरे को 275 अधिकृत इकाइयों द्वारा शोधन किया जा रहा है. इसका दायरा बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं.