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बिहार: सरकारी कर्ज ले खुद बनाए शौचालयों को विरोध में तोड़ रहे हैं लोग

शौचालय निर्माण के नौ माह बीत जाने के बाद भी आज तक लोगों को पैसा नहीं मिला

FP Staff

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सात निश्चय योजना बेतिया में दम तोड़ती नजर आ रही है. आलम यह है कि जहां से सीएम नीतीश कुमार ने सात निश्चय योजना की शुरुआत की थी वहीं के लोग अपने हाथों सरकार की योजना का अंतिम संस्कार कर रहे हैं.

मामला शौचालय निर्माण में हुई गड़बड़ी से जुड़ा है. राज्य के मुखिया नीतीश कुमार के लिए पश्चिम चंपारण जिला काफी शुभ माना जाता है और सीएम अपने सारे कार्य यहीं से शुरू करते हैं. इसी सोच के साथ नीतीश कुमार ने अपने सात निश्चय योजना के तहत हर घर नल का जल और घर-घर शौचालय योजना की शुरुआत जिले के नौतन प्रखंड के पकड़िया पंचायत के मुरतिया टोला से पिछले वर्ष की थी.


सीएम के यहां से जाने के बाद से शौचालय बनवा चुके लोग आज अपने हाथ से हीं सरकारी योजना का अस्तित्व मिटाने पर लगे हैं. ग्रामीण नवल पाठक, विकास कुमार ने बताया कि कर्ज लेकर हमने शौचालय बनाया लेकिन हमें पैसे नहीं मिल सके.

9 महीने बीतने पर भी नहीं मिले पैसे

पकड़िया पंचायत के हीं एक दूसरे टोले में भी घर-घर शौचालय निर्माण कराया गया लेकिन पदाधिकारियों की मनमानी के कारण आज तक उन्हें पैसे का भुगतान नहीं हो पाया लिहाजा अब लोग इसे तोड़ने में ही भलाई समझ रहे है. ग्रामीणों के मुताबिक कर्ज लेकर तो उन्होंने किसी तरह शौचालय का निर्माण करा लिया लेकिन अब पैसा नहीं मिलने के कारण दुकानदार इन्हें पैसे के लिए परेशान कर रहे हैं.

सबसे हैरत की बात तो यह है कि तीन माह पहले ही यह पंचायत खुले मे शौच मुक्त भी हो चुका है लेकिन शौचालय निर्माण के नौ माह बीत जाने के बाद भी आज तक लोगों को पैसा नहीं मिला.

जिन लोगों ने अपने से शौचालय का निर्माण करवाया उन्हें एक पैसा भी नहीं मिला जबकि प्रशासन ने ठेकेदारो द्वारा जितने भी शौचालय बनवाया गया उन सभी का भुगतान कर दिया.स्थानीय लोगों रामेश्वर मुखिया, रेखा देवी और दिनेश साह ने भी पैसे के न भुगतान होने को सरकारी उदासीनता का परिणाम बताया.

सूबे के मुखिया नीतीश कुमार ने नवम्बर 2016 मे लोहिया स्वच्छता मिशन के तहत नौतन के पकड़िया पंचायत मे नल का जल और शौचालय का उद्घाटन किया था और आज नौ माह बाद इसी पंचायत के रेखासुंदर पट्टी टोला के नया बस्ती वार्ड नम्बर 3-4 में लोग इस योजना की कमी का खामियाजा भुगतने लगे हैं.