बिहार सरकार ने बुधवार को हड़ताल पर गए राज्य के लगभग 80,000 स्वास्थ्यकर्मियों की सेवा समाप्त करने की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दे दिया है.
ये कर्मचारी कॉन्ट्रैक्ट पर भर्ती किए गए थे और समान काम के लिए समान वेतन की मांग कर रहे थे. प्रधान स्वास्थ्य सचिव आरके महाजन ने सभी जिलाधिकारियों और सिविल सर्जन को एक पत्र लिख कर हड़ताल पर गए इन कर्मियों की जगह नई भर्तियां शुरू करने की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया है ताकि सरकारी अस्पतालों में जरूरी सेवाएं निर्बाध रूप से जारी रखी जा सके.
दरअसल हाल ही में पटना हाईकोर्ट ने यह आदेश दिया था कि कॉन्ट्रैक्ट पर कार्यरत शिक्षकों को नियमित शिक्षकों के बराबर ही वेतन दिया जाए. इसके बाद इन स्वास्थ्यकर्मियों ने भी इसके लिए मांग शुरू कर दी थी.
इन कर्मचारियों में नर्सिंग कर्मचारी, अकाउंटेंट, लैब टेक्नीशियन और स्वास्थ्य प्रबंधक आदि शामिल हैं. इन्हें राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत भर्ती किया गया था. इनके हड़ताल पर जाने से स्वास्थ्य सेवा चरमरा गई थी जिसके बाद सरकार ने यह फैसला किया.
स्वास्थ्यकर्मियों ने दी आत्मदाह की चेतावनी
वहीं कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों के संगठन (सीएचडब्ल्यूए) ने इस आदेश का विरोध किया है. संगठन के अध्यक्ष ललन कुमार ने कहा कि यह उन्हें मजूर नहीं है और वह भूख हड़ताल पर जाएंगे. उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी तो वह सामूहिक आत्मदाह कर लेंगे. वह किसी अस्पताल को चलने नहीं देंगे और कोई भी अवांछित घटना हुई तो इसकी जिम्मेदार सरकार होगी.