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बिहार: हर राजनीतिक घाट का पानी पी चुके हैं ये 'दिमागीलाल'

जीभ पर मिश्री और पॉकिट में गांधी छाप कागज इनका यूएसपी है जिसके बदौलत किसी को भी सटाक से प्रभावित कर देते हैं.

Kanhaiya Bhelari

ये नेताजी काफी शातिर दिमाग के हैं. मूल रूप से नटवर लाल के गांव के बगल के बाशिंदे हैं. जुगाड़ भिड़ाकर बीते 14 अक्टूबर को पीएम नरेंद्र मोदी से पटना एयरपोर्ट पर हाथ मिलाकर कुछ बातें भी कर लीं. पीएम से इसका मिलना एक पुलिस अधिकारी केा बेहद नागवार लगा क्योंकि उस अधिकारी को पता है कि ये ‘वांटेड’ है. फोटो को अपने फेसबुक पर भी डाला था. पोल खुलने के डर से 24 घंटे के अंदर डिलीट कर दिया.

राजनीतिक सर्किल में दिमागीलाल के नाम से मशहूर है. पर तिवारी जी अपने आपको तीसमार खां समझते हैं. और हैं भी. तभी तो बिहार में नशाबंदी है पर जनाब हर रोज शाम को रसमय हो जाते हैं. खास दोस्तों के साथ बैठकी देर रात तक पाटलीपुत्र के आवास में चलती रहती है. इस बात को आला अधिकारी भी जानते हैं. इनका एक मित्र बताता है कि ‘जब चोर-सिपाही साथ-साथ चीयर्स करते हों तो डर किस बात का?’


कुछ साल पहले तक हाथ में लालटेन लेकर चलते थे और पूर्व राजा के छोटका साला के नजदीकी के रूप में काफी सक्रिय रहते थे. दोनों के बीच काफी याराना था. अभी सरकारी पार्टी में अपने ‘रुतबे’ के बदौलत बड़े सांगठनिक पद पर विराजमान है.

आज भी मिल रहा है पुरनका राजा का आर्शीवाद 

जानने वाले कहते हैं जीभ पर मिश्री और पॉकिट में गांधीछाप कागज इनका यूएसपी है जिसके बदौलत किसी को भी सटाक से प्रभावित कर देते हैं. हाल ही में करोड़ों रुपए बहाकर बड़े ही तामझाम से बेटे का जनेऊ संस्कार कराए थे, जिसमें हर क्षेत्र के सूरमाओं ने शिरकत किया था. पुरनका राजा भी आर्शीवाद देने पधारे थे. आगंतुकों ने अपनी आंखों से देखा कि तिवारी और पुरनका राजा के बीच किसी मसले पर घंटों मंत्रणा हुई.

शाम की बैठकी में दो पैग हलक से नीचे उतारने के बाद तिवारी ने दोस्तों के बीच राज खोला कि ‘पुरनका राजा से 2018 राज्यसभा सीट के लिए डील पक्का हो गया. दो करोड़ का उनका डिमांड है. हमने हां कर दिया है. देखना जब हम एमपी बन जाएंगे तो सुशील कुमार मोदी ईर्ष्या और गम में जल-भुनकर कांटा हो जाएंगे.’

दरअसल, डिप्टी सीएम मोदी इस खिलाड़ी के नस-नस से वाकिफ हैं इसीलिए ये उनसे हड़कता है.

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कई मुकदमे में है नाम

तिवारी 1990 के कालखंड में बिहार के कई जगहों पर फर्जी उद्योग लगाकर करोड़ों रुपए का कोयला उठाने और उसे ब्लैक में बेचने का धंधा किया करते थे. तब कुछ महीनों के लिए बिहार सरकार में जगदानंद सिंह उद्योग मंत्री बने. सिंह ने कोयला उठाने वाले फर्जी कंपनियों के खिलाफ जांच शुरू करवा दिया तो तिवारी ने राज्य से फरार होकर मध्यप्रदेश के कटनी में अपना नया ठिकाना बनाया.

वहां भी एक नकली फर्म बनाकर दर्जनों बिजनेसमैनों को करोड़ों का चूना लगाया. क्रिमिनल केस हुआ. गिरफ्तारी के डर से वो भागकर भोपाल आ गए और अपने उपजाऊ दिमाग का प्रयोग करके बिहारी मूल के एक कद्दावर नेता से टांका भिड़ाया. तिवारी स्वयं रोब में कहते हैं कि ‘इसी नेता के बदौलत आज मैं इस मुकाम पर हूं.’

बिहारी नेता जी की कृपा से मध्य प्रदेश के सीधी जिला में गिट्टी बनाने के नाम पर 13 हेक्टर अपने नाम पर 3 हेक्टर पिता के नाम पर पहाड़ का लीज लिया. बैंक से लोन लेकर क्रशर मशीन भी लगाया. बिहार के कैमूर और यूपी के देवरिया जिले के कई बेरोजगार युवकों को बिजनेस पार्टनर बनाने के नाम पर सीधी बुलाकर उनसे लाखों रुपए ठग लिया.

तगादा करने पर (पैसे मांगने पर) केनरा बैंक का एडवांस चेक दिया और पेमेंट के दिन मैनेजर को फोन करके चेक बाउंस करवा दिया. जब एक पुराने परिचित ने मध्यस्थ बनकर पीड़ित युवकों के पक्ष में तिवारी को समझाने की कोशिश की तो इन्होंने पटना के दो थानों में उनके और उनके पुत्र के खिलाफ फर्जी मुकदमा ठोंक दिया. जानकारों ने लेखक को बताया कि ‘एकदम फर्जी मुकदमे हैं. पर क्या करें केस करने वाला ताकतवर नेता है.’

सीधी के कलक्टर न्यायालय से चेक बाउंस होने के केस में हाजिरी के लिए इनके खिलाफ दो बार समन हो चुका है. दूसरा 19 जुलाई को हुआ था. लेकिन ये अभी तक पेश नहीं हुए हैं. बहुत सारा फर्जी लेन-देन अपने पिता के नाम पर भी कर चुके हैं. पिता के खिलाफ भी एमपी और यूपी के कई जगहों पर जालसाजी के मुकदमे चल रहे हैं.

आपके पार्टी में भी इस तरह के धुरंधर खिलाड़ी आसानी से प्रवेश पा जाते हैं और प्रतिष्ठित पद भी प्राप्त कर लेते हैं? इस सवाल पर सरकारी पार्टी के एक नेता ने रोचक जवाब देते हुए कहा कि ‘बीजेपी समुद्र है जिसमें शाकाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार के जंतु विचरण करते हैं. ज्यादातर यहीं पैदा होते हैं पर कुछ नदियों के जीव भूले-बिसरे गीत की तरह आ जाते हैं.’