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बीएचयू बवाल पर क्या कहती है खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट?

रिपोर्ट में कहा गया है कि छात्र आंदोलन के बहाने पीएम के दौरे के समय ही कोई बड़ी घटना बनाने की पूरी तैयारी कर ली गई थी.

Ravishankar Singh

पिछले दिनों बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की छात्राओं पर आधी रात को लाठीचार्ज की घटना से बवाल मचा हुआ है. छात्राओं पर लाठीचार्ज की घटना ने अब राजनीतिक रंग ले लिया है.

इस पर देश की खुफिया ब्यूरो ने सरकार को जो रिपोर्ट सौंपी है, वह काफी चौंकाने वाली है. रिपोर्ट में कहा गया है कि छात्र आंदोलन के बहाने पीएम के दौरे के समय ही कोई बड़ी घटना बनाने की पूरी तैयारी कर ली गई थी.


सूत्रों के मुताबिक, खुफिया एजेंसी ने इसे पीएम की सुरक्षा को जोड़कर देख रही है. खुफिया एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट पीएमओ को भी भेजी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सिर्फ दो मिनट यदि कुलपति आंदोलित छात्राओं से बातचीत कर लेते तो बात इतनी नहीं बिगड़ती और पीएम को रूट नहीं बदलना पड़ता. अंतिम समय में पीएम का रुट बदलवाना यूपी पुलिस के लिए भी परेशानी का कारण बन गया है.

पीएमओ रख रहा है नजर

बहरहाल, खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट के बाद माना जा रहा है कि पीएमओ इस मामले में कोई सख्त कदम उठा सकता है. विवादों से घिरे कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी को लंबी छुट्टी पर भेजे जाने की चर्चा शुरू हो गई है. कुछ समय बाद ही कुलपति रिटायर होने वाले हैं.

बीएचयू की घटना को लेकर पीएमओ भी गंभीर हो गया है. प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र से जुड़ा होने के कारण पीएमओ ने जिला प्रशासन से पूरी रिपोर्ट मांगी है. साथ ही पूरे मामले पर नजर रखने को कहा है.

इधर, गृहमंत्रालय में आईबी की तरफ से एक रिपोर्ट दाखिल की गई है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि बीएचयू की घटना एक सुनियोजित साजिश थी. पूरे मामले को बड़ा बनाने के लिए विश्वविद्यालय को भी दोषी ठहराया गया है.

पिछले दिनों बीएचयू में एक छात्रा के साथ हुई छेड़खानी की घटना के बाद विरोध और धरना प्रदर्शन शुरू हुआ था. छात्राओं ने विश्वविद्यालय कैंपस में ही धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया था.

लेकिन बीएचयू के छात्रों के धरना प्रदर्शन के कुछ घंटे बाद ही राजनीतिक दलों और दूसरे छात्र गुटों ने इस आंदोलन को हाईजैक कर लिया. आंदोलन को हाईजैक कर इसे राजनीतिक रंग देने की कोशिश की जाने लगी. सूत्र बताते हैं कि पिछले कुछ दिनों से बाहरी छात्र संगठन के नेताओं का कैंपस में आना-जाना बढ़ गया था.

बीएचयू प्रशासन से हो रहे हैं कई सवाल

अगर खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट सही मान ली जाए तो बीएचयू प्रशासन क्या कर रहा था? बीएचयू प्रशासन ने क्यों संदिग्ध छात्रों की लिस्ट बनाकर पूछताछ नहीं की या फिर ऐसे छात्रों के कैंपस में आने पर रोक नहीं लगाई?

इन सारे तर्कों के बावजूद लड़कियों पर आधी रात को लाठीचार्ज करना कहां से न्यायोचित ठहराया जा सकता है? इसके लिए चाहे कितने ही तर्क या कुतर्क यूपी सरकार या विश्वविद्यालय प्रशासन गढ़े लेकिन लड़कियों के साथ ऐसी हिंसा एक अक्षम्य अपराध है.

घटना के बाद से बीएचयू कैंपस में छात्राओं के साथ हो रही छेड़खानी का मुद्दा गायब हो गया है और बीएचयू को बवाली परिसर के रुप में बदल दिया गया है.

21 सितंबर को शाम को भारत कला भवन के पास छात्रा से जब छेड़खानी हुई तो सुरक्षाकर्मियों के रवैये ने उन छात्राओं को दुखी किया. छात्राओं ने विश्वविद्यालय प्रशासन से लिखित शिकायत की तो उसे पुलिस को देने के बजाए दबा दिया गया.

22 सितंबर को जब छात्राएं बीएचयू गेट पर धरने पर बैठीं तब शिकायत थाने तक पहुंचाई गई. जिसके बाद यूपी पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया. छात्राएं कुलपति को बुलाने की मांग कर रही थी जिसे कुलपति ने नजरअंदाज कर दिया.

बीएचयू में छात्रों पर लाठीचार्ज की घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है.  यूपी पुलिस ने लड़कियों के साथ हुई छेड़छाड़ की शिकायत पर एक्शन लेने के बजाए रात के वक्त छात्राओं के छात्रावास में जाकर उनपर बर्बर तरीके से लाठीचार्ज किया जो बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक है. हद तो तब हो गई जब यूपी पुलिस ने 1200 छात्राओं के खिलाफ ही मामला दर्ज कर लिया. ये पूरा वाकया यूपी पुलिस के अमानवीय चेहरे को उजागर कर रहा है.

नई सरकार आने के बाद पिछले कुछ महीनों से पूर्वी उत्तर प्रदेश लगातार गलत कारणों से सुर्खियों में रह रहा है. गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी की वजह से हुई बच्चों की मौत पर हंगामा हो या फिर बनारस में छात्राओं पर लाठीचार्ज. सभी घटनाओं ने यूपी सरकार के रवैये पर सवाल खड़ा किया है.