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भोपाल जेल-ब्रेक का व्यापम कनेक्शन!

व्यापम काण्ड के बाद मध्यप्रदेश एक बार फिर सुर्खियों में है.

FP Staff

व्यापम काण्ड के बाद मध्यप्रदेश एक बार फिर सुर्खियों में है. इस बार भोपाल में सिमी कार्यकर्ताओं के जेलब्रेक और फिर कुछ ही घण्टों में उनके एनकाउंटर की घटना की वजह से. इन सबके बीच सरकार ने व्यापम की जाँच कर रहे एसटीएफ प्रमुख सुधीर शाही को जेल विभाग का एडीजी नियुक्त कर दिया है.

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के साफ निर्देश हैं कि जब तक व्यापम की जाँच पूरी नहीं हो जाती तब तक एसटीएफ से एडीजी तो क्या सरकार एक आरक्षक का भी तबादला नहीं कर सकती है. अब सवाल यह उठता है कि आखिर सरकार ने कोर्ट के इस आदेश की अनदेखी क्यों की ? तमाम काबिल आईपीएस अफसरों में से सरकार ने सुधीर शाही को ही इस काम के लिए क्यों चुना ? शाही को ही क्यों विवादों में घिरे जेल विभाग की कमान सौंपी गई.


व्यापाम मामले के अधिकतर आरोपी भोपाल जेल में ही विचाराधीन हैं.

व्यापम केस में व्हिसलब्लोअर आईटी विशेषज्ञ प्रशांत पाण्डे ने फर्स्टपोस्ट हिंदी को बताया कि सरकार जेलब्रेक के बहाने व्यापम को और कमजोर करना चाहती है.

एसटीएफ की जाँच से असंतुष्ट सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई 2015 को व्यापम मामले की जाँच सीबीआई को सौंप दी थी.

जाँच सीबीआई को सौपनें से पहले सुप्रीम कोर्ट ने मप्र एसआईटी को चार महीने का वक्त दिया था. लेकिन एसआईटी के काम से असंतुष्ट सुप्रीम कोर्ट ने कहा,”हम व्यापम मौतों का आंकड़ा और नहीं बढ़ने दे सकते”.

याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल और विवेक तन्खा ने अपनी दलील में एसआईटी पर इलेक्ट्रानिक सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया. तब व्यापम की जाँच सुधीर शाही की ही निगरानी में चल रही थी.

व्यापम के जांच में घिरी एमपी सरकार

सीबीआई जाँच के लिए चारों ओर से घिर चुकी मध्यप्रदेश सरकार ने भी तब जाँच सीबीआई को सौंपे जाने का विरोध नहीं किया था.

सुप्रीम कोर्ट में व्यापम मामले के दूसरे याचिकाकर्ता अजय दुबे भी सरकार के इस कदम के पीछे साजिश देख रहे हैं. उनका आरोप है कि सुधीर शाही ने एसटीएफ में रहते हुए सबूतों से छेड़छाड़ कर जिस तरह मुख्यमंत्री निवास को बचाने का काम किया है. अजय ने फर्स्टपोस्ट हिंदी को बताया,”शाही को जेल विभाग की जिम्मेदारी सौंपकर सरकार व्यापम की लीपापोती का काम पूरा करना चाहती है.”

सीबीआई जाँच के दायरे में एसटीएफ के तमाम अधिकारी कर्मचारी भी हैं. इन पर जाँच को जानबूझकर प्रभावित करने का आरोप है. ऐसे में सरकार के इस कदम से विरोधियों को निशाना साधने का एक मौका और मिल गया है.

भोपाल जेल-ब्रेक पर सवाल ही सवाल

मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने सवाल उठाया है कि प्रदेश में और भी कई काबिल अफसरों के होते हुए भी सरकार ने एक संदिग्ध अधिकारी को ही जेल का प्रभार क्यों दिया है. वह भी तब जब जेल प्रशासन खुद सवालों के घेरे में है. यादव ने फर्स्टपोस्ट हिंदी से कहा,” शाही के जरिए सरकार भोपाल जेल में बंद व्यापस के आरोपियों को प्रभावित कराना चाहती है, जिससे वो सीबीआई के सामने सरकार की पोल न खोल दें”.

व्यापम मामले के व्हिसिल-ब्लोअर प्रशांत पाण्डे शाही के तबादले के खिलाफ हाईकोर्ट जाने का मन बना रहे हैं. उनका कहना है कि चूँकि शाही व्यापम की जाँच को स्थानीय पुलिस से लेकर सीबीआई तक पहुँचने की प्रमुक कड़ी हैं इसलिए उनका हटना व्यापम जाँच को कमजोर कर सकता.

वहीं मध्यप्रदेश के सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग ने शाही के तबादले का बचाव किया. उन्होंने फर्स्टपोस्ट हिंदी को बताया कि यह सरकार का अधिकार है कि वो किसे कहाँ पदस्थ करे. सारंग ने कांग्रेस पर आरोप लगया कि वो सरकार के हर कदम पर राजनीति के अलावा कुछ नहीं करती.