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भीमा कोरेगांव हिंसा: मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की रिहाई से जुड़ी रोमिला थापर की पुनर्विचार याचिका खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने इतिहासकार रोमिला थापर की याचिका को खारिज कर दिया. यह याचिका भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़ी थी.

Bhasha

सुप्रीम कोर्ट ने इतिहासकार रोमिला थापर की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने भीमा कोरेगांव हिंसा के सिलसिले में गिरफ्तार किए पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को तत्काल रिहा करने से इनकार वाले फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर को बहुमत से कार्यकर्ताओं को रिहा करने की मांग खारिज कर दी थी.

दरअसल, प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति ए एम खनविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की एक पीठ ने याचिका खारिज कर दी थी. पीठ ने कहा, 'हमने समीक्षा याचिका और साथ ही इसके समर्थन के बिंदुओं का अवलोकन किया. हमारे विचार में 28 सितंबर 2018 को सुनाए गए फैसले पर समीक्षा का कोई मामला नहीं है. इस हिसाब से समीक्षा याचिका खारिज की जाती है.' 28 सितंबर को अदालत ने 28 अगस्त को महाराष्ट्र पुलिस के जरिए गिरफ्तार किए गए पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं वरवरा राव, अरुण फरेरा, वेरनॉन गोंसाल्विज, सुधा भारद्वाज और गौतम नौलखा को तत्काल रिहा करने की याचिका को खारिज कर दी थी.


पिछले साल 31 दिसंबर को ‘एल्गार परिषद’ नामक एक कार्यक्रम के बाद एक एफआईआर के सिलसिले में कार्यकर्ताओें को गिरफ्तार किया गया. इस कार्यक्रम के बाद महाराष्ट्र के कोरेगांव-भीमा गांव में कथित तौर पर हिंसा हुई थी. उन्हें 29 अगस्त को नजरबंद किया गया था. अदालत ने 28 सितंबर को कहा था कि आरोपी को चार और सप्ताह तक नजरबंद रखा जाएगा. न्यायालय ने 2-1 के बहुमत से फैसला सुनाते हुए उनकी गिरफ्तारी की जांच के लिए एसआईटी नियुक्त करने से भी इंकार कर दिया था.