view all

सृजन स्कैम: सुशासन बाबू के राज में 10 साल से चल रहा है घोटाला!

कई राजनेता, आईएएस आफिसर, बैंककर्मी, समाज के तथाकथित सभ्रांत नागरिक और बिल्डरों ने बांटकर सरकारी खजाने को लूटा है

Kanhaiya Bhelari

भागलपुर का सरकारी खजाना लूट, जिसे मीडिया ने सृजन घोटाला नाम दिया है. यह घोटाला सीएम नीतीश कुमार की कथनी और करनी को कसौटी पर कसने का काम करेगा क्योंकि सीएम कहते रहे हैं कि ‘मैं न किसी को फंसाता हूं और न ही किसी को बचाता हूं'

हर रोज ये चर्चित सृजन घोटाला यानी सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड घोटाला सुरसा राक्षसी की तरह अपना आकार बढ़ाते जा रहा है. 350 करोड़ रुपए से शुरू होकर अब ये स्कैम करीब-करीब 1000 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है. छनकर आ रही खबरों के अनुसार कई धुरंधर राजनेता, आईएएस आफिसर, बैंककर्मी, समाज के तथाकथित सभ्रांत नागरिक और बिल्डरों ने बांटकर सरकारी खजाने की लूट की है.


11 सालों से जारी सरकारी खजाने की बंदरबांट

जनता की पैसे की सुनियोजित बंदरबाट पिछले 11 सालों से की जा रही थी. आठ कलेक्टरों का नाम चर्चा में है जिन्होंने अपने हिसाब से बहती गंगा में डुबकी लगाकर माल बटोरा है. कहते हैं कि बीरेन्द्र यादव ने सबसे ज्यादा धन बटोरा है, जो करीब ढाई साल तक भागलपुर के जिलाधीश रहे हैं. मृदुभाषी यादव ने अपने राजनीतिक आका को भी झोला भर-भरकर नोट दिया है.

राजनीतिक पार्टी के कई सूरमाओं ने ईमानदारी से आपस में तालमेल करके या यूं कहें कि कंधा से कंधा मिलाकर सरकारी धन को लूटा है. इन सबों ने अपने कुकृत्यों से ‘चोर-चोर मौसेरे भाई’ कहावत को चरितार्थ किया है. झारखंड के एक तीसमार बीजेपी सांसद का नाम भी उछल रहा है. सबकी जुबान पर है कि सांसद महोदय ने सृजन घोटाला से पुरकस लक्ष्मी बटोरकर भागलपुर में आलीशान माॅल का निर्माण कराया है.

बीजेपी के एक स्थानीय नेता भी इस घोटाले से मालामाल हुए हैं. उनका नाम भी लोकल अखबार में प्रमुखता के साथ छप रहा है. जनता दल यूनाइटेड और रालोसपा के जिलास्तरीय छुटभैए नेताओं की घोटाले से कमाई की भी पुष्टि लगभग हो चुकी है.

सिनेमाई एक्टर की तरह हैंडसम एक कांग्रेसी नेता ने दमभर पैसा कमाया है. ये नौजवान नेता कुछ साल पहले तक कांग्रेस पार्टी के युवा विंग का राज्य स्तरीय अध्यक्ष भी रह चुका है. एक जमाने में ये बिहार के रंगीन मिजाजी राज्यपाल देवानंद कुंवर का खास टहलुआ हुआ करता था.

कार्रवाई के लिए ऊपर से हां का इंतजार

विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि जांच के लिए सरकार द्वारा गठित एसआईटी की टीम ने इन नेताओं की घोटाले में संलिप्तता से सम्बंधित पुख्ता सबूत इकठ्ठा कर लिया है. कार्रवाई के लिए ऊपर से निर्देश का इंतजार है. कई स्थानीय नागरिकों को लगता है कि जांच के नाम पर बड़ी मछलियों को बचाने का कसरत किया जा रहा है. लेकिन बहुतों को सीएम नीतीश कुमार की बात पर विश्वास है. उन्हें लगता है कि दोषी दंडित होंगे.

आखिर भागलपुर के वर्तमान कलेक्टर आदेश तीतरमारे को अबतक क्यों नहीं हटाया गया? ये सवाल भागलपुर के एक नामी डॉक्टर का है जिसने इस लेखक को बताया कि ‘जून 2016 में ही मैंने डीएम से मिलकर सबूत के साथ बताया था कि प्रेम कुमार सरकारी खजाने को लूट रहा है. कुछ कीजिए. तीन घंटे तक वन टू वन रहकर बंद कमरे में मैंने सारी जानकारी उनको दी थी’. डाक्टर को आशंका है कि तीतरमारे प्रेम कुमार को बचाने का प्रयास कर सकते हैं. लेखक ने कई बार कोशिश की लेकिन तीतरमारे अपनी प्रतिक्रिया देने से बचते रहे.

बताते चलें कि अबतक उपलब्ध साक्ष्य के अनुसार प्रेम कुमार ही सृजन घोटाले का मास्टरमाइंड है. गिरफ्तारी नहीं होने तक डीएम का पीए भी था. कलेक्टर के कार्यालय में पिछले 7-8 साल से पोस्टेड था. आरोप है कि तीन साल पहले प्रेम कुमार ने अपने आवास में फर्जी डकैती का एफआईआर दर्ज कराकर उस कालखंड के डीएम की 3 करोड़ रुपए कमीशन को हड़प गया. जानकार बताते हैं कि वो पैसा सृजन घोटाले से ही आया था.

घोटाले को दबाने की न जाने कितनी कोशिशें

घोटाले को दबाने का प्रयास हमेशा किया जाता था. फारेंसिक रिपोर्ट से ये साबित हो गया है कि भागलपुर के तिलका माझी पुलिस स्टेशन के अफसर इंचार्ज विजय कुमार शर्मा की 20 मार्च को 3 बजे सुबह निर्मम तरीके से हत्या उन्हीं के थाना क्षेत्र में कर दी गई थी. प्रबल संभावना है कि हत्या का तार सृजन घोटाला से जुड़ा हो.

कहते हैं कि ये जांबाज पुलिस अधिकारी सरकारी खजाने की लूट में शामिल एक प्रशासनिक पदाधिकारी की कई गोपनीय रहस्यों को जान गया था. तभी तो प्रशासन के उस अधिकारी ने अपनी तरफ से इस जघन्य मर्डर को दुर्घटना साबित कराने की जबरदस्त कोशिशें कीं. तीन घंटे के अंदर यानी उसी दिन सुबह 6 बजे तक बॉडी के पोस्टमार्टम से लेकर एमवीआई की रिपोर्ट तक तैयार करा ली गई. फायर ब्रिगेड मंगाकर खून के धब्बे मिटा दिए गए. और तो और दुर्घटना में सच्चाई की चाशनी लाने के लिए जेसीबी मशीन की सहायता से उस पुलिस जीप को टेढ़ा-मेढ़ा किया गया जिसपर हत्या के समय शर्मा बैठे थे.

पिछले तीन साल के भीतर भागलपुर में दो महिलाओं की रहस्मय मौत हुई है. ये वारदात कई महीनों तक टॉक ऑफ द टाउन रहा. शासन प्रशासन की एक्टीविटी पर पैनी नजर रखने वाले खुलासा करते हैं कि सुरा व सुंदरी के शौकीन एक ओहदेदार सरकारी मुलाजिम का हाथ इन घटनाओं के पीछे था. दोनो महिलाएं ऐसे लोगों की पत्नियां थीं जो सृजन घोटाले में मलाई मार रहे हैं. पैसे की हवस ने उनकी मानवीय संवेदना को अपने वश में कर लिया है.

इतिहास गवाह है कि आमतौर पर शांत रहने वाला और जर्दालू आम के लिए मशहूर भागलपुर कभी कभी भयंकर घटनाओं का सामना करता रहता है. अस्सी के शुरुआती दौर में पुलिस ने कई कैदियों की आंखो में तेजाब डालकर अंधा बना दिया था. फिर उसी दशक के अंत में प्रशासन की कमजोरी व मिलीभगत से कम से कम 1000 लोग मजहबी हिंसा मे हलाक हुए. दुर्भाग्य से अब भागलपुर में घटित सरकारी खजाने की लूट में भी प्रशासन की सक्रिय भूमिका सामने आ रहा है.

(लेखक के विचार निजी हैं.)