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दशहरा 2018: रावण जलाए लेकिन खुद को जलने से बचाएं

त्योहारों के दौरान थोड़ी सी लापरवाही आपको भारी पड़ सकती है इसलिए ध्यान रखें

FP Staff

दुर्गापुजा, दशहरा और दीवाली करीब हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, इन दिनों जलने की घटनाएं सामान्य से ज्यादा होती है. इस दौरान महिलाओं और बच्चों के जलने का खतरा सबसे ज्यादा होता है. महिलाएं ढीले ढाले कपड़ों में खाना बनाती हैं जिससे कई बार कपड़े आग पकड़ लेते हैं. वहीं दूसरी तरफ बच्चे लापरवाही से पटाखे जलाते हैं, जिससे उनके जलने का डर भी रहता है.

इस तरह जलने से जख्मी होने वाली ज्यादातर महिलाएं 16 से 35 साल की होती हैं. समाज की कमजोर आर्थिक वर्ग की महिलाओं के जलने का जोखिम ज्यादा रहता हैं. आमतौर पर ये बैठकर खाना बनाती हैं जिससे आग के संपर्क में आसानी से आ जाती हैं.


इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर बर्न इंज्यूरिजी (ISBI) के पूर्व प्रेसिडेंट और सीनियर कंसलटैंट, प्लास्टिक एंड कॉस्मेटिक सर्जरी- सर गंगाराम हॉस्पीटल के डॉक्टर राजीव बी आहूजा कहते हैं, 'जलने की बात हो तो निश्चित रूप से रोकथाम करके बचना जख्म के इलाज से बेहतर है. जलने का उपचार महीनों चलता रह सकता है और यह बहुत तकलीफदेह है. यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि हर साल त्यौहारों के मध्य में हम कोई ना कोई हादसा आमंत्रित कर लेते हैं जबकि जागरूक रहकर हम खुद को और अपने प्रिय लोगों को जन स्वास्थ्य की इस अहम समस्या का शिकार होने से बचा सकते हैं.'

क्या है भारत का आंकड़ा?

भारत में हर साल जलने से जख्मी होने के कारण 7 से 8 लाख लोग अस्पतालों में दाखिल होते हैं. खाने पकाने के दौरान या आतिशबाजी से मामूली जलने के घाव का उपचार घर में हो सकता है. ऐसे मामलों में जले हुए हिस्से को तुरंत नल के पानी के नीचे रखा जाना चाहिए और उसपर 15 से 20 मिनट तक पानी गिरने दीजिए. एक बार जब यह ठंडा हो जाए और दर्द कम होने लगे तो मरीज को किसी बर्न स्पेशलिस्ट से संपर्क करना चाहिए जो भारत में मुख्य रूप से प्लास्टिक सर्जन होता है.

ज्यादा बड़े मामलों में सबसे पहले जले हुए कपड़े हटा देने चाहिए और मरीज को एक साफ चादर से ढंग कर अस्पताल ले जाना चाहिए. जली हुई जगह पर कोई भी दवा, क्रीम या कोई भी चीज जैसे टूथपेस्ट, स्याही आदि नहीं लगाना चाहिए क्योंकि ऐसी हालत में मरीज के लिए घाव की गहराई को समझना मुश्किल हो जाता है. जख्म को साफ करने की प्रक्रिया उसे और खराब कर सकती है. इसलिए यह जरूरी है कि उपचार किसी बर्न स्पेशलिस्ट को ही करने दिया जाए. अगर ऐसा कोई उपलब्ध न हो तो जनरल सर्जन शुरुआती उपचार कर सकता है.