view all

बवाना अग्निकांड: जिम्मेदारी लेने के लिए कब कोई तैयार होगा!

जिस दिन बवाना के पटाखा फैक्ट्री में आग लगी, उसी दिन वहां चार जगहों पर आग लगी थी. वहां आग लगने की घटना आम है और सरकार आंख मूंदे बैठी है

Ravishankar Singh

एक महीना पहले दिसंबर में मुंबई के कमला मिल्स में आग लगी थी, जिसमें 14 लोग स्वाहा हो गए. दिल्ली के बवाना में शनिवार 20 जनवरी को एक फैक्ट्री में आग लगी, जिसमें 17 लोग मारे गए. इस हादसे में 30 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से जख्मी हैं. मारे गए ज्यादातर लोग बिहार के हैं.

दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने हादसे की जांच के आदेश दे दिए हैं. बिना लाइसेंस पटाखा फैक्ट्री चलाने के आरोप में फैक्ट्री मालिक मनोज जैन को गिरफ्तार भी कर लिया गया है. दिल्ली पुलिस ने फैक्ट्री के मालिक पर गैरइरादतन हत्या का मुकदमा भी दर्ज कर लिया है.


दर्दनाक था हादसा

शनिवार शाम छह बजे दिल्ली के बवाना इंडस्ट्रियल एरिया में एक पटाखा फैक्ट्री में आग ली. एफ ब्लॉक के तीन मंजिला इस इमारत में बिना लाइसेंस पटाखा फैक्ट्री चल रही थी. फैक्ट्री में बारूद होने की वजह से आग की लपटें तेजी से फैलीं. उस वक्त फैक्ट्री में करीब 50 लोग काम कर रहे थे. आग इतनी भयानक थी कि कई लोग फैक्ट्री से निकल ही नहीं पाए. कुछ लोगों ने तीसरी मंजिल से कूद कर अपनी जान बचाई.

फायर ब्रिगेड के मुताबिक आग पहले फैक्ट्री के बेसमेंट लगी थी. बेसमेंट से ही आग फैक्ट्री की दूसरे हिस्से में तेजी से फैल गई. घटना स्थल पर करीब एक दर्जन फायर बिग्रेड की गाड़ियां पहुंचीं थी. बड़ी मशक्कत ते बाद आग पर काबू पाया जा सका.

बवाना इंडस्ट्रियल एरिया का यह इलाका काफी संकरा है, जिससे दमकल की गाड़ियों को आग बुझाने में काफी दिक्कत हुई. आग पर काबू पाने के बाद दमकल कर्मचारी जब अंदर गए तो हर तरफ मौत का मंजर पसरा था. मरने वाले ज्यादातर लोगों में महिलाएं शामिल थीं. इन लोगों के चेहरे बुरी तरह जल गए थे, जिससे उनकी पहचान में दिक्कत आई.

आग पर शुरू हुई राजनीति

इस घटना पर राजनीति गरम हो गई है. पटाखा फैक्ट्री को लाइसेंस देने के मामले में एलजी और दिल्ली सरकार के बीच ठन गई है. जिस फैक्ट्री में आग लगी है, वहां पर अवैध तरीके से पटाखा बनाने का काम चल रहा था.

पिछले कई साल से दिल्ली के भीड़-भाड़ वाले इलाके से औद्योगिक क्षेत्र को हटाने की बात चल रही है. शीला दीक्षित के मुख्यमंत्री रहते हुए भी यह मामला काफी उछला था. लेकिन वोट की राजनीति ने हर बार इस मसले को किनारे कर दिया. दिल्ली में गैरकानूनी कारोबार सालों से चल रहे हैं. पटाखे की यह फैक्ट्री प्लास्टिक की फैक्ट्री के नाम पर चल रही थी. सबसे ऊपरी मंजिल पर गुलाल की फैक्ट्री चल रही थी.

इस घटना के सामने आने के बाद एक बार फिर से सवाल उठने लगे हैं कि इतने सालों से अगर यह फैक्ट्री चल रही थी तो संबंधित अधिकारी ने इस ओर ध्यान क्यों नहीं दिया? खासकर औद्योगिक क्षेत्र में काम करने वाली एजेंसियों ने कार्रवाई क्यों नहीं की?

आए दिन लगती रहती है आग

इलाके के एक शख्स ने बताया, 'बवाना में आग लगने की यह पहली घटना नहीं है. जिस दिन की यह घटना हई, उस दिन बवाना के चार और फैक्ट्रियों में भी आग लगी थी. क्योंकि, यहां पर हताहतों की संख्या ज्यादा हो गई तो मामला बड़ा हो गया. बवाना ही नहीं दिल्ली के लगभग हर औद्योगिक क्षेत्रों में कई ऐसी फैक्ट्रियां चल रही हैं, जिनका लाइसेंस किसी और काम के लिए जारी होता है और वहां पर काम कुछ और होता है.'

सूत्र के मुताबिक, 'बवाना में जिस फैक्ट्री में आग लगी है उसको एक प्लास्टिक बनाने की फैक्ट्री के रूप में लाइसेंस मिला था. दमकल विभाग को आग लगने की जब सूचना मिली थी तो बात प्लास्टिक फैक्ट्री की थी. दमकल विभाग के कर्मचारियों के अदंर जाने के बाद पता चला कि यह तो एक पटाखा फैक्ट्री है.’

सरकारी मदद से मुंहबंद!

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने घटना में मारे गए लोगों को पांच-पांच लाख रुपए की सहायता राशि देने का ऐलान किया है. एलजी ने दिल्ली के प्रिंसिपल सेक्रेटरी की अगुवाई में जांच के आदेश दे दिए हैं. कुल मिलाकर सभी लोगों ने अपनी-अपनी जिम्मेदारी निभा दी है. अब सवाल यह है कि उठता है कि दिल्ली के एलजी, मुख्यमंत्री और दिल्ली पुलिस कब ऐसे हादसों की जिम्मेदारी लेंगे.