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घातक ब्लू व्हेल गेम के चंगुल से बाल-बाल बचा बरेली का युवक

खौफनाक अंजाम को भुगतने से ऐन पहले बरेली का शुभम इस गेम के चंगुल से निकल गया

FP Staff

दुनिया भर में किशोरों की आत्महत्या का सबब बना खतरनाक ऑनलाइन गेम ब्लू व्हेल के चंगुल से बरेली का एक युवक बाल-बाल बचकर निकल गया. ब्लू व्हेल चैलेंज गेम के मनोवैज्ञानिक तिलिस्म में आत्महत्या के अंतिम स्टेज से पहले ही इस युवक ने अपने हाथ पीछे खींच लिए.

वर्चुअल वर्ल्ड के इस डरावने सच को करीब से महसूस करने वाला ये शख्स बरेली के बारादरी थानाक्षेत्र के संजय नगर का रहने वाला है.


इंटरनेट की दुनिया में ब्लू व्हेल ऑनलाइन गेम आज एक ऐसा खौफनाक सच बन चुका है, जिसकी हकीकत समझने तक दुनिया भर में कई नौजवान अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं. वर्चुअल वर्ल्ड की इस खौफनाक अंजाम को भुगतने से ठीक पहले ही बरेली का शुभम इस गेम के चंगुल से निकल गया.

एडिक्शन, साइकोलॉजी और थ्रेट के इस मिलेजुले पैकेज ब्लू व्हेल गेम के चंगुल में पड़ने और निकलने के दौर में मानसिक तौर पर किस तरह की यातनाओं के बीच इस युवक को जूझना पड़ा उसे शुभम से बेहतर कौन बता सकता है. लेकिन जिस तरह से ऑनलाइन गेमिंग की लत लगाने से लेकर आत्महत्या को उकसाने जैसे टास्क करने को प्रेरित करने के लिए इस गेम को बनाया गया है, उस पर यकीन करना तब तक मुमकिन नहीं है, जब तक कोई उसका खुद शिकार न हो. बरेली का यह नौजवान युवक जो कि बीटेक का छात्र है कैसे इस चंगुल में फंसा इसी की जुबानी जानते हैं.

शुभम ने बताया कैसे वह इसके चंगुल में फंसा

शुभम के मुताबिक वह 2012 से ऑनलाइन गेम खेल रहा है. क्लच ऑफ़ क्लैंस खेला. उसके बाद सोचा अब उइसके आगे क्या होता है. क्लच ऑफ़ क्लैंस से यह एकदम अलग है. मैंने इसे गूगल प्ले स्टोर पर सर्च किया लेकिन वहां नहीं था. दरअसल यह एपीके फाइल पर है. लेकिन फाइल वह फाइल नहीं है. जब आप उसे खोलेंगे तो वह आप से लिंक मांगता है जो कि सीधे ब्राउज़र पर खुलता है और उसी के जरिए खेलना होता है. यह कोई एप नहीं है. क्लच ऑफ़ क्लैंस आप एप से खेलते हैं लेकिन इसे आप सीधे साईट और ब्राउज़र से खेलेंगे.

ब्राउज़र पर पहुंचने के बाद मैसेज आता था अपनी लोकेशन ऑन करो. आपका नाम और पता सब कुछ. इसके बाद छोटे-छोटे गेम आते थे. जैसे मछली पकड़ना, मछली के पीछे भागना. उससे 300 पॉइंट स्कोर करना पड़ता था. मुझे मजा आने लगा. मेरे लिए तो तीन दिन में पॉइंट स्कोर करने पड़ते. थे. लेकिन मैं 120 पर पहुंचता तो रोक दिया जाता. अब मुझे पता चला कि कैसे तीन दिन में 300 पॉइंट स्कोर करने को कहा गया. मुझे इसकी लत लग गई. उसके बाद मुझसे कहा गया अपने बांह पर गाली लिखो. और यह गाली सभी की दिखनी चाहिए.

ब्लू व्हेल गेम मौत का जाल है

शुभम ने बताया कि ब्लू व्हेल गेम नहीं यह मौत का जाल है. यह सिर्फ किशोरों के लिए है, क्योंकि इसमें कोई व्यस्क नहीं फंस सकता. किशोर इसलिए फंस रहे हैं क्योंकि इसमें लत लगाई जाती है छोटे-छोटे गेम का. पहले छोटे-छोटे गेम खेलो टास्क कम्पलीट करो.

फिर आपको और अच्छे गेम मिलेंगे. उसके बाद एक और टास्क. मेरा पहला टास्क था. अपने शोल्डर पर कुछ लिखकर घूमना, जो कि अपने आप में प्रताड़ित महसूस करवाता है. मैंने पहला टास्क कम्पलीट किया. 6 अगस्त को मैसेज आया बधाई आपने अपना पहला टास्क पूरा कर लिया.

दूसरे टास्क के लिए मैसेज आया. आप सुबह उठकर 4.20 पर उठकर एक मूवी देखो जो क्यूरेटर भेजेगा. क्यूरेटर वो है जो एडमिन है. उन्होंने मुझे विडियो का लिंक भेजा अपने साईट पर. ठीक वैसे ही जैसे स्काईपिंग होती है. मोवी का नाम था हौन्टिंग ऑफ़ क्रोनिक 2. वो मुझे लाइव देख रहे थे और मैं मूवी को देख रहा था. मूवी देखने के बाद मैं काफी देर तक सोचता रहा.

मैं सोच रहा था टास्क कम्पलीट हो गया लेकिन इसका रिजल्ट नहीं आया. मुझे 7 अगस्त को मैसेज आया कि आपका टास्क कम्पलीट हो गया. इसके बाद मुझे तीसरा टास्क मिला. तीसरा टास्क मिलने के बाद मैं परेशान हो गया था. तीसरा टास्क था ब्लू व्हेल की टेल का अपने हाथ पर कट लेना. यह टास्क अपने आप में झुंझला देने वाली बात थी. खून से क्यों खेलें. हम तो गेम खेल रहे हैं. इसके बाद मैं उन्हें नेगलेक्ट करने लगा.

दो-तीन दिन तक जब मैंने टास्क कम्पलीट नहीं किया. फिर मेरे समझ में आया टास्क तो एक दिन का होता है फिर दो-तीन दिन क्यों. फिर वो मुझे उकसाने लगे. यू कैन डन (तुम कर सकते हो). आप बिलकुल कर सकते हो. इसके बाद परिवार के खिलाफ भड़काने लगे. आपके पेरेंट्स आप को प्रताड़ित करते हैं. एक तरह से मनोवैज्ञानिक दबाव डालते थे ताकि अंत में आप सुसाइड कर लो.

(साभार: न्यूज18)