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बेंगलुरू छेड़छाड़ के तमाशबीन ओलंपियन कृष्णा पूनिया से सीखें

राजस्थान के चूरू जिले के राजगढ़ कस्बे में जो घटित हुआ, वह सजगता की एक मिसाल बन गया है

Mridul Vaibhav

यह घटना बैंगलोर में एक युवती से छेड़छाड़ जैसी ही घटना थी, लेकिन यहां के वातावरण में एक जीवंतता और जागरूकता का एहसास था. बैंगलोर में दो शोहदे एक युवती से बेशर्मी के साथ दुर्व्यवहार करते रहे और आसपास लोग मूकदर्शक बने रहे, लेकिन राजस्थान के चूरू जिले के राजगढ़ कस्बे में जो घटित हुआ, वह सजगता की एक मिसाल बन गया है, जिसकी चर्चा जगह-जगह हो रही है.

यह किस्सा महशूर ओलंपियन कृष्णा पूनिया की बहादुरी की भी एक नजीर है. अक्सर लोग ऐसी घटनाओं पर ऐसी सजगता दिखाने से बचते हैं. कृष्ण पूनिया बताती हैं, रविवार की दोपहर को दिन के डेढ़ बजे वे जब सादुलपुर कस्बे की कृष्णा बहल रोड से गुजर रही थीं तो पिलानी रेलवे फाटक बंद था.


तीन बदमाश युवक दो किशोरियों पर फब्तियां कस रहे थे और परेशान कर रहे थे. छेड़छाड़ करते हुए इन बदमाशों ने लड़कियाें को गिरा दिया और बाइक से निकल गए. इस घटना को बहुतेरे लोग देख रहे थे, लेकिन कोई भी नहीं हिला.

कृष्णा पुनिया ने दिखाया खिलाड़ी का जज्बा

लड़कियां छेड़छाड़ से परेशान थीं और रो रही थीं. कृष्णा पूनिया वहीं घटना को अपनी कार से देख रही थीं और किशोरियों को रोते देखकर परेशान हो रही थीं. वे अचानक कार से उतरीं और तीनों बदमाश लड़कों के पीछे दौड़ पड़ीं. उन्होंने 50 मीटर दौड़ने के बाद एक लड़के को धर दबोचा. पुलिस को फोन किया.

तस्वीर के मध्य में कृष्णा पुनिया

लड़कियां कार्रवाई नहीं चाह रही थीं. वे कह रही थीं कि घर वालों को घटना का पता लगा तो वे आइंदा उन्हें घर से बाहर नहीं निकलने देंगे. लेकिन कृष्णा पूनिया ने किशोरियों का हौसला बंधाया और उन्हें उनके घर पर छोड़कर आईं.

वे पुलिस स्टेशन भी गईं और पुलिस के अधिकारियों को नसीहत दी कि आखिर थाने के ठीक पास ही इलाके में बदमाश इस तरह युवतियों से कैसे छेड़छाड़ कर रहे हैं.

कृष्णा पुनिया ने जो किया वो हर किसी को करना चाहिए

बीजिंग और लंदन ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी पूनिया मूलत: हरियाणा से हैं और चूरू जिले में उनकी ससुराल है. इन दिनों वे राजनीति में हैं और कांग्रेस के साथ हैं. लेकिन उनमें एक बहादुर खिलाड़ी का जज्बा आज भी है.

वे कहती हैं कि इस तरह की गलत घटनाओं को बर्दाश्त नहीं करना चाहिए और तत्काल ही विरोध करना चाहिए. कॉमनवेल्थ गेम्स 2010 में भारत के लिए गोल्ड जीतने वाली कृष्णा पूनिया हैरानी जताती हैं कि आखिर बदमाश ऐसे दुस्साहसी कैसे हो जाते हैं कि वे भीड़ के बीच भी छेड़छाड़ करते हैं.

तस्वीर: समय राजस्थान पर घटना की कवरेज

अगर लोग मौके पर ही परेशान युवतियों के साथ आ जाएं तो वे शायद ही ऐसा कर पाएं. बैंगलोर की घटना हो या राजगढ़ की, ये दोनों घटनाएं करीब-करीब एक ही समय घटित हुई हैं, लेकिन एक में भीड़ के बीच खड़ी एक साहसी खिलाड़ी कृष्णा पूनिया ने पूरे हालात को ही बदल दिया और दूसरी में बैंगलोर जैसे एक आधुनिक कस्बे की जनता का वह तबका शर्मसार है, जो घटना के समय मूकदर्शक बना रहा.

हद तो यह है कि बेंगलुरू की घटना के बाद कर्नाटक के गृह मंत्री डॉ. जी परमेश्वरा ने यह तक कह दिया कि नए साल और दूसरे ऐसे मौकों पर ऐसी घटनाएं होती रहती हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर सवाल उठ रहा है कि राजस्थान का भी एक पक्ष है, जहां गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने अभी तक कृष्णा पूनिया की तारीफ नहीं की है, क्योंकि वे कांग्रेस से जुड़ी हैं.

छेड़छाड़ के मामलों में चुप्पी गंभीर सवाल खड़े करता है

वाट्स ऐप पर कई संदेश चल रहे हैं, जिनमें कहा जा रहा है कि राजस्थान की खास बात यह है कि यहां एक महिला मुख्यमंत्री भी हैं. इसके बावजूद कस्बों से लेकर राजधानी तक महिलाओं के मामले में पुलिस कोई अतिरिक्त सावधान नहीं है. लेकिन उसे होना चाहिए.

तस्वीर: बेंगलुरु छेड़छाड़ मामला

कांग्रेस के सांसद बीके हरिप्रसाद ने यह कहकर पूरे मामले को एक अलग ही रंग दे दिया कि हिंदुत्व ब्रिगेड ऐसे काम करती रहती है. इस तरह की घटनाओं पर देश में काफी समय से बहस चल रही है. शीला दीक्षित ने दिल्ली की मुख्यमंत्री रहते हुए एक बार युवतियों से कहा था कि वे देर रात को नहीं निकलें और सावधान रहें.

इस पर काफी हंगामा भी हुआ था. आम तौर पर राजनीतिक दलों के ऐसे बयान आते भी रहते हैं. समाजवादी पार्टी से जुड़े मुंबई के नेता अबू आजमी ने भी विवादित बयान दिया और कहा कि लड़कियों को अशोभनीय वस्त्र पहनने से बचना चाहिए और देर रात को घरों से बाहर नहीं रहना चाहिए.

सवाल ये उठता है कि क्या ये देश आखिर बच्चियों के लिए सुरक्षित नहीं है? क्या वे सदा बाहर निकलें तो यह डर साथ लेकर चलें कि कोई न कोई कहीं न कहीं उनके साथ कुछ बुरा सोचकर तैयार है और वे सदा डरती रहें.

आखिर हमारी सरकार, हमारी पुलिस और अंतत: समाज का पूरा तबका अपनी मानसिकता कब बदलेगा कि वे अपने आपको अपनी कुंठित और बीमार मानसिकता से मुक्त करके बच्चियों, किशोरियों, तरुणियों, युवतियों और महिलाओं को कब एक स्वस्थ समाज देगा? बेहतर नजीर तो यही है कि हर शख्स सदा कृष्णा पूनिया की तरह तन जाए और छेडछाड़ करने वाले कुंठित लोगों को गर्दन से दबोच कर पुलिस के हवाले कर दे.