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अनाथ बाघों को जंगल का राजा बनाने की ट्रेनिंग

इन बाघ के बच्चों के सामने दो ही विकल्प थे या तो ये मर जाएं या चिड़ियाघर जाएं.

Ankita Virmani

मां की जगह कोई नहीं ले सकता जंगल में तो और भी नहीं. मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ जंगल में एक बाघिन की मौत से उसके तीन शावक अनाथ हो गए. इन बच्चों के सामने दो ही विकल्प थे या तो ये मर जाएं या चिड़ियाघर जाएं.

40 दिन के नन्हें बच्चे चलना भी नहीं जानते तो फिर वो इस जंगल में जीएंगे कैसे? बाघों की दुनिया में लगभग दो साल तक बच्चे पूरी तरह से मां के ही भरोसे होते हैं. मां इन्हें खाना ही नहीं खिलाती शिकार करने और जंगल में जीने का तरीका भी सिखाती है.


वन विभाग ने उठाया अनोखा कदम

अक्सर मां बाघिन के मरने के बाद उसके शावकों को चिड़ियाघर भेज दिया जाता है. लेकिन वन विभाग ने इस बार इन बच्चों के बीच बाघ की एक डमी को रखा है.

ये बच्चे इस पुतले को अपनी मां समझ रहे है. इस डमी को खासतौर से तैयार किया गया है और इसके अंदर दूध की बोतलें फिट की गई है. बच्चे दिन भर इस डमी से लिपटे रहते है और इसे ही अपनी मां समझ कर दूध पीते हैं. वन विभाग का कहना है कि ऐसा इसलिए किया गया ताकि बच्चे इंसानों से ज्यादा से ज्यादा दूर रहें.

इन शावकों की मां को टी-1 के नाम से जाना जाता था और इसका इस बाघिन का शव 19 जनवरी को शहडोल के पास से मिला था.

ये आइडिया आया कैसे?

इससे पहले साल 2010 में भी वहां ऐसा ही कुछ हुआ था. बांधवगढ़ की एक बाघिन झुरझूरा की किसी कारण से मृत्यु हो गई थी. वन विभाग बाघिन की मृत्यु से आहत तो था ही, लेकिन उससे ज्यादा उन्हें दुख था उन तीन शावकों का जिन्हें बाघिन पीछे छोड गई थी.

तीनों शावक बहुत ही छोटे थे और न जाने जंगल में कहां छुपे थे. वन विभाग ने दिन रात जंगल के उस इलाके की तफ्तीश की जहां झुरझूरा अपने बच्चों के साथ रहती थी, कैमरे लगाए, पिंजरे लगाए लेकिन बच्चों का कुछ पता न चला. लगभग एक हफ्ते बाद कैमरे में उन बच्चों की तस्वीर कैद हुई.

वन विभाग ने बच्चों को चिड़ियाघर भेजने की जगह जंगल में ही ट्रेनिंग देने का फैसला लिया. ये फैसला मुश्किलों और चुनौतियों से भरा हुआ था, मुश्किल इसलिए क्योंकि भारत में इस तरह का एक्सपेरिमेंट इससे पहले कभी नहीं हुआ और चुनौती भरा इसलिए क्योंकि ऐसे में बच्चों की जान जाना वन विभाग पर एक गहरा दाग होता.

तीनों शावक अब भारत के अलग-अलग जंगलों में खुशहाल जीवन बिता रहे हैं, इन में से एक मादा बाघिन ने तो हाल ही में दो शावकों को जन्म भी दिया है.

पिछली कोशिश में मिली सफलता के बाद वन विभाग अब इन शावकों को भी जंगल में ही ट्रेनिंग देना चाहता है और लगता है इस बार ट्रेनिंग में कुछ नए प्रयोग भी करना चाहता है. उसे भरोसा है कि डमी से चिपके हुए ये बच्चे एक दिन जंगल के राजा बनेंगे.