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पतंजलि योगपीठ: बाबा बने ब्रांड लेकिन विवादों ने भी बटोरी सुर्खियां

बाबा रामदेव पर भूमि अधिग्रहण से लेकर मिस ब्रैंडिंग के भी आरोप लगे हैं

Puneet Saini

एक छोटे से कमरे से पतंजलि की शुरुआत करने वाले बाबा रामदेव आज 10,500 करोड़ की कंपनी के मुखिया हैं. बाबा रामदेव ने अपने सहयोगी बालकृष्ण के साथ पतंजलि को अर्श पर पहुंचाया. लेकिन, बाबा कारोबारी कई विवादों से भी अपना मुंह नहीं छुपा पाए.

बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पतंजलि रिसर्च सेंटर का उद्घाटन करने पहुंचे. लेकिन, एक वक्त वो भी था जब सत्ता के सामने मजबूर होकर बाबा रामदेव के महिलाओं के वस्त्र पहनकर जान बचानी पड़ी थी.


बाबा रामदेव के प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता को लेकर भी उनपर सवाल खड़े होते रहे हैं. शुद्धता की गारंटी देकर अपने प्रोडक्ट्स बेचने वाले बाबा रामदेव के विवादों पर एक नजर डालते हैं:

गुरु की गुमशुदगी

बाबा रामदेव के गुरु और दिव्य योग पीठ के संस्थापक शंकरदेव साल 2007 से लापता हैं. इस मामले में बाबा रामदेव पर विरोधी निशाना साधते रहे हैं.

उनका कहना है कि बाबा रामदेव ने अपने फायदे के लिए शंकरदेव को अगवा करवा दिया. हालांकि इस मामले पर सीबीआई ने जांच शुरू की. लेकिन, जांच में कुछ मिलता इससे पहले ही केंद्र में सत्ता परिवर्तन हो गया.

बालकृष्ण पर गैरभारतीय होने का आरोप

बाबा रामदेव के चेले आचार्य बालकृष्ण भी नागरिकता और दस्तावेजों के फर्जीवाड़े के आरोपों में सीबीआई जांच के घेरे में फंस चुके हैं. आरोप है कि बालकृष्ण नेपाली नागरिक हैं, और उन्होंने फर्जीवाड़े दस्तावेजों के सहारे भारतीय पासपोर्ट हासिल किया है.

दवाओं पर किया दावा कितना सही?

बाबा रामदेव की दवाओं पर भी सवाल उठते रहे हैं, 2006 में सीपीएम नेता वृंदा करात ने रामदेव की दिव्य फार्मेसी की दवाओं में हड्डियों का चूरा होने का आरोप लगाया.

ये मामला विवादों में फंस कर रह गया-लेकिन साल 2012 में रामदेव कनखल आश्रम से खाद्य विभाग ने दिव्य फार्मेसी के कई उत्पादों के नमूने लिए जिन्हें रुद्रपुर लैब की जांच में खरा नहीं पाया गया.

बिना लाइसेंस के बेचे पतंजलि नूडल्स

साल 2015 में बाबा रामदेव पर बिना भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्रधिकरण (FSSAI) के लाइसेंस के लिए कभी आवेदन ही नहीं किया. बावजूद इसके पतंजलि नूडल्स पर FSSAI का लाइसेंस नंबर लिखने का आरोप लगा.

बाबा रामदेव ने मैगी बैन होने के बाद मार्केट में नूडल्स उतारने का फैसला किया था. बिना FSSAI की अनुमति के मार्केट में नूडल्स उतार दिए थे.

बाबा रामदेव के पुत्र जीवक बीज और हंगामा

पतंजलि योगपीठ ने पुत्र जीवक औषधि मार्केट में उतारी थी. जिसपर आरोप लगा था कि इस दवा से बाबा पुत्र पैदा करने की गारंटी दे रहे हैं. इस पर राज्यसभा सांसद के.सी त्यागी ने राज्यसभा में इस मुद्दे को उठाया था. जिस पर काफी हंगामा भी हुआ था.

दिव्य फार्मेसी की वेबसाइट पर बेटे पैदा करने वाली इस दवा की कीमत 10.99 डॉलर लिखी थी. इसके बारे में कहा गया कि 'पुत्रजीवक' एक अनोखा हर्बल उत्पाद है, जो कामोद्दीपक, गर्भपात रोकने वाला और बांझपन मिटाने में मदद करती है.

मिस ब्रैंडिंग के लिए जुर्माना

आज बाबा रामदेव की पतंजलि का वार्षिक कारोबार 10 हजार करोड़ रुपए के पार पहुंच गया है. जिस शुद्धता का झंडा बुलंद कर बाबा अपने सामान बेच रहे हैं. उसी पतंजलि के प्रोडक्ट्स पर 1 दिसंबर 2016 को एडीएम हरिद्वार ने मिस ब्रैंडिंग और भ्रामक प्रचार के पांच मामलों में दोषी पाए जाने पर 11 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था.

कोर्ट ने माना कि पतंजलि जिन प्रोडक्ट्स को अपनी यूनिट में उत्पादित बताकर अपने लेबल पर बेच रही है, दरअसल पर किसी दूसरी यूनिटों में बने थे. इस मामले से जुड़े नमूने 16 अगस्त 2012 को लिए गए थे. जिन्हें जांच के लिए रुद्रपुर लैब में भेजा गया था.

चेक बाउंस से विवादों में पतंजलि

नागपुर के मिहान विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) में 106 एकड़ जमीन के अधिग्रहण के लिए दिया गया पतंजलि कंपनी का चेक दो बार बाउंस हो चुका है. पतंजलि ने फूड पार्क बनाने के लिए 230 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया.

पतंजलि के मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण ने 10 करोड़ रुपए का चेक टोकन मनी के रूप में दिया था. इसके बाद दिया गया 64 करोड़ रुपए का चेक दो बार बाउंस हो चुका है.

राज्य सरकारों द्वारा रामदेव को व्यवसाय बढ़ाने के लिए जमीन कम दामों पर देने के आरोप लगते रहे हैं. कंपनी खड़ी करने के लिए रामदेव ने राष्ट्रवाद का चोला ओढ़ा तो विरोधियों की निगाह में रामदेव बाबा व्यापारी बनकर रह गए.