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अयूब पंडित की मौत से साफ है कि कश्मीर में क्या होने वाला है!

2013 से कश्मीर में हिंसात्मक झड़पें बढ़ रही हैं अब हालात आपके सामने हैं

FP Staff

पिछले कुछ दिनों से कश्मीर में हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. हाल के दिनों में हुई हिंसा से देखा जाए तो पिछले एक दशक में 2017 सबसे ज्यादा खूनी साल रहा है. उप अधीक्षक मोहम्मद अयूब पंडित की पीट-पीट कर हत्या करना भी घाटी में छाए काले बादलों की तरफ इशारा करता है.

द हिंदू के मुताबिक ‘हिंसा रमज़ान के बाद भी जारी रहेगी. और यह अक्टूबर तक जारी रहने की उम्मीद है’. एक अधिकारी ने कहा ‘इस साल हिंसा हमारी सभी उम्मीदों का उल्लंघन करने वाली है क्योंकि इस साल सेना पर हमले लगातार बढ़ते जा रहे हैं’.


एक दशक में 2017 सबसे खूनी साल रहा

जिस कश्मीर को हम भारत का अभिन्न हिस्सा बताते हैं. उसी कश्मीर में इस साल हिंसा में मरने वाले सुरक्षा बलों, आतंकियों और नागरिकों की मौत की संख्या 150 पार कर चुकी है. वहीं 2009 में यह हिंसात्मक मौतों के आंकड़े को भी पार कर सकती है. 2009 में 375 लोगों की मौत हुई थी.

इसके आगे उन्होंने कहा ‘कश्मीर में होने वाली हिंसा पर नजर दौड़ाएं तो पता चलता है कि 2002-2003 से 2013 तक हिंसक झड़पों में लगातार गिरावट आई है. लेकिन 2013 के बाद से हिंसक मामले बढ़ने शुरू हो गए और इसी के साथ 2017 का सबसे खराब साल अब खत्म हो जाएगा. अब आगे आने वाले सालों में पता चलेगा कि प्रशासन और सेना इस हिंसा को कितना कम पाई है’.

एक सीनियर ऑफिसर ने द हिंदू से बातचीत करते हुए कहा ‘कश्मीर में हिंसा और हमले लगातार बढ़ रहे हैं. ईद के बाद यह घटनाएं बढ़ने की उम्मीद है. क्योंकि पिछले साल 8 जुलाई को हिजबुल मुजाहिद्दीन के कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद घाटी में हिंसा लगातार बढ़ रही है. इस साल वानी की सालगिराह पर हालात खराब होने की उम्मीद है. वार्षिक अमरनाथ यात्रा भी शुरू होने वाली है.’

इस साल 77 आतंकियों को मार गिराया 

घाटी में इस समस्या से निपटने के लिए आर्मी ने पांच एडिशनल बटालियन, 5,000 सैनिकों की टुकड़ी बनिहाल में तैनात की है. जिसमें से तीन नेशनल हाईवे पर जवाहर टनल के आस-पास तैनात की है. जो कि जम्मू से कश्मीर को जोड़ती है. पिछली घटनाओं पर नजर दौड़ाएं तो पता चलेगा कि आतंकियों ने पूर्ण रूप से सुरक्षित हाईवे को कभी निशाना नहीं बनाया है. उनका निशाना आंतरिक जगहों पर ही होता है.

द हिंदू के मुताबिक दो महीने पहले एलओसी पर सुरक्षा के लिए सेना की टुकड़ी तैनात की गई है. ऐसा कहा जाता है कि कश्मीर में उपद्रवियों के लिए सारा जखीरा पाकिस्तान मुहैया कराता है.

इस साल 12 जून तक सेना ने 77 आतंकियों को मार गिराया है. जिसमें से 32 एलओसी और 45 को घाटी में मारा गया है. पिछले साल जून तक 54 आतंकी मारे जा चुके थे.

कश्मीर के कुपवाड़ा में सबसे ज्यादा बाहरी आतंकियों ने हमले किए हैं, और शोपियां में सबसे ज्यादा घरेलू आतंकी हमले हुए हैं. जिसका सीधा प्रभाव जम्मू कश्मीर की आर्थिक स्थिति पर पड़ा है.