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अयोध्या विवाद: पांच आरोपियों ने किया आत्मसमर्पण, जमानत पर हुए रिहा

छह दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा ढहाए जाने के मामले में दो एफआईआर दर्ज हुई थी

Bhasha

अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाये जाने के आपराधिक मामले में शनिवार को महंत नृत्य गोपाल दास, महंत राम विलास वेदांती, बैकुंठ लाल शर्मा उर्फ प्रेमजी, चपंत राय बंसल और धर्मदास ने सीबीआई की विशेष अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया.

विशेष न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार यादव ने सभी मुल्जिमों की जमानत अर्जी मंजूर कर ली. इन्हें 20 हजार रुपए की जमानत और इतनी ही धनराशि का निजी मुचलका दाखिल करने पर रिहा करने का आदेश दिया.


सुप्रीम कोर्ट द्वारा 19 अप्रैल को पारित आदेश के बाद अयोध्या मामले पर गठित विशेष अदालत ने छह आरोपियों को तलब किया था. विशेष अदालत के इसी आदेश के अनुपालन में शनिवार को इन पांच मुल्जिमों ने आत्मसमर्पण किया जबकि एक मुल्जिम डा. सतीश प्रधान हाजिर नहीं हो सके.

सीबीआई के विशेष वकील आर के यादव, पूर्णेंदु चक्रवर्ती और ललित सिंह के मुताबिक अब मामले की अगली सुनवाई 22 मई को होगी.

उल्लेखनीय है कि छह दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा ढहाए जाने के मामले में दो एफआईआर दर्ज हुई थी.

49 लोग थे आरोपी

सीबीआई ने जांच के बाद इस मामले में कुल 49 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था.

बालासाहेब ठाकरे, कल्याण सिंह, महंत परमहंस रामचंद दासजी, महंत अवैद्यनाथ, महंत नृत्य गोपाल दास, महंत राम विलास वेदांती, बैकुंठ लाल शर्मा उर्फ प्रेमजी, सतीश नागर, मोरेसर सवे, सतीश प्रधान, चंपत राय बंसल व महामंडलेश्वर जगदीश मुनि जी महाराज समेत कुल 13 मुल्जिमों को अदालत ने आरोप के स्तर पर ही बरी कर दिया था.

इस आदेश को सीबीआई की तरफ से पहले हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. लखनऊ में सीबीआई की विशेष अदालत में फैजाबाद के तत्कालीन जिलाधिकारी आर एन श्रीवास्तव, जयभान सिंह पवैया, आचार्य धमेंद्र देव और सुधीर कक्कड़ समेत कुल 28 आरोपियों के मुकदमे की कार्यवाही शुरु हो गई.

हालांकि अब तक इनमें से छह आरोपियों की मुकदमे के दौरान ही मौत हो चुकी है. शेष मुल्जिम लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, विनय कटियार, उमा भारती, विहिप के चेयरमैन अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, विष्णु हरि डालमिया और साध्वी ऋतंभरा समेत आठ मुल्जिमों के मामले की कार्यवाही रायबरेली की विशेष अदालत में चलने लगी. इनमें अशोक सिंघल व गिरिराज किशोर का निधन हो चुका है.

क्या था सुप्रीम कोर्ट आदेश?

सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल को सीबीआई की विचाराधीन एसएलपी का निपटारा करते हुए विस्तृत आदेश पारित किया. न्यायालय ने रायबरेली की विशेष अदालत में चल रही कार्यवाही को लखनऊ स्थित सीबीआई की विशेष अदालत में स्थानांतरित कर दिया.

न्यायालय ने कहा कि लखनऊ की विशेष अदालत दिन-प्रतिदिन सुनवाई कर दो साल में मुकदमे का निपटारा करेगी. सीबीआई के विशेष वकील पूर्णनेन्दु चक्रवर्ती के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही विशेष अदालत से आरोप के स्तर पर ही बरी किए गए आरोपियों के खिलाफ भी मुकदमा चलाने का आदेश दिया.

सुप्रीम कोर्ट के इसी आदेश के अनुपालन में सीबीआई की विशेष अदालत ने मुल्जिमों को तलब किया था.