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अयोध्या विवादः मामले को संवैधानिक पीठ में भेजने की मांग तेज

वकील राजू रामचंद्रन ने दलील दी कि यह विवाद एक राष्ट्रीय मुद्दा है लिहाजा इसे संविधान पीठ में भेजा जाए

FP Staff

अयोध्या मामले की सुनवाई को संवैधानिक पीठ को सौंपे जाने की मांग तेज हो गई है. शुक्रवार को मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हुई. इस दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से पेश हुए वकील राजू रामचंद्रन ने मामले को पांच जजों की बेंच को सौंपने की मांग की.

वहीं रामलला विराजमान की तरफ से पेश हुए हरीश साल्वे ने इस दलील का विरोध किया. उन्होंने कहा कि मामला प्रॉपर्टी विवाद का है और इसकी संविधान पीठ में सुनवाई की जरूरत नहीं है. इसके बाद सीजेआई दीपक मिश्रा ने मामले की सुनवाई के लिए 15 मई का दिन तय कर दिया.


राजू रामचंद्रन ने दलील दी कि यह विवाद एक राष्ट्रीय मुद्दा है लिहाजा इसे संविधान पीठ में भेजा जाए. रामलला विराजमान की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने मामले को संविधान पीठ को भेजने की मांग का विरोध किया.

अयोध्या विवाद से संबंधित 13 याचिकाओं पर चल रही है सुनवाई 

साल्वे ने कहा, 'कोर्ट में बार-बार 1992 का हवाला दिया जा रहा है. देश उस घटना से काफी आगे जा चुका है. बेहतर हो कि मसले को राजनीतिक और धार्मिक रंग देने वाली ऐसी दलीलों को बाहर छोड़कर आएं. कोर्ट मामले को प्रॉपर्टी विवाद की तरह सुने.'

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट अयोध्या मामले में 2010 में आए इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली 13 याचिकाओं की सुनवाई कर रहा है. हाई कोर्ट ने विवादित स्थल को 3 बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले सुब्रमण्यन स्वामी, श्याम बेनेगल, अपर्णा सेन और तीस्ता सीतलवाड़ की याचिकाओं समेत सभी 32 दखल याचिकाओं को खारिज कर दिया था.

पिछली सुनवाई के दौरान सीजेआई दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर की बेंच ने सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री को निर्देश दिया था कि वह अयोध्या मामले में किसी भी दखल याचिका की लिस्टिंग न करे.