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नए राष्ट्रपति कोविंद का सुरक्षा घेरा और मजबूत करने की कवायद

दिल्ली पुलिस के एक हजार से भी अधिक जवान अब नए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की सुरक्षा का जिम्मा संभालेंगे.

Ravishankar Singh

राष्ट्रपति बनते ही रामनाथ कोविंद की सुरक्षा के सारे इंतजामात अब दिल्ली पुलिस के हाथ में आ गए हैं. दिल्ली पुलिस के एक हजार से भी अधिक जवान अब नए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की सुरक्षा का जिम्मा संभालेंगे.

पिछले कुछ दिनों से दिल्ली पुलिस के साथ जांच एजेंसियों ने भी नए राष्ट्रपति की सुरक्षा की तैयारियां शुरू कर दी थीं. ऐसा माना जा रहा है कि रामनाथ कोविंद को पिछले कुछ पूर्व के राष्ट्रपतियों से अलग सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी.


भारत के चौदहवें राष्ट्रपति बनते ही रामनाथ कोविंद को विशेष सुरक्षा मिल गई है. रामनाथ कोविंद के राष्ट्रपति निर्वाचित होते ही राष्ट्राध्यक्ष का रुतबा मिल गया था. गृह मंत्रालय ने एनडीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार बनते ही रामनाथ कोविंद को एनएसजी की विशेष सुरक्षा प्रदान की थी.

पर, 25 जुलाई से एनएसजी रामनाथ कोविंद की सुरक्षा नहीं करेगी. एनएसजी से यह जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस के हजारों जवानों के हाथ में आ जाएगी.

भारत में राष्ट्रपति को अमूमन कम खतरे की धारणा के कारण अभी तक एसपीजी के दायरे में नहीं लाया गया है. आधिकारिक तौर पर राष्ट्रपति भारतीय सेना के पीबीजी (राष्ट्रपति के अंगरक्षक) द्वारा संरक्षित होते हैं.

पीबीजी दुनिया में सबसे पुरानी रेजिमेंटों में से एक है. यह दुनिया में अंतिम शेष घुड़सवार रेजिमेंटों में से एक है. इसकी भूमिका मुख्य तौर पर औपचारिक होती है. जिसमें इसका इस्तेमाल धूमधाम और भव्यता की भावना को प्रेरित करने के लिए किया जाता है.

पीबीजी लगभग 222 सैनिकों की एक छोटी इकाई है, जिसमें 4 अधिकारी 20 जेसीओ रैंक के अधिकारी और 198 जवान होते हैं. ये सभी राष्ट्रपति के सचिवालय के अधीन रखे जाते हैं.

यह साफ तौर राष्ट्रपति भवन की एक औपचारिक इकाई है, जो राष्ट्रपति भवन में प्रोटोकॉल के अनुसार समारोहों का आयोजन करता है. पीबीजी की अलग पोशाक होती है.

लेकिन, वास्तविक तौर पर कहा जा सकता है कि भारत के राष्ट्रपति की सुरक्षा को दिल्ली पुलिस के वीआईपी सुरक्षा विंग ने संभाल रखा है. वीआईपी सुरक्षा के मामले में दिल्ली पुलिस एक बेहद अनुभवी संगठन है.

एसपीजी के समान सिद्धांतों के साथ काम करते हुए दिल्ली पुलिस राष्ट्रपति भवन और राष्ट्रपति के चारों ओर सुरक्षा के कई अभेद्य परत बना रखी है.

हालांकि, एसपीजी की तर्ज पर ही भारत में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के लिए भी विशेष अंगरक्षक बल की मांग समय-समय पर होती रहती है.

राष्ट्रपति भवन के लिए नियुक्त दिल्ली पुलिस कर्मियों को वीआईपी सुरक्षा के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है. राइसीना हिल की सुरक्षा व्यवस्था भी आधुनिक समय की आवश्यकताओं के अनुरूप निर्धारित की गई है.

एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी के मुताबिक राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति की रक्षा के लिए समर्पित बल की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही है.

राष्ट्रपति की सुरक्षा की समीक्षा करने के लिए दिल्ली पुलिस के साथ पिछले कई बैठकों के दौरान, अधिकारियों ने देश की पहली नागरिक को युवा, फिट और पेशेवर बल की रक्षा करने की आवश्यकता पर जोर दिया है.

हालांकि, सरकारी सूत्रों ने स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) के विस्तार करने से साफ इंकार करते हुए कहा है कि राष्ट्रपति को शामिल करने के लिए प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधान मंत्री और उनके परिजनों को भी एसपीजी सुरक्षा देनी पड़ेगी.

भरत में पहली बार इसी साल मार्च में राष्ट्रपति की सुरक्षा में दिल्ली पुलिस की कुछ महिला सुरक्षा अधिकारियों की भी तैनाती प्रयोग के तौर पर की गई है. तैनाती के उत्साहवर्द्धक नतीजे सामने आने के बाद राष्ट्रपति की सुरक्षा में और महिला अधिकारियों की तैनाती की जा रही है.

भारत के राष्ट्रपति की सुरक्षा में इस समय दिल्ली पुलिस की चार महिला अधिकारी तैनात हैं जिन्हें आधुनिक हथियार चलाने से लेकर विदेशी शख्सियतों के साथ व्यवहार जैसे संवेदनशील काम का अनुभव है.

भारत में पुलिस संगठनों में आमतौर पर महिला अधिकारियों को वीवीआईपी के नजदीकी सुरक्षा दल (क्लोज प्रोटेक्शन टीम) में रखने का प्रचलन न के बराबर है. लेकिन कुछ ही अरसा पहले दिल्ली पुलिस ने महिलाओं को परखने की कवायद शुरू की है.

ये महिला अधिकारी नीले सूट (कोट, पेंट, टाई) वाली एक जैसी यूनिफॉर्म पहनती हैं. इसी पोशाक के बीच सुरक्षा उपकरण और हथियार भी होते हैं. जो दिखाई तक नहीं देते.

इसकी एक वजह ये भी होती है कि इन अधिकारियों का आमना-सामना अक्सर अन्तरराष्ट्रीय शख्सियतों से भी होता है. ये अधिकारी दिल्ली पुलिस की राष्ट्रपति शाखा की हैं.

राष्ट्रपति के अंगरक्षकों में भारतीय सेना के भी जवान तैनात रहते हैं. सेना की एक रेजिमेंट राष्ट्रपति भवन में स्थित है. हालांकि, राष्ट्रपति के रोज-रोज के सुरक्षा व्यवस्था से इनका कोई लेना-देना नहीं होता है.