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आईएसआईएस मोड्यूल को ध्वस्त करने के बहाने आईटी एक्ट में प्रस्तावित संशोधन कितना असरदार?

दो दिन पहले आईएसआईएस मॉड्यूल के खुलासे के बाद नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (एनआईए) एक बार फिर से सुर्खियों में आ गई है.

Ravishankar Singh

दो दिन पहले आईएसआईएस मॉड्यूल के खुलासे के बाद नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (एनआईए) एक बार फिर से सुर्खियों में आ गई है. बुधवार को एनआईए ने दिल्ली और यूपी के 17 ठिकानों पर छापा मार कर आतंकी संगठन आईएसआईएस के नए मोड्यूल का भंडाफोड़ किया था. आज इसी मुद्दे को लेकर देश के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कांग्रेस सहित कई विपक्षी पार्टियों पर जमकर हमला बोला है.

जेटली ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा है कि जिस इलेक्‍ट्रॉनिक इंटरसेप्‍शन का विपक्ष विरोध कर रहा था, एनआईए की यह सफलता इसी इंटरसेप्‍शन के आधार पर मिली है. अपने ट्वीट में जेटली ने कहा कि खतरनाक आतंकवादी मॉड्यूल को तोड़ने के लिए एनआईए ने बेहतरीन तरीके से काम किया है.


जेटली ने कहा, ‘क्‍या आतंकियों के मॉड्यूल को लेकर यह खुलासा, इले‍क्‍ट्रॉनिक संचार पर होने वाली निगरानी के बिना यह कार्रवाई संभव हो पाती? विपक्ष पर हमला बोलते हुए जेटली ने कहा कि क्या यूपीए सरकार के शासनकाल में भी सबसे ज्‍यादा निगरानी नहीं की गई थी?

जेटली ने एक के बाद एक ट्वीट कर एनआईए की जमकर तारीफ की और कांग्रेस पार्टी पर जमकर हमला बोला. वित्त मंत्री ने आईटी एक्ट में बदलाव की बात कहते हुए कांग्रेस सहित विपक्षी पार्टियों पर तंज कसते हुए कहा कि क्या राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आईटी एक्ट में बदलाव कर जांच एजेंसियों को यह अधिकार नहीं दिया जा सकता?

बता दें कि जेटली ने एनआईए की इस कार्रवाई को भारत की आईटीएक्ट में बदलावों से जोड़ कर विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधा. हाल ही में एक आरटीआई के खुलासे में पता चला था कि यूपीए सरकार में हर महीने औसतन 9 हजार टेलिफोन कॉल्स और 500 ईमेल्स की निगरानी होती थीं.

पिछले कुछ महीनों से दुनियाभर में हो रहे साइबर हमले को देखते हुए भारत के आईटी एक्सपर्ट्स ने भी भारत में आईटी एक्ट में बदलाव की मांग कर रहे हैं. देश में पिछले काफी समय से आईटी एक्ट में बदलाव की मांग उठ रही है. साइबर एक्सपर्ट्स का मानना है कि सरकार सूचना प्रौद्योगिकी कानून में संशोधन करे. सरकार कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम शुरू करे. स्कूल और कॉलेजों में साइबर सुरक्षा को लेकर लोगों को जागरूक करे.

साइबर एक्सपर्ट का मानना है कि देश की साइबर सुरक्षा पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो सरकार के ‘डिजिटल इंडिया' और ‘कैशलेस इकॉनमी' जैसे अभियानों के भविष्य पर रैनसमवेयर ‘वानाक्राई', ‘पैटव्रैप या गोल्डन आई’ के साथ आतंकी गतिविधियों में शामिल कुछ एजेंसियों का भी हमला होगा.

सुप्रीम कोर्ट के वकील और साइबर कानून के जानकार पवन दुग्गल फ़र्स्टपोस्ट हिंदी से बात करते हुए कहते हैं, ‘ देखिए इंटरसेप्शन जो होते हैं वह आईटी एक्ट से ही होते हैं. यह एक अलग मामला है. बीते 24 दिसंबर 2018 को ही केंद्र सरकार ने प्रस्तावित आईटी एक्ट में संसोधन किया है वह पब्लिक डोमेन में आ गया है. इसका अब दुरुपयोग होने की संभावना ज्यादा हो गई है. इसलिए कहीं न कहीं इस पर अंकूश लगाने की जरूरत है. हमलोगों को निजता का मौलिक अधिकार मिल चुका है. सरकार को भी इसका सम्मान करना चाहिए. ये बात ठीक है कि देश में साइबर सुरक्षा से जुड़े कानून नहीं हैं. अभी तक आईटी कानून- 2013 को भी अमल में नहीं लाया गया. भारत सरकार को शीघ्र ही विश्व के अन्य देशों के साथ मिलकर साइबर सुरक्षा से संबंधित कानून का मसौदा तैयार करना चाहिए.’

दुग्गल आगे कहते हैं, ‘भारत में आईटी एक्ट काफी कमजोर हैं. हैकर्स आसानी से भारतीय साइबर कानून को टेक्नोलॉजी से मात दे देते हैं. साइबर अटैकर्स के लिए भारत सबसे सुरक्षित जगह बनता जा रहा है. देश को साइबर सुरक्षा पर बहुत अधिक काम करने की जरूरत है. साइबर सुरक्षा के बगैर सरकार के 'डिजिटल इंडिया' और 'कैशलेस इकॉनमी' जैसे महत्वाकांक्षी अभियानों पर हमेशा साइबर हमले का खतरा बना रहेगा.’

भारत जैसे देशों में भी अब साइबर हमलावर के लिए एक दंडनीए अपराध घोषित करने की जरूरत आ गई है. आज भारत में साइबर अपराध करने वालों के लिए सजा का प्रावधान नहीं है. धाराएं जमानती हैं. ऐसे में साइबर एक्सपर्ट्स का मानना है कि साइबर अपराध के लिए कम से 7 से 10 साल का सजा का प्रावधान होना चाहिए.

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 20 दिसंबर को 10 एजेंसियों को कंप्यूटर और मोबाइल फोन की निगरानी करने का अधिकार दिया था, जिसका कांग्रेस और एआईएमआईएम जैसी कई पार्टियों ने निजता पर हमला करार दे कर इस निर्णय का पुरजोर विरोध किया था.

मंगलवार और बुधवार को यूपी और दिल्ली में 17 जगहों पर एनआईए ने छापेमारी की थी. यह छापेमारी नए आईएसआईएस मॉड्यूल हरकत-उल-हर्ब-ए-इस्लाम के लिए की गई. एनआईए का कहना है कि इस मॉड्यूल के लोग धमाकों को अंजाम देने की फिराक काफी दिनों से लगे थे.

बुधवार को एनआईए के आईजी मीडिया से मुखातिव होते हुए कहा था कि दिल्ली के सीलमपुर और यूपी के अमरोहा, हापुड़, मेरठ और लखनऊ में छापेमारी की गई है. भारी मात्रा में हथियार और विस्फोटक सामग्री बरामद की गई है जिसमें एक रॉकेट लॉन्चर भी शामिल है.

एनआईए ने बताया कि छापेमारी में 7.5 लाख रुपए, करीब 100 मोबाइल फोन, 135 सिम कार्ड, लैपटॉप को सीज किया गया है. एनआईए ने कहा 16 संदिग्धों से पूछताछ के बाद 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

एनआईए के मुताबिक आरोपियों के निशाने पर राजनेता और कई महत्वपूर्ण लोग थे और इनका मकसद रिमोट कंट्रोल और फिदायीन हमले के जरिए धमाका करने का था. यह आईएसआईएस से प्रेरित मॉड्यूल है. ये लोग विदेशी एजेंटों के संपर्क में थे. एनआईए ने बताया कि गैंग के लीडर का नाम मुफ्ती सोहेल है जो दिल्ली में रहता है. वह मूल रूप से यूपी के अमरोहा का है जहां वह एक मस्जिद में काम करता है.

बता दें कि एनआईए का यह कोई पहला छापा नहीं था. इससे पहले भी एनआईए के द्वारा देश के विभिन्न हिस्सों में अक्सर छापेमारी होती रही है, लेकिन हाल के वर्षों में एनआईए की छापेमारी में काफी तेजी आई है. एनआईए पिछले कुछ दिनों से तेजी से कार्रवाई कर रही है, जिसकी वजह से वह अक्सर सुर्खियों में बनी रहती है.

हैदराबाद में मक्का मस्जिद ब्लास्ट, अजमेर शरीफ दरगाह ब्लास्ट, हैदराबाद सीरियल बम ब्लास्ट, केरल में हिंदू लड़कियों से शादी करने वाले कई मुस्लिम लड़कों का लव जिहाद मामला हो या फिर इसी साल पंजाब में निरंकारी संत्संग पर ग्रेनेड हमले से तीन लोगों की मौत का मामला हो एनआईए इन सारे मामलों की जांच कर रही है.

गौरतलब है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी(एनआईए) की स्थापना साल 2008 में मुंबई में आतंकवादी हमले के बाद की गई थी. एनआईए केंद्रीय आतंकवाद विरोधी कानून प्रवर्तन एजेंसी के रूप में काम करती है. एनआईए को राज्यों से बिना अनुमति के ही आतंकी गतिविधियों से निपटने का अधिकार प्राप्त है. एनआईए 31 दिसंबर 2008 को भारत की संसद द्वारा पारित अधिनियम राष्ट्रीय जांच एजेंसी विधेयक 2008 के लागू होने के बाद ही अस्तित्व में आई थी. यूपीए-1 की मनमोहन सिंह की सरकार ने आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए इस एजेंसी का गठन किया था.