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हम मरना नहीं चाहते : आसाराम मामले के गवाह

जेल में बंद आसाराम बापू केस के चश्मदीदों ने सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दी है.

Shantanu Guha Ray

हत्या और बलात्कार के मामले में जेल में बंद आसाराम बापू और उसके बेटे नारायण साईं केस के चश्मदीदों ने सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दी है. अपनी अर्जी में इन गवाहों ने अदालत से कहा कि वे मरना नहीं चाहते हैं.

इन चारों गवाहों की गवाही आसाराम और उनके बेटे के खिलाफ दर्ज कई मामलों पर गहरा असर कर सकती है. इन चारों गवाहों में से एक दैनिक जागरण अखबार के पत्रकार भी हैं.


इन सभी गवाहों का कहना है कि, उन्हें सुरक्षा की जरूरत है क्योंकि उनपर कई बार आसाराम के आदमियों ने जानलेवा हमला किया है. अब तक इन दोनों बाप-बेटे के केस से जुड़े तीन चश्मदीदों की अज्ञात लोगों ने हत्या कर दी है.

ऐसे में इन चारों गवाहों का डर जायज लगता है. आसाराम की संस्था इस समय दुनिया के 12 देशों में फैली हुई है और इनके कुल 400 सेंटर हैं. इन केंद्रों में आसाराम के तकरीबन 20 लाख भक्त हैं.

जेल में बंद बाप-बेटे

आसाराम इस समय जोधपुर जेल में बंद हैं, जबकि उनका बेटा नारायण सांई सूरत की जेल में बंद है. दोनों पर बलात्कार और तंत्र-मंत्र के जरिए बच्चों की हत्या का आरोप है.

जिन लोगों की हत्या हुई है, उनमें आसाराम के निजी डॉक्टर अमृत प्रजापति, निजी रसोईया अखिल गुप्ता और कृपाल सिंह शामिल हैं.

अमृत प्रजापति की हत्या जून 2014 में राजकोट में कुछ हथियार बंद मोटर साईकिल सवारों ने गोली मारकर कर दी थी.

अखिल गुप्ता की हत्या 12 जनवरी 2015 को मुजफ्फरनगर में कर दी गई थी.

जबकि कृपाल सिंह की हत्या 10 जुलाई 2015 को शाहजहांपुर कर दी गई थी. कृपाल सिंह 2013 के प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस (पोक्सो) केस में गवाही देने वाले थे.

चौथे चश्मदीद, राहुल सचान 21 नवंबर की दोपहर को गायब कर दिए गए थे. ऐसी आशंका है कि उनकी भी मौत हो चुकी है.

साल 2009-2013 तक आसाराम के निजी सचिव रहे सचान- यूपी के बालागंज से लगभग हर दिन पुलिस को फोन कर अपनी जान बचाने की गुहार लगा रहे थे.

सचान के शब्द कुछ यूं हुआ करते थे,

जब तक मैं कोर्ट में हाजिर नहीं हो जाता हूं तब तक मुझे बचा लीजिए. अगर वे मुझे ढूंढ लेंगे, तो मुझे जरूर मार डालेंगे.

फरवरी 2015 में जोधपुर की एक कोर्ट में पेश होने के तुरंत बाद ही, सचान पर आसाराम के एक शिष्य सत्यनारायण यादव ने हमला कर दिया था.

उस हमले में सचान के सीने पर चाकू से मारा गया था लेकिन खुश्किस्मती से वो बच गए. जिसके बाद उन्हें यूपी पुलिस से सुरक्षा भी दी गई.

सचान ने इस मामले में मारे गए अन्य गवाहों की हत्या के मामलों की सीबीआई जांच करवाने की मांग की थी, क्योंकि उन्हें इस बात डर था कि आसाराम और उनके बेटे नारायण सांई गवाहों के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश कर रहे थे.

सुप्रीम कोर्ट के दबाव पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें एक हथियारबंद सिपाही की सुरक्षा दी थी, लेकिन नवंबर के शुरुआती हफ्तों में ड्यूटी पर लगे सिपाही के छुट्टी पर जाने के बाद, उसकी जगह कोई भी ड्यूटी पर नहीं पहुंचा.

हत्यारों ने तब मौके का फायदा उठाकर सचान को अगवा कर लिया और पुलिस के रिकॉर्ड में वे आज भी गुमशुदा दर्ज हैं.

बालागंज पुलिस स्टेशन के सीनियर अफसर अफजल मेहंदी जिन पर सचान की सुरक्षा की जिम्मेदारी थी, वे कहते हैं- सचान को ढूंढने की कोशिशें जारी हैं.

मेहंदी के अनुसार, ‘ये केस बंद नहीं हुआ है और सचान के गार्ड को कुछ ही दिनों के भीतर बदल दिया गया था. हम लगातार उसके संपर्क में है.’

पुलिस की लापरवाही

लेकिन सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाने वालों की दलील है कि ये सबकुछ पुलिस की लापरवाही के कारण हुआ है. अगर पुलिस चौकन्ना होती तो सचान के किडनैपर इतनी आसानी से इस काम को अंजाम नहीं दे पाते.

आवेदक महेंद्र चावला के अनुसार,

सचान ने पुलिसवालों की शिकायत की थी, लेकिन उनकी शिकायत को अनदेखा कर दिया गया था. उन्हें ट्विटर पर भी धमकियां दी गईं थी पर उसे भी नजरअंदाज कर दिया गया था.

महेंद्र चावला पहले नारायण साईं के निजी सचिव हुआ करते थे और अब इस मामले के मुख्य गवाह हैं. देश की पहली जांच संस्था सीबीआई इसी साल अगस्त महीने में सचान मामले की जांच करने के लिए आगे आयी है.

ऐसा इलाहाबाद हाईकोर्ट में न्यूजीलैंड के रहनेवाले एक भारतीय मूल के वकील बेनेट कैस्टिलिनो की तरफ से जनहित याचिका दायर करने के बाद हुआ.

कैस्टिलिनो दुनियाभर में ऐसे संदिग्ध साधु-संतों और पादरियों के खिलाफ मुहिम चलाने के लिए जाने जाते हैं. उनके मुताबिक, इस मामले की सीबीआई जांच इस लिए भी जरूरी है क्योंकि यूपी पुलिस ने पूरी जांच को गड़बड़ कर दिया था.

चावला के अलावा जिन याचिकाकर्ताओं ने अदालत में अर्जी डाली है. उनमें मारे गए गवाह अखिल गुप्ता के पिता नरेश गुप्ता, कथित तौर पर बलात्कार कर हत्या कर दी गई नाबालिग बच्ची के पिता और पत्रकार नरेंद्र यादव शामिल हैं.

मारी गई नाबालिग बच्ची के भाई पर पुलिस सुरक्षा मिलने के बाद भी हमला किया गया था.

इस याचिका में ये बताया गया है कि कैसे इस नाबालिग बच्ची के भाई का कथित हमलावर गिरफ्तार होने के बाद भी छूट गया था और उसने बाद में कथित तौर पर कृपाल सिंह की हत्या कर दी थी.

पत्रकार नरेंद्र यादव का भी दावा है कि उनपर कुछ अज्ञात हमलावरों ने हमला किया है. यादव ने अपनी याचिका में ये भी बताया है कि कैसे शाहजहांपुर में रहने के दौरान पांडेय ने उसे लगातार धमकी भरी चिट्ठियां लिखता रहा है.

गुप्त जगह में गवाह

चावला जो इस समय हरियाणा के किसी गुप्त जगह पर रह रहे हैं, उनके मुताबिक साल 2015 में सचान पर कोर्ट परिसर में जो हमला किया गया था वो असल में उनके लिए था.

पूर्व सब-ब्रोकर और इंश्योरेंस एजेंट चावला के अनुसार उन्हें शुरुआत में आश्रम में काफी सुकून मिला था, लेकिन बाद में बाप-बेटे के काले कारनामे को देखकर उनका मन फट गया.

अंत में वे उन दोनों के खिलाफ कोर्ट में चले गए. जिसके बाद उन्हें लगातार धमकियां दी जाने लगीं.

इस समय चावला एक कमरे वाले घर में रहते हैं और उनकी हिफाजत के लिए 24 घंटे एक हथियारबंद कांस्टेबल उनके साथ रहता है. लेकिन मौत का डर, हर समय उनके सिर पर लटका रहता है.

इलाहाबाद कोर्ट में दायर अपनी याचिका में चावला ने लिखा,

मैं तब तक जिंदा रहना चाहता हूं, जब तक कि मैं सूरत और अहमदाबाद केस के सिलसिले में गवाही न दे दूं.

‘मुझे पता है कि मैं हत्यारों के निशाने पर हूं. एक सिपाही के भरोसे मैं सुरक्षित नहीं रह सकता हूं...मैं हमेशा डर के साये में रहता हूं.’ चावला ने ये बातें फोन पर अपने गुप्त स्थान से बताई.

चावला के अनुसार, ‘वे कई बार अपने चेहरे पर दुपट्टा बांधकर जरूरी सामान लेने के लिए घर से बाहर नजदीकी बाजार में जाते हैं.’

कागजों में अगर देखा जाए तो आसाराम और उनके बेटे लिए हालात मुश्किल होते जा रहे हैं.

साल 2008 में अभिषेक और दीपेश वाघेला नाम के दो चचेरे भाइयों की आसाराम के मोटेरा आश्रम में रहस्यमय तरीके से हुई मौत के बाद उन दोनों पर तंत्र साधना के भी आरोप लगे हैं.

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में ये बताया गया था कि दीपेश के शरीर से छोटी और बड़ी आंत के अलावा, तिल्ली, किडनी और ब्लैडर गायब थे.

इसके बाद भी आसाराम और उनके बेटे को गुजरात हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ ये कहकर रिहा कर दिया था. उनपर लापरवाही का केस बनता है, जिस कारण दोनों लड़कों की मौत हो गई थी.

मुश्किल में आसाराम

इसके बाद साल 2012 में गुजरात पुलिस ने आसाराम के 7 शिष्यों के खिलाफ चार्जशीट दायर किया था. गुजरात सरकार ने डीके त्रिवेदी कमिशन गठित किया,  जिन्हें तंत्र साधना और जोधपुर की नाबालिग बच्ची से रेप के मामले की जांच करने के आदेश दिए.

इसके अलावा सूरत की दो बहनों के साथ बलात्कार के आरोपों की जांच के भी आदेश दिए गए हैं.

आसाराम अगस्त 2013 से जोधपुर जेल में बंद है और उनका बेटा नारायण साईं सूरत के दिसंबर 2013 से सूरत के लाजपोर जेल में.

इसके बाद अजीब से हादसे सामने आने लगे. कुछ अज्ञात हत्यारों का गिरोह गवाहों का मुंह बंद करने में लग गया.

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले पूरे साल देखा कि कैसे आसाराम और उसके बेटे के खिलाफ मुंह खोलने वालों के खिलाफ हमले होते रहे हैं.

आसाराम अपनी संत वाली छवि के कारण- अक्सर नियमों का उल्लंघन करने के लिए भी जाने जाते हैं. इसी साल की शुरुआत में उन्होंने जोधपुर जेल के भीतर से शाहजहांपुर मामले के चश्मदीद कृपाल सिंह को मोबाइल पर धमकाया था.

सिंह ने बदले में आसाराम की आवाज रिकॉर्ड कर ली थी और वो ऑडियो क्लिप सहारनपुर पुलिस को दे दी थी. लेकिन इसके कुछ दिनों के बाद ही उनकी हत्या कर दी गई थी.

हालांकि, आसाराम के वकील सौरभ अजय गुप्ता ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए उन्हें निराधार और अप्रमाणित बताया है.

आसाराम और उनके बेटे के खिलाफ दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, उत्तरप्रदेश और गुजरात में कम से कम 10 मामले लंबित हैं.

अगली सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में जनवरी 2017 में होनी है. सभी याचिकाकर्ता बुरी परिस्थितियों में भी उम्मीद का दामन थामे हुए हैं.

उन्हें पता है कि अगर वे मारे जाएंगे, तो ये सारा मामला एक अजीब तरह का यू-टर्न ले सकता है.