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कर्ज में डूबे एयर इंडिया को बेच पाना काफी मुश्किल: पनगढ़िया

52 हजार करोड़ के घाटे में चल रही एयर इंडिया सरकार से मिले बेल आउट पैकेज पर 'उड़' रही है

Bhasha

नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि 52 हजार करोड़ रुपए के कर्ज के बोझ के तले दबे एयर इंडिया को बेचना ‘बहुत मुश्किल’ है. सरकार को इस बारे में फैसला करना होगा कि एयरलाइन के कर्ज को आंशिक रूप से या हमेशा के लिए बट्टे खाते में डाला जाए.

घाटे में चल रही एयर इंडिया सरकार से मिले बेल आउट पैकेज के बल पर टिकी हुई है. उसे कड़ी कारोबारी परिस्थितियों और कॉम्पीटिशन का सामना करना पड़ रहा है.


पनगढ़िया ने जोर देकर कहा कि सरकार को सबसे पहले यह फैसला करना होगा कि नेशनल कैरियर का निजीकरण किया जाए या नहीं. उन्होंने कहा कि अलग-अलग मुद्दों पर विचार-विमर्श करने की जरूरत है.

क्या विदेशी इकाइयों को भी बोली लगाने की मिलेगी इजाजत?

शुक्रवार को पनगढ़िया ने कहा कि माने लें कि एयर इंडिया के निजीकरण का फैसला किया जाता है तो यह मुद्दा आएगा कि इसके लिए राष्ट्रीय खरीदार ढूंढा जाए. या विदेशी इकाइयों को भी इसके लिए बोली लगाने की इजाजत दी जाए.

उन्होंने कहा कि एक अन्य मुद्दा यह आएगा कि क्या सरकार को इसमें कुछ हिस्सेदारी रखनी चाहिए, बेशक कम ही. ‘मुद्दा यह है कि एयर इंडिया राष्ट्रीय विमानन कंपनी है और ऐसे में हमें इसे कायम रखना चाहिए.’

एयरलाइन के कर्ज के बोझ के बारे में नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा कि 'अंतिम बार उन्होंने जो सुना है वह यह कि एयरलाइन पर 52 हजार करोड़ रुपए का कर्ज का बोझ है. कर्ज के इतने बड़े आंकड़े के साथ एयर इंडिया को बेचना काफी मुश्किल है.'