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नोटबंदी सबसे बड़ा घोटाला, ढाई लोग चला रहे सरकार: अरुण शौरी

सरकार की ओर से खुद को कुंठाग्रस्त करार दिए जाने पर शौरी ने कहा कि बीजेपी को पहले ऐसे लोगों की सूची जारी कर देनी चाहिए, जो कुंठाग्रस्त हैं.

FP Staff

बीजेपी के वरिष्ठ नेता यशवंत के बाद एक अन्य पूर्व बीजेपी मंत्री अरुण शौरी ने भी केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों पर तीखा हमला बोला है. शौरी ने समाचार चैनल एनडीटीवी से बातचीत में नोटबंदी अब तक का सबसे बड़ा मनी लॉड्रिंग घोटाला बताया है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि केंद्र सरकार को ढाई लोग चला रहे हैं.

शौरी ने करीब एक साल पहले नवंबर में एक हजार और पांच सौ रुपये के नोटों को अमान्य करार दिए जाने के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि उसी के कारण आज अर्थव्यवस्था में सुस्ती देखी जा रही है.


कमजोर अर्थव्यवस्था के पीछे जीएसटी और नोटबंदी

उन्होंने कहा कि नोटबंदी अब तक का सबसे बड़ा मनी लॉड्रिंग घोटाला है, जिसे पूरी तरह सरकार ने अंजाम दिया है. उन्होंने नोटबंदी को मूर्खतापूर्ण कार्रवाई बताया. जिन लोगों के पास काला धन था उन्होंने उसे सफेद बना लिया.

सिन्हा और शौरी दोनों ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में अहम जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. शौरी ने जीएसटी को लेकर भी सरकार की आलोचना की.

शौरी ने जीएसटी को भी सरकार की विफलता बताया. उन्होंने कहा कि यह एक अहम आर्थिक सुधार है लेकिन इसका क्रियान्वयन बहुत खराब तरीके से किया गया. तीन महीने के भीतर सात बार नियम बदले गए. उन्होंने एक सामान्य कर सुधार व्यवस्था जीएसटी की तुलना भारत की आजादी से करने पर भी आश्चर्य जताया.

'बीजेपी को कुंठाग्रस्त लोगों की लिस्ट जारी कर देनी चाहिए'

मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की शौरी ने ऐसे समय में आलोचना की है जब वह अपनों के साथ-साथ विपक्ष के निशाने पर है. सरकार की आलोचना करने को सिन्हा को बीजेपी की ओर से खुद को कुंठाग्रस्त करार दिए जाने पर शौरी ने कहा कि यही उनका काम करने का तरीका है. बीजेपी को पहले ऐसे लोगों की सूची जारी कर देनी चाहिए जो कुंठाग्रस्त हैं.

ढाई लोग चला रहे हैं सरकार

उन्होंने कहा कि देश की अहम आर्थिक नीतियां एक बंद कमरे में ढाई लोग तय करते हैं, जिसमें बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और पीएम मोदी शामिल हैं. आधे व्यक्ति के तौर पर उन्होंने वित्त मंत्री अरुण जेटली की ओर इशारा किया.

उन्होंने यह भी कहा कि वह यशवंत सिन्हा की उस टिप्पणी से सहमत हैं कि भाजपा में कई लोग सरकार की आर्थिक नीतियों को लेकर चिंतित हैं लेकिन वह अपनी बात नहीं रख पा रहे हैं.