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NHRC पहुंचे फौजियों के बच्चे, कहा-जवानों के मानवाधिकारों की भी सोचें हुजूर

बच्चों ने शिकायत में एनएचआससी से आग्रह किया है कि शोपियां में 27 जनवरी को जिस ढंग से जवानों पर पत्थरों से हमला हुआ, उसकी मुकम्मल जांच कराई जाए

FP Staff

जम्मू-कश्मीर के शोपियां में 27 जनवरी को हुई पत्थरबाजी की घटना अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) में पहुंच गई है. ताज्जुब की बात यह है कि एनएचआरसी में शिकायत करने वाले जो तीन बच्चे हैं वे सेना के जवानों के बेटे हैं. इन बच्चों ने शिकायत में एनएचआससी से आग्रह किया है कि शोपियां में 27 जनवरी को जिस ढंग से जवानों पर पत्थरों से हमला हुआ, उसकी मुकम्मल जांच कराई जाए. आयोग ने भी इस शिकायत को गंभीरता से लिया है.

जवानों के मानवाधिकार का क्या


टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, फौजियों के तीन बच्चों ने जम्मू-कश्मीर ही नहीं, अन्य राज्यों में भी जवान और सेना अधिकारियों पर हो रहे हमले की ओर आयोग का ध्यान खींचा है. बच्चों की शिकायत है कि जवानों के मानवाधिकार हनन को भी गंभीरता से लेना चाहिए और इसका समाधान निकाला जाना चाहिए.

एनएचआरसी ने लिया संज्ञान

इस शिकायत पर एनएचआरसी ने भी संज्ञान लिया है. इस बाबत रक्षा मंत्रालय को तथ्यात्मक रिपोर्ट मुहैया कराने का निर्देश दिया गया है. आयोग ने रक्षा मंत्रालय और सरकार से कहा है कि चूंकि उन्हें घाटी की असल स्थिति की जानकारी होगी, इसलिए सारे तथ्यों सहित एक विस्तृत रिपोर्ट जमा कराई जाए. जिससे यह पता चल सके कि सैन्य जवानों के मानवाधिकार की हालत क्या है.

क्या कहा आयोग ने

मानवाधिकार आयोग ने अपने एक वक्तव्य में कहा, तीन बच्चों ने शिकायत दर्ज कराई है. उनका आरोप है कि घाटी में लगातार पत्थरबाजी की घटनाएं हो रही हैं जिससे जवान और अधिकारियों का घोर मानवाधिकार हनन हो रहा है. बच्चों ने मीडिया रिपोर्टों के हवाले से कहा है कि शोपियां में पत्थरबाजी की घटना बिना किसी कारण या उकसावे के हुई. मामले में एफआईआर दर्ज भी हुई है तो आर्मी अधिकारियों के खिलाफ ही. बच्चों ने तारीखों के साथ घटनाओं को जोड़ते हुए अपनी शिकायत में स्पष्ट कहा है कि कई बार ऐसा हुआ कि जवान जिन लोगों की सुरक्षा में लगे थे, उन्हीं लोगों ने जवानों पर पत्थर बरसा दिए. इतना ही नहीं, केस भी आर्मी के खिलाफ ही चस्पा कर दिए गए.

शिकायत में प्रशासन पर हमला

बच्चों ने शिकायत में स्थानीय प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा है कि प्रशासन को जहां तक जवानों की रक्षा करनी चाहिए, लेकिन ऐसा होता नहीं. प्रशासन की ओर से घोर कोताही बरते जाने की बात कही गई है.

बच्चों ने कई अन्य मुद्दों का भी हवाला दिया है और कहा है कि विदेशों में जवानों पर पत्थर चलाना बहुत बड़ा गुनाह है जिसके लिए कड़े दंडों का प्रावधान है.

शिकायत करने वाले बच्चों को इस बात का मलाल है कि पत्थरबाजों और उनके षडयंत्रकारियों के खिलाफ दर्ज मामले हटाने में सरकार का हाथ है जो कि अंततः सेना की नैतिकता को गिराते हैं.