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अब सेना, नौसेना और वायुसेना मिलकर करेंगे दुश्मन का मुकाबला

संयुक्त रणनीति में जवानों के संयुक्त प्रशिक्षण, एकीकृत कमान और नियंत्रण ढांचा का प्रस्ताव है

Bhasha

सेना, नौसेना और वायुसेना के बीच अभियान के दौरान ज्यादा बेहतर तालमेल के लिए मंगलवार को एक ‘संयुक्त रणनीति’ का खुलासा किया गया. जिसका उद्देश्य परंपरागत और छद्म युद्धों समेत भारत के समक्ष सभी चुनौतियों का सशक्त रूप से मुकाबला करना है.

इस दस्तावेज में देश के सामने मौजूद अंतर्राष्ट्रीय खतरों, जम्मू कश्मीर और देश के विभिन्न हिस्सों में माओवाद जैसे ‘छद्म युद्धों’ जैसी चुनौतियों को सूचीबद्ध किया गया है. इसमें संकेत दिए गए हैं कि आतंकवाद विरोधी अभियानों में ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ प्रमुख विशेषता हो सकती है.


इसमें कहा गया है, ‘विभिन्न संघषर्पूर्ण चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए भारत ने एक सक्रिय और व्यवहारिक रवैया अपनाया है. आतंकी उकसावों की प्रतिक्रिया ‘सर्जिकल स्ट्राइल’ के तौर पर आ सकती है.’

स्पेस, अंतरिक्ष और साइबर स्पेस की भी जानकारी सेना को मिलेगी

संयुक्त रणनीति में जवानों के संयुक्त प्रशिक्षण, एकीकृत कमान और नियंत्रण ढांचा का प्रस्ताव है. इसके अलावा तीनों बलों के आधुनिकीकरण के लिए तीनों सेनाओं के दृष्टिकोण पर बल दिया गया है.

इस रणनीति से संयुक्त योजना और अभियान के संचालन की संयुक्त रणनीति के कार्यढांचे को स्थापित करने में मदद मिलेगी. इससे एक साथ सभी क्षेत्रों जैसे जमीन, हवा, समुद्र, अंतरिक्ष और साइबर स्पेस शामिल है.

इस दस्तावेज को चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष और नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत और वायुसेना प्रमुख बी एस धनोवा की उपस्थिति में जारी किया.