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देश को मिलेगी पहली महिला सीबीआई डायरेक्टर?

आईपीएस अधिकारी मीरा चंद्र बोरवणकर सीबीआई निदेशक की दौड़ में सबसे आगे चल रही है.

Ravishankar Singh

क्या देश को इस बार पहली महिला सीबीआई डायरेक्टर मिलने जा रही है? सीबीआई के नए निदेशक की रेस में वैसे तो कई नाम चल रहे हैं, लेकिन दो महिला आईपीएस अफसरों के नामों पर भी चर्चा है. ऐसा शायद ही कभी हुआ है कि दो महिला आईपीएस अधिकारियों का नाम एक साथ सीबीआई डायरेक्टर के लिए सामने आया हो.

तमिलनाडु कैडर की आईपीएस अधिकारी अर्चना रामसुंदरम और महाराष्ट्र कैडर की आईपीएस अधिकारी मीरा चंद्र बोरवणकर के नाम सीबीआई निदेशक पद की दौड़ में शामिल हैं. इन दो महिला आईपीएएस अधिकारियों के साथ और भी कई नाम हैं, जिन पर विचार किया जा रहा है.


वर्तमान निदेशक अनिल सिन्हा 2 दिसंबर को रिटायर हो रहे हैं. सरकार के लिए फैसला लेना कितना मुश्किल हो रहा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया सकता है कि अभी तक सीबीआई के नए निदेशक के नाम तय नहीं हो पाया है.फिलहाल 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना को सीबीआई डायरेक्टर की जगह इंचार्ज बनाया जा रहा है.

सीबीआई निदेशक की नियुक्ति का फैसला प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता विपक्ष और भारत के मुख्य न्यायाधीश मिलकर लेते हैं. पिछली बार अनिल सिन्हा के चयन के वक्त देश के पूर्व प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच मीटिंग हुई थी. अनिल सिन्हा के नाम पर प्रधानमंत्री मोदी ने कोई आपत्ति नहीं की थी. प्रधानमंत्री मोदी उस समय बैठक में बोले थे कि आप लोग जिस पर सहमति दें मेरी भी उसी नाम पर सहमति होगी.

बाद में सरकार के संबंध अनिल सिन्हा के अच्छे नहीं रहे. जिसको देखते हुए सरकार ने कई सीनियर अधिकारियों को बाहर से ला कर महत्त्वपूर्ण जगह दी थी. ऐसा कहा जाता है कि इस सरकार द्वारा लाए गए अधिकारियों से भी अनिल सिन्हा के संबंध ठीक नहीं चल रहे हैं.

लेकिन, प्रधानमंत्री मोदी पिछले अनुभवों को ध्यान में रख कर इस बार समझौते के मूड में नहीं हैं. एक तरफ नेता विपक्ष खड़गे हैं. तो, दूसरी तरफ देश के मुख्य न्यायाधीश टी एस ठाकुर. इस समय सरकार से दोनो के संबंध अच्छे नहीं चल रहे हैं. नए निदेशक के नामों पर देरी की यही वजह मानी जा रही है.

कौन हैं रेस में.

1.1980 बैच की तमिलनाडु कैडर की अर्चना रामसुंदरम को सीबीआई में काम करने का अनुभव है. अर्चना वर्तमान में एसएसबी (सीमा सशस्त्र बल) की डीजी हैं. वर्तमान केंद्र सरकार की इनके बारे में राय अच्छी नहीं है. अर्चना रामसुंदरम जून 2015 में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के निदेशक पद पर तैनात थीं. 2014 में सीबीआई में अतिरिक्त निदेशक के रुप में शामिल हुई थीं. अर्चना 2014 में तब खबरों में रहीं थी. जब उन्हें सीबीआई में अतिरिक्त महानिदेशक बनाया गया था. तमिलनाडु सरकार ने 2014 में उनकी नियुक्ति को चुनौती थी. जिसके बाद उन्हें एनसीआरबी का प्रमुख बना दिया गया था.

2. 1981 बैच की महाराष्ट्र कैडर की आईपीएस अधिकारी मीरा चंद्र बोरवणकर सीबीआई निदेशक के दौड़ में सबसे आगे चल रही है. बोरवणकर का लंबा करियर बेदाग रहा है. सीबीआई के एंटी करप्शन विंग में डीआईजी के तौर पर काम कर चुकी हैं. इनकी पैरवी और इनके लिए लॉबिंग भी की जा रही है. एक महिला अधिकारी भी हैं और सबकुछ इनके साथ जा रहा है. अगला सीबीआई डायरेक्टर बनने की इनकी संभावना सबसे ज्यादा है.

3. रुपक कुमार दत्ता- 1981 बीच के कर्नाटक कैडर के आईपीएस अधिकारी रुपक कमार दत्ता का सीबीआई में काम करने का अनुभव सबसे ज्यादा है. वर्तमान में दत्ता सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर के रूप में अनिल सिन्हा के बाद नंबर 2 की हैसियत रखते हैं. कई सालों से सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर के रूप में काम कर रहे दत्ता को मोदी की सहमति मिलती नहीं दिखती है, वरना इतने अनुभव के आधार पर अगर ये निदेशक बनते हैं तो इन्हें दो साल का कार्यकाल मिल जाएगा. मोदी की पसंद नहीं होने ही वजह से ही देरी हो रही है. दत्ता के बारे में कहा जाता है कि वे कांग्रेसी विचारधारा से प्रभावित हैं.

4. बिहार कैडर के 1979 बैच की आईपीएस अधिकारी कृष्णा चौधरी भी रेस में चल रहे हैं. वर्तमान में आईटीबीपी के डायरेक्टर जनरल के तौर पर काम कर रहे हैं. भारत तिब्बत सीमा सुरक्षा बल के डीजी के रुप में इनके काम को काफी सराहा गया है. भारत-चीन सीमा पर कृष्णा चौधरी के काम की मोदी ने तारीफ की थी. पिछले दो सीबीआई निदेशक बिहार से रहे हैं. कृष्णा चौधरी के नाम पर फैसला अगर होता है, तो वे तीसरे निदेशक होंगे जो बिहार से आते हैं. कृष्णा चौधरी का सीबीआई में काम करने का अनुभव भी है. सीबीआई के कई पदों पर कृष्णा पहले काम कर चुके हैं. कृष्णा चौधरी अपने स्वच्छ छवि के रूप में जाने जाते हैं. कृष्णा चौधरी अगले साल ही रिटायर हो रहे हैं, ऐसे में उनके लिए वक्त आड़े आ सकता है. प्रधानमंत्री कई मौके पर बोल चुके हैं कि सीबीआई निदेशक के रूप में कार्यकाल दो साल का होना चाहिए.

5. महाराष्ट्र कैडर के 1981 बैच के आईपीएस अधिकारी सतीश माथुर का नाम भी रेस में आगे है. सतीश माथुर वर्तमान में महाराष्ट्र के डीजीपी हैं. माथुर ने 1993 मुंबई बम धमाकों की जांच में भी अहम रोल अदा किया था. महाराष्ट्र लॉबी इस समय केंद्र और राज्य दोनों जगह मजबूत है. बीजेपी के एक बड़े नेता और केंद्रीय मंत्री इनके लिए जबरदस्त लॉबी कर रहे हैं. महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस इनको महाराष्ट्र में ही रखना चाहते हैं.

6. दिल्ली पुलिस कमिश्नर और 1979 बैच के दानिक्स (दिल्ली अंडमान निकोबार सिविल सर्विस) कैडर के अधिकारी आलोक वर्मा का नाम भी लिया जा रहा है. इनके सीबीआई निदेशक बनने में मुख्य दिक्कत है, इनकी उम्र है. आलोक वर्मा जून 2017 में रिटायर हो रहे हैं. इतने कम वक्त के लिए सीबीआई डायरेक्टर नहीं बनाया जा सकता है. यह बात प्रधानमंत्री भी पहले कई मौके पर कर चुके हैं.

हाल के दिनों में मोदी का हर फैसला हैरान करने वाला रहा है. ऐसे में मोदी देश को एक बार फिर चौकाने वाली खबर दे दें तो कोई अचरज की बात नहीं. प्रधानमंत्री मोदी के काम करने के तौर-तरीके बताते हैं कि मोदी का यह फैसला भी चौकाने वाला होगा. आज देश की बेटियां आकाश से लेकर ओलंपिक तक देश का नाम रौशन कर रही हैं. क्या देश अगले कुछ दिनों में एक महिला को सीबीआई डायरेक्टर के रूप में काम करते देख पाएगा?