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वीआईपी लोगों द्वारा विशेषाधिकार का गलत फायदा उठाने के ढेरों किस्से हैं.

FP Staff

हमारे देश में सांसदों, विधायकों और अन्य वीआईपी लोगों द्वारा विशेषाधिकार का गलत फायदा उठाने के ढेरों किस्से हैं. फिर चाहे बात मंदिर में लाइन लगाने की हो या टोल न देने की.

वीआईपी के लिए रोड ब्लॉक कराने के चक्कर में कई बार एंबुलेंस तक को रोक दिया जाता है. यही नहीं सड़कों पर वीआईपी की सहुलियत की वजह से कई बार एक आम आदमी जॉब इंटरव्यू देने समय पर नहीं पहुंच पाता है.


हाल ही में केंद्र सरकार ने वीआईपी कल्चर पर रोक लगाने की दिशा में अहम कदम उठाते हुए सरकारी अधिकारियों की गाड़ियों पर लालबत्ती के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है.

इस फैसले के अनुसार अब किसी भी वीआईपी गाड़ी पर लालबत्ती नहीं लगेगी. वीआईपी लोगों की सूची में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हैं और उनकी गाड़ी तक में ऐसी कोई भी बत्ती नहीं होगी.

ऐसे में अगर वीआईपी कल्चर से छुटकारा पाना है, तो लाल बत्ती के अलावा इन 10 चीजों पर भी लगनी चाहिए रोक...

- सांसद देश भर में ट्रेन के फर्स्ट क्लास में फ्री में सफर कर सकते हैं.

- दिल्ली में करीब 253 आम नागरिकों के मुकाबले एक पुलिसवाला है. जबकि हर एक वीआईपी की सुरक्षा के लिए करीब 17 पुलिसकर्मी तैनात हैं.

- एयरपोर्ट पर वीआईपी को नहीं लगना पड़ता सिक्योरिटी चेक-इन की लाइन में.

- संसद भवन की कैंटीन को पिछले पांच सालों में करीब 60.7 करोड़ रुपए की सब्सिडी मिली है.

-  सांसदों, विधायकों को सैलरी के अलावा दूसरे अलाउंस पर टैक्स नहीं देना पड़ता है.

- सदन में हाजिरी लगाने पर प्रतिदिन करीब 2000 रुपए डेली अलाउंस मिलते हैं. आपको बता दें कि संसद के सालाना तीन सत्र होते हैं- बजट, मानसून और शीतकालीन सत्र.

- महज दिल्ली में करीब 8049 पुलिस कर्मी वीआईपी लोगों की सुरक्षा में लगे हुए है.

- आधिकारिक रूप से जब कोई सांसद विदेश यात्रा पर जाता है तो उसका पूरा खर्च सरकार उठाती है. साथ ही फ्री में बिजनेस क्लास में सफर भी करने को मिलता है.

- स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं भी सरकार फ्री में मुहैया कराती है.

- इसके अलावा टोल नहीं देना पड़ता, मंदिरों में अलग से वीआईपी लाइन होती है. स्कूल-कॉलेजों में वीआईपी के बच्चों को आसानी से एडमिशन मिल जाता है.