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इसरो की ऊंची उड़ान को आसमान भी करता है झुक कर सलाम

पहले चांद पर दस्तक दी फिर मंगल पर मान बढ़ाया तो अब लगातार उपग्रह के सफल प्रक्षेपणों से अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में गारंटी वाला ब्रांड बन कर उभर चुका है इसरो

Kinshuk Praval

श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र पर अब जब कभी रॉकेट के प्रक्षेपण की उल्टी गिनती शुरू होती है तो धड़कनें तेज नहीं होती हैं क्योंकि हौसला आसमान से ऊंचा हो चुका है. इसकी बड़ी वजह भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी यानी इसरो है जो कि कामयाबी की पक्की गारंटी बन चुका है.

एक बार फिर इसरो ने भारतीय गौरव को अंतरिक्ष में मान दिलाने का कारनामा कर दिखाया. इस बार इसरो ने GSAT-6A संचार उपग्रह को सफलतापूर्वक तय कक्षा में स्थापित किया है. GSAT-6A कम्युनिकेशन सेटेलाइट को GSLVF-8 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया. इस सैटेलाइट से देश का नेटवर्क मैनेजमेंट मजबूत होगा जिससे मोबाइल कम्युनिकेशन में बड़ी मदद मिलेगी.


इसरो का दावा है कि ये सैटेलाइट दस साल तक काम करेगा और मल्टी बीम कवरेज के जरिए कम्यूनिकेशन में मजबूती आएगी. इससे खासतौर पर देश के दुर्गम सीमाई इलाकों में मौजूद सेना को फायदा मिलेगा जिससे रक्षा तंत्र में तकनीकी रूप से बड़ा सुधार आएगा.

दो हजार किलो वजनी इस सैटेलाइट के प्रक्षेपण के लिए जीएसएलवी रॉकेट का इस्तेमाल करना पड़ा क्योंकि ज्यादा भारी उपग्रहों के लिए जीएसएलवी रॉकेट का इस्तेमाल किया जाता है.

इस वक्त संचार प्रणाली के लिए जरूरी सैटेलाइट दूसरे देशों के मुकाबले कम हैं जिस वजह से इसरो लगातार अपने लक्ष्य को बढ़ा रहा है. इसरो की कोशिश है कि अगले पांच सालों में कम से कम 60 सैटेलाइट लॉन्च किए जा सकें जो देश के नेविगेशन सिस्टम, संचार प्रणाली,मौसम और रक्षा निगरानी में मदद कर सकें. सैटलाइट के जरिए ही मौसम की भविष्यवाणी, ब्रॉडकास्टिंग और कम्यूनिकेशन सेक्टर में क्रांति देखी जा रही है. ये सभी उपग्रहों पर ही निर्भर होते हैं और वहीं से संचालित भी होते हैं. तभी दुनिया के देशों में संचार उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित करने की मांग में इजाफा होता जा रहा है.

इससे पहले इसी साल जनवरी में इसरो ने एक साथ 30 उपग्रहों का प्रक्षेपण कर एक कीर्तिमान बनाया था. इसके साथ ही इसरो ने अपने सौ उपग्रह भी पूरे कर लिए थे. वहीं इसरो के खाते में एक ही रॉकेट से 104 उपग्रहों के सफल प्रक्षेपण का रिकॉर्ड भी दर्ज है. किसी एकल मिशन के तहत सौ से ज्यादा उपग्रह प्रक्षेपित करना एक अद्भुत कीर्तिमान है. इनमें इस्राइल, कजाकिस्तान, नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड, संयुक्त अरब अमीरात के एक-एक उपग्रह के अलावा अकेले अमेरिका के 96 उपग्रह शामिल थे.

सभी 104 उपग्रहों को सफलतापूर्वक कक्षा में प्रवेश कराया गया था. इस अनोखे कीर्तिमान से पहले एक बार में सबसे ज्यादा उपग्रह प्रक्षेपित करने का रिकॉर्ड रुस की अंतरिक्ष एजेंसी के नाम था. रूस ने एक बार में 37 उपग्रहों को प्रक्षेपित किया था. जबकि इससे पहले साल 2015 में इसरो ने एक मिशन में 23 उपग्रह प्रक्षेपित कर भविष्य को लेकर अपने इरादे जाहिर कर दिए थे.

इसरो ने उपग्रहों को लॉन्च करके दुनिया में अपनी अलग पहचान बना ली है. तभी आज अमेरिका जैसे देश इसरो की मदद लेकर अपने उपग्रह लॉन्च करवाते हैं. इसरो की खासियत इसके उपग्रहों के प्रक्षेपण की कम लागत है जिसने दुनिया भर के देशों का ध्यान खींचा है.

तस्वीर: प्रतीकात्मक

मार्स मिशन की कामयाबी ने इसरो को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाई जो कि नासा के मिशन से दस गुना सस्ता माना जाता है. वहीं इसरो ने खुद का सैटेलाइट नेविगेशन सिस्‍टम आईआरएनएसएस बना कर विकसित देशों को चौंका दिया. इसरो के मिशन मून की वजह दुनिया के छह देशों के इलीट क्लब में भारत शामिल हो सका. भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों में मिल रही कामयाबी की ही वजह से मिसाइल तकनीक में भी लगातार उन्नत होती जा रही है. भारत की सुपरसोनिक इंटरसेप्टर मिसाइल इसकी मिसाल है.

लेकिन इसरो का मिशन सिर्फ उपग्रह लॉन्च करने का ही नहीं है. नासा की तरह ही इसरो ने भी खुद को वक्त के साथ बदला है और वो चांद पर बसावट को लेकर शोध कर रहा है. साथ ही इसरो का लक्ष्य साल 2021 तक अंतरिक्ष में स्पेस रॉकेट भेजने का है. दुनिया की बेहतरीन प्राइवेट कंपनियों के सहयोग से इसरो इस ऐतिहासिक मिशन को अंजाम देने की तैयारी कर रहा है.

पहले सैटेलाइट आर्यभट्ट से शुरू हुआ सफर अब अंतरिक्ष में कामयाबियों की फेहरिस्त को बढ़ाता जा रहा है. पहले चांद पर दस्तक दी फिर मंगल पर मान बढ़ाया तो अब लगातार उपग्रह के सफल प्रक्षेपणों से अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में गारंटी वाला ब्रांड बन कर उभर चुका है. वाकई इसरो की ऊंची उड़ान को देखकर आसमान भी सलाम करता होगा.