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आंध्र प्रदेशः सीवर की सफाई करते सात मजदूरों की मौत

चार की मौके पर ही मौत हो गई. तीन अन्य ने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया

FP Staff

आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में शुक्रवार सुबह एक सीवर की सफाई करते समय दम घुटने से कम से कम सात लोगों की मौत हो गई.

पुलिस सूत्रों ने बताया कि घटना तब हुई जब पल्मानेरू मंडल में एक व्यक्ति सीवर की सफाई करने के लिए अंदर उतरा. वहां वह दम घुटने से बेहोश हो गया. उसके साथ काम कर रहे आठ अन्य लोग उसे बचाने के लिए नीचे उतरे, लेकिन वे भी बेहोश हो गए. सीवर में रासायनिक अवशेष था.


उन्होंने बताया कि पास के गांव मोरुम के लोग घटनास्थल पर पहुंचे और फंसे कर्मचारियों को बाहर निकाला. उनमें से चार की मौके पर ही मौत हो गई. तीन अन्य ने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया.

पुलिस ने बताया कि उपचार के बाद एक कर्मचारी को होश आ गया जिसकी हालत स्थिर बताई जाती है. एक अन्य व्यक्ति को चित्तूर स्थित जिला मुख्यालय अस्पताल भेजा गया है. राज्य के उपमुख्यमंत्री एन चिनाराजप्पा ने घटना पर दुख व्यक्त किया और इस बारे में चित्तूर के पुलिस अधीक्षक से बात की.

पक्ष-विपक्ष के नेताओं ने घटना पर जताया शोक

घटना पर दुख व्यक्त करते हुए स्वास्थ्य मंत्री कामिनी श्रीनिवास ने स्वास्थ्य अधिकारियों को इलाजरत कर्मचारियों की उचित चिकित्सा देख रेख सुनिश्चित करने के निर्देश दिए. वाईएसआर कांग्रेस के प्रमुख जगनमोहन रेड्डी ने भी हादसे पर दुख व्यक्त किया है.

जानकारी के मुताबिक यह स्थिति तब है, जबकि मजदूरों से सीवर की सफाई कराने पर सुप्रीम कोर्ट भी रोक लगा चुका है. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कह रखा है कि सीवर की सफाई सिर्फ मशीनों के जरिए ही होनी चाहिए.

लेकिन, इसके बावजूद विभिन्न सरकारी संस्थाओं और ठेकेदार अपने-अपने स्तर पर सीवर की सफाई मजदूरों से करा रहे हैं. जिसका खामियाजा मजदूरों को जान देकर चुकाना पड़ रहा है.

दिल्ली में नहीं करा सकते मजदूरों से नालों की सफाई

सीवर में काम करते लोगों की मौत का आंकड़ा पिछले कुछ दिनों से लगातार बढ़ा है. नोएडा से सटी दिल्ली में बीते करीब एक महीने में सीवर की सफाई के दौरान दस मजदूरों की मौत हो चुकी है.

बीते सार अगस्त माह में दस लोगों की मौत होने के बाद अब दिल्ली प्रशासन ने सीवर को साफ करने की प्रक्रिया को पूरी तरह मशीनों से अंजाम देने का फैसला किया. स्पष्ट किया कि इसका उल्लंघन करने पर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है.

देश की निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी समय-समय पर सरकारी एजेंसियों से पूछा है कि आखिर इन मौतों के लिए कौन जिम्मेदार है? यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जो काम सरकारी एजेंसियों को पूरी जिम्मेदारी के साथ करना चाहिए, कोर्ट के माध्यम से कराया जा रहा है. इन एजेंसियों को कोर्ट की तरफ से उनकी जिम्मेदारियों का अहसास कराना पड़ता है.