हरियाणा के जिंद में नरसीराम एक बोर्ड 'जख्मी जूतों का अस्पताल' लगाकर पिछले कई साल से अपना काम पूरी तन्मयता और लगन से कर रहे हैं. वह टूटे जूतों, चप्पलों की मरम्मत और पॉलिश करते हैं. बोर्ड पर उन्होंने अपनी दुकान को अस्पताल बताया है तो उनके पास सर्जन बॉक्स के नाम से एक बक्सा भी है. इस बक्से में ब्रश, पॉलिश के कई डब्बे और जूतों की मरम्मत में इस्तेमाल होने वाले कई औजार रखे हैं.
17 अप्रैल को महिंद्रा ने जब सोशल मीडिया पर यह फोटो देखी तो उन्होंने ट्वीट किया, जिसके बाद नरसीराम का नाम सुर्खियों में आ गय. नरसीराम के काम करने के तरीके को देखकर महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने एक और ट्वीट किया था. उन्होंने कहा था कि इस व्यक्ति को तो इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट में मैनेजमेंट का टीचर होना चाहिए.
क्या था ट्वीट?
महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन ने ट्वीट करते हुए लिखा कि उन्हें यह फोटो व्हाट्सएप पर मिली है. वे यह नहीं जानते कि यह फोटो कहां की है और कितनी पुरानी है. फिर भी अगर कोई इन्हें जानता हो और अगर ये अभी भी यह काम कर रहे हों तो मैं इनके काम के उत्थान के लिए एक छोटा निवेश करना पसंद करूंगा.
आखिरकार कई दिनों की तलाश के बाद उनकी टीम ने नरसीराम को ढूंढ़ लिया. महिन्द्रा की टीम को नरसीराम जींद में मिले. जिसके बाद आनंद महिंद्रा ने अब एक और ट्वीट कर कहा है कि हरियाणा में हमारी टीम नरसीराम से मिली और उनसे पूछा कि वे किस प्रकार उनकी मदद कर सकते हैं. उन्होंने काम करने के लिए बेहतर जगह की जरूरत बताई. महिंद्रा ने बताया कि उन्होंने मुंबई में अपने डिजाइन स्टूडियो टीम से एक चलती-फिरती दुकान का डिजाइन तैयार करने को कहा है. उन्होंने ट्वीटर यूजर्स से भी डिजाइन तैयार करने में मदद मांगी है.