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AMU विवाद: निशाने पर हामिद अंसारी थे, जिन्ना तो बेवजह बीच में आ गए !

एएमयू में इतिहास विभाग के फैकल्टी सदस्य प्रोफेसर अली नदीम रेजावी का कहना है कि यह घटना अंसारी को शर्मिंदा करने के लिए ही की गई. इससे पहले भी अंसारी पर मुस्लिम होने के नाते निशाना साधा गया है

FP Staff

बुधवार को पुलिस ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय यानी AMU के छात्रों को लाठियां भांजी थीं. शुक्रवार को जिले में इंटरनेट बंद कर दिया गया. पूरे तूफान का केंद्र स्टूडेंट यूनियन हॉल में लगी मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर है. यूनिवर्सिटी के छात्र और प्रोफेसर पूरे बवाल के लिए दक्षिण पंथी संगठनों को दोषी ठहरा रहे हैं.

जिन्ना की तस्वीर हॉल में 1938 से लगी है


एएमयू कॉरपोरेट कम्युनिकेशन के इंचार्ज प्रोफेसर एम शफी किदवई का कहना है कि जिन्ना की तस्वीर हॉल में 1938 से लगी है. तबसे, जब उन्हें यूनिवर्सिटी की आजीवन मानद सदस्यता दी गई थी. वो घटना भारत की आजादी से नौ साल पहले हुई थी. एएमयू की परंपरा है कि नामचीन लोगों को आजीवन सदस्यता दी जाती है. उनकी तस्वीर स्टूडेंड यूनियन हॉल में लगती है.

किदवई कहते हैं कि एएमयू ने न जिन्ना की बड़ाई की है और न ही उनकी विचारधारा की आलोचना की है. वह कहते हैं, ‘जो लोग उनकी विचारधारा के समर्थक थे, वे लंबे समय पहले भारत छोड़ गए. अब ऐसे शख्स के नाम पर बेकार के विवाद को तूल देने का कोई मतलब नहीं, जिसे कैंपस में कोई पसंद नहीं करता.’

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उनसे सवाल पूछा गया कि अगर कोई जिन्ना को पसंद नहीं करता, तो तस्वीर क्यों लगी है. इस पर किदवई का कहना था कि एएमयू स्टूडेंट यूनियन छात्र चलाते हैं. उनके कामकाज में प्रशासन दखल नहीं देता. हालांकि इस पूरे मामले को ऐसे पेश किया जा रहा है, जैसे यूनिवर्सिटी ही जिन्ना की समर्थक है. उन्होंने कहा कि वाइस चांसलर के ऑफिस से केंद्र सरकार को पत्र लिखा गया है कि वे मामले को देखें. उन्होंने कहा कि एएमयूएसयू और टीचर्स एसोसिएशन इस मामले में फैसला करेगी.

एएमयूएसयू के सचिव मोहम्मद फहद भी किदवई की बातों से इत्तेफाक रखते हैं. उन्होंने सवाल किया, ‘हम क्यों जिन्ना को पूजेंगे? ऐसा क्यों है कि हमें निशाना बनाया जा रहा है? क्या इसलिए क्योंकि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में मुस्लिम शब्द आता है?’

फहद ने कहा कि राइट विंग के प्रदर्शनकारियों की वजह से बुधवार को पुलिस ने एक्शन लिया. राइट विंग की तरफ से प्रदर्शन कर रहे लोग एएमयू के इतिहास के बारे में कुछ नहीं जानते. उनके मुताबिक प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोशिश की गई. वे उस गेस्ट हाउस के बेहद करीब पहुंच गए थे, जहां पूर्व उप राष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी रुके हुए थे. हामिद अंसारी को बुधवार के दिन आजीवन सदस्यता दी जानी थी.

एएमयू को ही क्यों निशाना बनाया जा रहा है?

एएमयू में इतिहास विभाग के फैकल्टी सदस्य प्रोफेसर अली नदीम रेजावी का कहना है कि यह घटना अंसारी को शर्मिंदा करने के लिए ही की गई. इससे पहले भी अंसारी पर मुस्लिम होने के नाते निशाना साधा गया है. उन्होंने कहा कि राजनीतिक फायदे के लिए यूनिवर्सिटी पर निशाना साधना शर्मनाक है. उनकी राय में पूरी घटना कर्नाटक और उसके बाद यूपी के कैराना में होने वाले उप चुनाव के मद्देनजर वोटरों का ध्रुवीकरण करने के लिए हो सकती है. उन्होंने कहा कि जिन्ना की तस्वीर शिमला के इंस्टीट्यूट और देश के कुछ और जगहों पर भी लगी है. ऐसे में एएमयू को ही क्यों निशाना बनाया जा रहा है?

बुधवार को पुलिस का लाठियों से तमाम छात्रों के घायल होने के बाद कैंपस में नाराजगी है. एएमयूएसयू ने फैसला किया है कि वे पुलिस और जिला प्रशासन के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट जाएंगे. गुरुवार और शुक्रवार को यूनिवर्सिटी के छात्रों और शिक्षकों ने विरोध रैली की. इसी बीच मजिस्ट्रेट ने पूरे क्षेत्र में शुक्रवार को दो बजे से शनिवार आधी रात तक इंटरनेट सुविधा बंद करने का आदेश दिया, ताकि भड़काऊ मैसेज न किए जा सकें.

(ये रिपोर्ट 101 रिपोर्टर्स से ली गई है)