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अमृतसर ट्रेन हादसा: जाको राखे साइयां, मार सके ना कोय

शुक्रवार रात हुए इस हादसे ने कई लोगों को अपना शिकार बना लिया लेकिन इनमें एक बच्चा था जो महज चंद सेकेंड से बच गया

FP Staff

अमृतसर ट्रेन हादसे में मरने वालों की संख्या 62 हो गई है. हादसे में गंभीर रूप से घायल एक 19 वर्षीय युवक ने रविवार को अस्पताल में दम तोड़ दिया. अभी भी कई लोग अस्पताल में जिंदगी के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं.

शुक्रवार रात हुए इस हादसे ने कई लोगों को अपना शिकार बना लिया. लेकिन कहते हैं ना जाको राखे साइयां मार सके ना कोय. जहां एक साथ 50 से ज्यादा लोगों की जान चली गई वहीं, एक बच्चा महज चंद सेकेंड के अंतर से बच गया. बच्चे की जान बचाने वाली मीरा देवी बताती हैं कि रावण दहन के समय एक शख्स अपनी बेटे के साथ मेरे पास खड़ा हुआ था. जब ट्रेन ने लोगों को टक्कर मारी तो वो शख्स और उसका बच्चा हवा में उछल गए. इसके बाद वो शख्स तो ट्रेन की चपेट में आ गया लेकिन मीरा ने किसी तरह बच्चे को जमीन पर गिरने से पहले ही कैच कर लिया और उसकी जान बचा ली.


इसके बाद वो आधी रात तक बच्चे के मां-बाप को ढूढंने के लिए इधर-उधर घूमती रही. लेकिन जब उनके मां-बाप नहीं मिले तो वो पुलिस स्टेशन गईं और रिपोर्ट दर्ज कराई. इसके बाद अगले दिन वो सिविल अस्पताल गए और एक जज ने बच्ची को अपनी कस्टडी में ले लिया. मीरा देवी ने कहा कि ' मैं आशा करती हूं कि बच्चे के मां बाप मिल जाएं, लेकिन अगर नहीं मिले तो मैं उसे अडॉप्ट कर लूंगी.

जानकारी के मुताबिक मीरा देवी नेपाल की रहने वाली हैं और कार्यक्रमों में खाना बनाती हैं. मीरादेवी के इस निस्वार्थ काम के लिए लोग उनकी तारीफ भी कर रहे हैं.