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आम्रपाली की डमी कंपनियों को करना पड़ रहा है सुप्रीम कोर्ट के क्रोध का सामना

ऑडिटर्स ने कोर्ट को बताया कि कंपनी ने साल 2010 से ही घर खरीददारों के पैसे दूसरी कंपनी में ट्रांसफर करना शुरू कर दिया था

FP Staff

बुधवार को जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस यू यू ललित की पीठ ने कहा कि सभी संपत्तियां जो बेनामी हैं या नकली कंपनियों द्वारा खरीदी गई हैं, वह नीलाम की जाएंगी ताकि 46,000 घर-खरीदारों के निवेश का भुगतान किया जा सके. पीठ का यह फैसला अदालत के उस निर्णय के बाद आया है जिसमें अदालत द्वारा नियुक्त किए गए फॉरेंसिक ऑडिटर ने बताया था कि आम्रपाली ग्रुप और उसके अधिकारियों ने 200 से अधिक कंपनियों का एक वेब बनाया है. ताकि वे घर खरीदने वालों के पैसे को डायवर्ट कर सकें और उनमें से पांच के वित्तीय लेनदेन को उसमें डाल सकें.

ऑडिटर पवन कुमार अग्रवाल और रवि भाटिया ने अदालत के निर्देश पर समूह की सभी 46 कंपनियों के फॉरेंसिक ऑडिट करके 2765 करोड़ रुपए के घर खरीदारों के पैसे के डायवर्शन को ट्रैक किया था. उन्होंने कोर्ट को बताया कि अब तक उन्होंने पांच कंपनियों का पता लगा लिया है. इसमें उन्होंने एकलव्य बिल्डिंग सोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड, गौरीसुता बिल्डहोम, सैफरोन प्रॉपमार्ट, एमवीजी टेक्नो, नोएडा टैक्सफैव और आम्रपाली हेल्थकेयर शामिल हैं. उन्होंने बताया कि इन्हें ग्रुप के लिए संपत्तियां हासिल करने के लिए शामिल किया गया था और घर-खरीदारों के पैसे उन्हें स्थानांतरित कर दिए गए थे.


गोवा में एक ऐसा विला जिसका कोई मालिक नहीं

ऑडिटर्स के मुताबिक उन्हें पता चला कि गोवा में एक विला जो करोड़ों रुपए में खरीदा गया अब कोई भी कंपनी उस पर अपना मालिकाना हक नहीं जता रही है, वहीं कंपनी के निदेशक ने तो बताया कि वह उनकी संपत्ति नहीं है. इस पर बैंच ने कहा, 'इसका मतलब है कि वह डमी कंपनी है. हम ऐसी कंपनियों की संपत्ति ले लेंगे और उसके बाद मालिक खुद आ कर अदालत में उस विला के लिए अर्जी दाखिल करेगा.

ऑडिटर्स ने कोर्ट को बताया कि कंपनी ने साल 2010 से ही घर खरीददारों के पैसे दूसरी कंपनी में ट्रांसफर करना शुरू कर दिया था. और इसके बाद पिछले एक साल में आम्रपाली ग्रुप की कई अलग-अलग कंपनियों के खातों से बड़ी मात्रा में पैसे निकाले गए हैं.