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आम्रपाली बिल्डर: रियल एस्टेट के बादशाह अनिल शर्मा के अर्श से फर्श पर पहुंचने की कहानी

रियल स्टेट की दुनिया के पोस्टर बॉय रह चुके अनिल शर्मा के सितारे पूरी तरह गर्दिश में दिखाई पड़ रहे हैं

Pankaj Kumar

‘मेरा घर मेरा हक’ का नारा बुलंद करने वाले आम्रपाली ग्रुप के चेयरमैन अनिल शर्मा आज लोगों को घर नहीं देने के कारण सुर्खियों में हैं. आलम ये है कि लाखों लोगों की गाढ़ी कमाई का हिस्सा डकारकर उनके सपनों को चकनाचूर करने वाले कई बिल्डर्स में आम्रपाली ग्रुप चेयरमैन अनिल शर्मा का नाम सबसे ऊपर आ रहा है. एक के बाद एक वादाखिलाफी के बाद सर्वोच्च अदालत को आम्रपाली समेत 40 सिस्टर कंपनियों के एमडी के बैंक खाते को फ्रीज और प्रॉपर्टी को सीज करने का आदेश देना पड़ा है. कुछ समय पहले आम्रपाली ग्रुप के चेयरमैन अनिल शर्मा के दामाद रितिक सिन्हा को भी, जो कंपनी के सीईओ हैं, उन्हें सेस नहीं चुकाने के जुर्म में गिरफ्तारी का सामना करना पड़ा है.

आम्रपाली ग्रुप चेयरमैन अनिल शर्मा की सफलता के वो दिन


बिहार के राजधानी पटना से महज 70 किलोमीटर की दूरी पर एक गांव पंडारक है, जहां के मूल निवासी अनिल शर्मा पेशे से इंजीनियर हैं. उन्होंने बीटेक की डिग्री एनआईटी कालीकट और एमटेक की डिग्री आईआईटी खड़गपुर से लेकर बिहार में ही एनटीपीसी और एनपीपीसी जैसी नामचीन कंपनी में नौकरी की. इतना ही नहीं अनिल शर्मा ने कानून और एमबीए की डिग्री भी हासिल कर अपनी प्रतिभा को निखारने में कोई कसर नहीं छोड़ी. फिर 2002 में देश की राजधानी दिल्ली में कदम रखकर रियल एस्टेट में अपना भाग्य अाजमाना शुरू किया.

अनिल शर्मा का पहला प्रोजेक्ट था आम्रपाली एक्जॉटिका. इस प्रोजेक्ट के तहत तकरीबन 140 फ्लैट्स बनाकर अनिल शर्मा ने अपनी कंपनी आम्रपाली के नाम की जोरदार लॉचिंग की. इस प्रोजेक्ट के पूरा होते ही अनिल शर्मा एक के बाद एक कई प्रोजेक्ट देश के कई शहरों में बनाते चले गए. साल 2015 तक आम्रपाली ग्रुप का सितारा बुलंदियों पर था. देश की जानी-मानी हस्तियों का आम्रपाली ग्रुप से रिश्ता जुड़ना आम बात सी हो गई थी. आम्रपाली के कई प्रोजेक्ट्स जैसे- नोएडा का आम्रपाली सैफायर और आम्रपाली प्लेटिनम, गाजियाबाद के आम्रपाली अंपायर, ग्रेटर नोएडा में कई कॉमर्शियल हब, जयपुर में बन रही टाउनशिप, बिहार के मुजफ्फरपुर की आम्रपाली मल्टीप्लेक्स मॉल, ग्रेटर नोएडा का आईटी हब कम पांचसितारा होटल लोगों की जुबान पर चढ़कर बोल रहा था. आलम यह था कि आम्रपाली ग्रुप 15 हजार फ्लैट्स लोगों को आवंटित करने का दावा कर रहा था और 30 हजार से ज्यादा फ्लैट्स निर्माणाधीन बताए जा रहे थे.

किसी भी क्षेत्र के प्रतिष्ठित लोग आम्रपाली पर आंख मूंदकर भरोसा करने लगे थे. दिल्ली एनसीआर में आम्रपाली के आगे तमाम बिल्डर्स बौने दिखाई पड़ने लगे. चेयर मैन अनिल शर्मा की विश्वसनीयता आसमान छूने लगी. उन्हें सीआरइडीएआई एनसीआर का प्रेसिडेंट चुना गया. ध्यान रहे सीआरइडीएआई बिल्डर्स का सबसे प्रतिष्ठित संगठन है और इसका प्रेसिडेंट चुना जाना रियल एस्टेट की दुनिया में सर्वोच्च खिताब पाने जैसा है. अनिल शर्मा के पेशेवर क्षमता के कायल सिर्फ देश के लोग ही नहीं बल्कि विदेशों में भी लोग उन्हें आदर्श मानने लगे. आम्रपाली ग्रुप के चैयरमैन अनिल शर्मा को देश और विदेशों में कुल 70 नेशनल और इंटरनेशनल अवार्ड्स से नवाजा गया. चीन, अमेरिका, मॉरिशस कनाडा और स्पेन जैसे देशों के लोग अनिल शर्मा को सम्मान के साथ बुलाने लगे और वहां की सोसाइटी अनिल शर्मा की पेशेवर क्षमता की मुरीद दिखाई पड़ने लगी.

यही वजह है कि देश और विदेश में अपनी सफलता का परचम लहरा रहे आम्रपाली ग्रुप को भारतीय क्रिकेट टीम के इतिहास का सबसे सफलतम कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के रूप में एक बेहद लोकप्रिय ब्रांड एंबेसडर भी मिला. दस साल के दरम्यान आम्रपाली 25 शहरों में तकरीबन 50 प्रोजेक्ट्स में हाथ अाजमाने लगा. वहीं धोनी के आम्रपाली को इंडोर्स किए जाने पर बच्चे-बूढ़े सभी की नजरों में आम्रपाली की लोकप्रियता मिसाल कायम कर चुकी थी. यही वजह रही कि आम्रपाली एफएमसीजी, हॉस्पिटैलिटी, और इंटरटेनमेंट की दुनिया में भी कदम रखने में पीछे नहीं रहा.

तस्वीर: आम्रपाली ग्रुप के वेबसाइट से साभार

आम्रपाली मीडिया विजन ने 'गांधी टू हिटलर’ और ‘आई डोंट लव यू’ नाम की दो फिल्में बनाईं, जिसकी सफलता का श्रेय आम्रपाली ग्रुप के चेयरमैन अनिल शर्मा ने अपनी पत्नी और आम्रपाली ग्रुप की तत्कालीन सीईओ डॉक्टर पल्लवी मिश्रा को दिया. लगातार मिल रही सफलता से लबरेज होकर आम्रपाली ग्रुप एफएमसीजी प्रोडक्ट तैयार करने में जुट गया. बिहार के राजगीर में एफएमसीजी प्रोडक्ट्स फूड प्रोसेसिंग प्लांट में तैयार होने लगे जिन्हें ‘आम्रपाली मम्स’ के नाम से वी मार्ट और बिग बाजार के स्टोर में बेचा जाने लगा. एक कुशल उद्यमी की तरह अनिल शर्मा ने हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में भी कदम रखने में हिचकिचाहट नहीं दिखाई. यूपी के बरेली और झारखंड के देवघर में 3 स्टार होटल की शुरुआत कर हॉस्पिटैलिटी सेक्टर की दुनिया में भी शानदार आगाज किया और ये कदम देश के अन्य शहरों में भी तेजी से बढ़ाए जाने का सिलसिला जारी रखा.

दरअसल अनिल शर्मा की पूरी नजर अपर क्लास के साथ-साथ मिडिल क्लास के लोगों पर थी जिनकी जिंदगी में घर की खरीददारी एक बड़े सपने की तरह होती हैं. आम्रपाली कंपनी अपने टैग लाइन ‘डेवलपिंग इंडिया’ के जरिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़कर उनके सपनों को साकार करने के नाम पर अपने बिजनेस अंपायर की मजबूत इमारत खड़ी करना चाह रही थी और ऐसा कर पाने में वो काफी हद तक कामयाब भी हो रहे थे. अनिल शर्मा की रुचि राजनीति में भी बहुत थी और अपना रोल मॉडल वो डोनाल्ड ट्रंप को मानते थे. दरअसल अमेरिका के राष्ट्रपति का नाता भी रियल एस्टेट से रहा है वो वहां के मशहूर पूंजीपतियों में गिने जाते रहे हैं. यही वजह है कि रियल एस्टेट में सफल होने के बावजूद अनिल शर्मा बिहार के जहानाबाद से 2014 में अपना भाग्य अजमाने पहुंच गए.

राजनीतिक महत्तवाकांक्षा और बुरे दिन की शुरुआत

बिहार में कई शहरों में पैर फैला चुके आम्रपाली ग्रुप के चेयरमैन अनिल शर्मा 2014 में जहानाबाद से नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड से चुनाव लड़ने मैदान में उतर गए. दरअसल 2014 में नीतीश कुमार की जेडीयू और बीजेपी के बीच का गठबंधन टूट चुका था और अनिल शर्मा के लिए जेडीयू से टिकट मिलना आसान हो गया था.

सूत्रों के मुताबिक, जेडीयू पहली बार बिहार के सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ रही थी. इसलिए ऐसे पैसे वालों को टिकट देना जेडीयू के लिए भी लाभकारी था.

लेकिन 2014 का संसदीय चुनाव जहानाबाद सीट से अनिल शर्मा बुरी तरह हार गए परंतु उनकी हार सांसद बनने की उनकी महत्तवाकांक्षा पर अंकुश नहीं लगा सकी. वो किसी भी तरह राज्यसभा पहुंचना चाह रहे थे. लेकिन जेडीयू और आरजेडी के बीच तालमेल के बाद दोनों का संयुक्त प्रत्याशी पवन वर्मा को बनाया गया. राजनीति में दांव अाजमा रहे अनिल शर्मा अब बीजेपी की गोद में जा बैठे और उन्हें उम्मीद थी कि आरजेडी और जेडीयू के कुछ प्रतिनिधियों के दम पर राजयसभा में पहुंच पाने में वो कामयाब होंगे. लेकिन ऐसा हो नहीं सका. वो चुनाव यहां भी हारे और तुरंत पार्टी बदलने के कारण उनकी राजनीतिक विश्वसनीयता भी लोगों की नजर में फुर्र हो गई.

इतना ही नहीं अनिल शर्मा को बालिका विद्यापीठ लखीसराय के सचिव शरद चंद्र की हत्या का आरोपी भी बनाया गया और उनके और 7 अन्य के खिलाफ हत्या का मुकदमा भी दर्ज किया गया. दरअसल एक डील के तहत लखीसराय में आम्रपाली इंजीनियरिंग कॉलेज खोला गया था जो कि बालिका विद्यापीठ के नाम रजिस्टर्ड जमीन पर उस कॉलेज को चलाया जा रहा था. डील के तहत उपजे विवाद के बाद बालिका विद्यापीठ के सचिव न्यायालय की शरण में गए थे. उसी दरम्यान उनकी हत्या कर दी गई और आम्रपाली ग्रुप के चैयरमैन अनिल शर्मा का नाम भी एफआईआर में दर्ज कराया गया. ज़ाहिर है राजनीतिक विश्वसनीयता खो चुके अनिल शर्मा बिहार के होने की वजह से हत्या में नामजद अभियुक्त बनाए जाने के बाद सामाजिक प्रतिष्ठा भी तेजी से गंवाने लगे.

रियल स्टेट में असफलता और सुप्रीम कोर्ट का सख्त फरमान

बिसरख कोतवाली में आम्रपाली के प्रबंध निदेशक (एमडी) अनिल शर्मा के खिलाफ धोखाधड़ी की कई रिपोर्ट दर्ज हो चुकी है. उनकी कंपनी द्वारा दिए गए चेक्स बाउंस होने की वजह से ये मुकदमा दर्ज किया गया है. ड्रीम वैली प्रोजेक्ट से लेकर तमाम अन्य प्रोजेक्ट कंप्लीशन से कोसों दूर हैं. 42000 फ्लैट्स का आवंटन बाकी है. आम्रपाली ग्रुप के रोजाना बदल रहे स्टैंड से नाराज होकर सुप्रीम कोर्ट ने 1 अगस्त को आम्रपाली और उससे जुड़ी 40 कंपनियों और उनके एमडी के बैंक अकाउंट को फ्रीज करने का फरमान सुनाया है.

इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने चल अचल संपत्ति को भी सीज़ करने का आदेश सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि 'फंड डायवर्जन रियल एस्टेट की दुनिया की हकीकत है जिसे हम सदा के लिए खत्म कर के ही रहेंगे.’ 'मिशन ट्रांसपेरेंसी’ और ‘मेरा घर मेरा हक’ का नारा बुलंद करने वाले अनिल शर्मा पर कोर्ट ने लुका-छिपी खेले जाने और लाखों बायर्स के सपनों के साथ खिलवाड़ करने का गंभीर आरोप लगाया है. जाहिर है रियल एस्टेट की दुनिया के पोस्टर बॉय रह चुके अनिल शर्मा के सितारे पूरी तरह गर्दिश में दिखाई पड़ रहे हैं.