view all

क्या नीति आयोग के नए उपाध्यक्ष बन सकते हैं अमिताभ कांत

सत्‍ता के गलियारे में यह चर्चा तेज हो गई है कि आखिर कौन अरविंद पनगढ़िया की जगह लेगा

FP Staff

नीति आयोग के उपाध्‍यक्ष पद से अरविंद पनगढ़िया के त्‍यागपत्र के बाद सत्‍ता के गलियारे में यह चर्चा तेज हो गई है कि आखिर कौन उनकी जगह लेगा. इस हाई प्रोफाइल पद के लिए जहां एक तरफ कुछ इकोनॉमिस्‍ट के नाम आ रहे हैं, वहीं हमेशा की तरह मोदी के करीबी ब्‍यूरोक्रेट भी इस रेस में शामिल हो गए हैं. वैसे तो सबसे अधिक चर्चा अमिताभ कांत की है, लेकिन अरविंद सुब्रमण्‍यन और राकेश मोहन के नाम भी लिए जा रहे हैं.

अमिताभ कांत


मोदी सरकार में अमिताभ कांत कुछ सबसे हाई प्रोफाइल ब्‍यूरोक्रेट में से एक हैं. इस समय वे नीति आयोग के सीईओ हैं. अरविंद पनगढ़िया भले ही नीति आयोग के वाइस चेयरमैन रहे हैं, लेकिन आयोग की पहचान कांत ही रहे हैं.

कांत में क्‍या है खास

दिल्‍ली के मॉडर्न स्‍कूल, सेंट स्‍टीफेंस कॉलेज और जेएनयू से लेकर आईआईएम अहमदाबाद और हार्वर्ड जैसे वर्ल्‍ड क्‍लास संस्‍थानों से शिक्षा और ट्रेनिंग लेने वाले कांत नरेंद्र मोदी के सबसे प्रिय फ्लैगशिप इकोनॉमिक प्रोग्राम के अगुवा रहे हैं. मेक इन इंडिया, स्‍टार्टअप इंडिया से लेकर इन्‍क्रेडिबल इंडिया कैंपेन की भी उन्‍होंने अगुवाई की है. अतिथ‍ि देवो भव: कैंपेन भी उन्‍हीं के दिमाग की उपज है. नीति आयोग में भी वे प्राइवेट सेक्‍टर से कई प्रोफेशनल टैलेंट लेकर आए हैं.

भले अरविंद पनगढ़िया रैंक में उनसे सीनियर रहे हैं, लेकिन चली कांत की ही है. कई प्रमुख सरकारी पॉलिसी के मामले में वे सरकार का पक्ष रखने में प्रमुख और सबसे असरदार प्रवक्‍ता बनकर सामने आते रहे हैं. नोटबंदी के बाद डिजिटल इंडिया कैंपेन की भी उन्‍होंने अगुवाई की.

क्‍या हैं उनकी कमियां

कांत की सबसे बड़ी कमी उनका करियर ब्‍यूरोक्रेट होना है. भले ही वे इकोनॉमिक्‍स में पोस्‍ट ग्रेजुएट हैं और आईआईएम और हार्वर्ड से ट्रेनिंग ली है, लेकिन नीति आयोग के वाइस प्रेसिडेंट जैसे पद के लिए इकोनॉमिस्‍ट को प्रमुखता देने की बात कही जा रही है. वैसे इनसाइडर यह भी कह रहे हैं कि कांत को नीति आयोग से हटाने पर इसके वाइस प्रेसिडेंट से भी बड़ा पद दिया जा सकता है.

अरविंद सुब्रमण्‍यन

सरकार के मुख्‍य इकोनॉमिक एडवाइजर अरविंद सुब्रमण्‍यन आर्थिक मामलों में एक तरह से सरकार के मुख्‍य प्रवक्‍ता की तरह रहे हैं. वित्‍त मंत्री अरुण जेटली के साथ उनके अच्‍छे संबंध जगजाहिर हैं. लेकिन जो बात उनके खिलाफ जा रही है, वह है- कांत की तुलना में उनका जूनियर होना है. ऐसे में अगर सुब्रमण्‍यन को यह पद दिया जाता है तो कांत को कोई और बड़ी भूमिका देनी होगी.

राकेश मोहन

आरबीआई के पूर्व डिप्‍टी गवर्नर और इकोनॉमिस्‍ट राकेश मोहन के नाम की भी इस पद के लिए चर्चा है. हालांकि माहौल उनके पक्ष में बनता नहीं दिख रहा है.

(साभार न्यूज़ 18)