हाल ही में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत के दौरे पर थे. इस दौरान दोनों देशों के बीच एस-400 मिसाइस रक्षा सौदे पर समझौता हुआ था. इसे लेकर अमेरिका ने अपने रुख में बदलाव लाया है. उसने कहा कि इस सौदे के कारण अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शन एक्ट (सीएएटीएसए) के तहत लगने वाले प्रतिबंधों से बचने के लिए भारत को इस बात का भरोसा देना चाहिए कि वह अमेरिका से एफ-16 लड़ाकू विमान खरीदेगा. भारत इस विमान को खरीदने के लिए इच्छुक नहीं है क्योंकि यह पहले से ही पाकिस्तान के पास है. भारत ने अबतक इसे खरीदने को लेकर अमेरिका को कोई आश्वासन नहीं दिया है.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, सीएएटीएसए के तहत लगने वाले प्रतिबंधों में छूट के लिए अमेरिका ने भारत को इसी महीने की शुरुआत में एफ-16 खरीदने की पेश कर दी थी. इस मामले को लेकर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और अमेरिका के रक्षामंत्री जेम्स मैटिस की मुलाकात भी हुई थी.
निर्मला सीतारण इस दिसंबर मध्य तक अमेरिका की पहली द्विपक्षीय यात्रा करने की तैयारी में हैं. लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि मैटिस तब तक अमेरिका का रक्षा मंत्री बने रहेंगे या नहीं. मैटिस सीएएटीएसए के तहत भारत को छूट देने के बड़े समर्थक हैं. इस मुद्दे पर उन्होंने अमेरिकी कांग्रेस में भी बहस की थी. इस मामले में भारत को छूट देने का फैसला अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा लिया जाना है. ट्रंप ने हाल में कहा था कि भारत जो सोच रहा है, उससे पहले ही उसे जवाब मिल जाएगा.
अमेरिकी रक्षा विभाग के अधिकारियों ने कहा है कि सीएएटीएसए के तहत किसी एक देश को विशेष राहत नहीं दी जाएगी और सीएएटीएसए के तहत राहत पाने के लिए अन्य चीजों की भी जरूरत होगी. इसमें से एक है, उस देश को रूस से हथियार खरीद की अपनी निर्भरता को बड़े मात्रा में कम करना. भारत अगर रूस को एस-400 मिसाइल रक्षा सौदे के लिए 4.5 बिलियन डॉलर का भुगतान करेगा तो वह भी सीएएटीएसए के तहत कार्रवाई झेल सकता है.
अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि रूस के खिलाफ 'मजबूत कार्रवाई' के लिए 'दोनों तरफ से समर्थन' है, और राष्ट्रपति ट्रंप को सीएएटीएसए के तहत छूट देने के लिए भारत के साथ एक अच्छा सौदा करने की आवश्यकता होगी. हालांकि अमेरिका ने भारत को एफ-16 और एफ-18 लड़ाकू विमान खरीदने की पेशकश की है, लेकिन अमेरिका के लिए भारत को एफ-16 का प्रोडक्शन ट्रांसफर करने में आसानी होगी.